ग़ज़ल गायक 'पंकज उधास' के लिए रतलामवासियों की ऐसी दीवानगी कि समर्थकों को नियंत्रित करने के लिए कलेक्टर को भांजनी पड़ी थी लाठी
पंकज उधास नहीं रहे लेकिन रतलामवासियों के दिलों में उनकी यादें हमेशा जीवित रहेंगी। करीब 29 साल पूर्व रतलाम में हुई यादगार पंकज उधास नाइट आज भी लोग याद करते हैं।
नीरज कुमार शुक्ला
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । ख्यात ग़ज़ल गायक पंकज उधास जी नहीं रहे... जैसे ही यह खबर आई रतलामवासियों के जेहन में करीब 29 साल पहले रतलाम में हुए उनके आयोजन की यादें ताजा हो गईं। तब की शिल्क के नेली कुर्ते और लुंगी पहने उधास की तस्वीर आयोजन से जुड़े और उस दौर के लोगों के जेहन में घूम गई। वे देश-दुनिया में हर जगह घूमे और बहुत कुछ देखा-सुना भी लेकिन रतलाम जिले के सैलाना में स्थित कैक्टस गार्डन देखने की उनकी ख्वाइश अधूरी ही रह गई। ‘चिट्ठी आई है, वतन की मिट्टी आई है... कहते हुए वे कब इस वतन से उस वतन चले जाएंगे... किसी ने सोचा भी नहीं था।
बात 80 के दशक की है। तब पंजाबी समाज के अध्यक्ष रमणसिंह भाटिया, उपाध्यक्ष प्रो. ओ. पी. कथूरिया और सचिव एस. डी. अरोड़ा हुआ करते थे। सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने वाली समाज इस कार्यकारिणी ने पंजाबी समाज के भवन निर्माण का संकल्प लिया। इसके लिए धन जुटाने के उद्देश्य के साथ ही एक अच्छा सांस्कृतिक आयोजन करने का निर्णय लिया। इसी पुनीत उद्देश्य को लेकर 1985 में रतलाम में पहली बार पंकज उधास नाइट का आयोजन हुआ। बड़े आयोजन के लिए अनुमति देने का प्रबंधन तत्कालीन कलेक्टर जामिनी शर्मा और सुरक्षा के प्रबंधन तत्कालीन एसपी आसिफ इब्राहीम जो बाद में खुफिया एजेंसी आईबी के डायरेक्टर जनरल भी बने थे, किया। शहर को पोलोग्राउंड (नेहरू स्टेडियम) में हुआ यह आयोजन ऐतिहासिक और यादगार रहा। बता दें कि, आयोजक भाटिया रतलाम के प्रसिद्ध उद्योगपति, पेट्रोल पंप और ललित गैस एजेंसी (वर्तमान में इसके संचालक अमित अग्रवाल हैं) के संचालक थे। भाटिया के पिता चुन्नीलाल भाटिया केंद्र सरकार के वन मंत्रालय में प्रबंध निदेशक रहे थे।
ऐसी दीवानगी देखी नहीं कभी
रतलाम में हुई पंकज उधान नाइट की तारीख और महीना तो याद नहीं है लेकिन उनके प्रति लोगों की दीवानगी की हद आज भी याद है। आयोजन रात 9 बजे शुरू होना था जो तकरीबन 9.30 बजे बाद शुरू हो पाया था। उधास से ग़ज़लों की फरमाइश पर फरमाइश हो रही थीं, नतीजनत कार्यक्रम रात करीब 1.30 बजे तक चला। उनकी ‘चांदी जैसा रंग है तेरा…’ और उसी दौर में हिट हुई ‘घुंघरू टूट गए…’ ग़ज़ल लोगों की दीवानगी ऐसी कि भीड़ नियंत्रित करने के लिए तब प्रशासन-पुलिस को लाठी तक उठानी पड़ गई थी। बमुश्किल पंकज जी को भीड़ से बाहर निकाल कर बाहर लाया गया था।
कलेक्टर ने खुद उठा लिया था डंडा
वरिष्ठ पत्रकार रमेश मिश्र ‘चंचल’ बताते हैं कि लोग पंकज उधास से बार-बार उनकी प्रसिद्ध ग़ज़लों की फरमाइश कर रहे थे। फरमाइश करने वालों में युवाम संस्था के पारस सकलेचा ‘दादा’ भी थे। स्थिति अनियंत्रित होती दिखी तो तत्कालीन कलेक्टर जैमिनी शर्मा भड़क गए और उन्होंने लठ उठा लिया। उन्होंने जैसे ही लठ्ठ घुमाया तो मिश्र और तत्कालीन डीएसपी दिलबाग राय सैनी ने सकलेचा का बचाव किया। इस प्रयास में लठ पत्रकार मिश्र के हाथ में लगा। कई दिन तक दर्द रहा। पंकज उधास मिश्रा के दोबत्ती स्थित घर भी आए थे जहां उन्हें रतलाम के प्रसिद्ध एरोकेम इंडस्ट्रीज में तैयार सेंट और अगरबत्ती भेंट की थी।
आयोजन वाले दिन ही हुआ था एसपी की माता का निधन
आयोजन में लाठी चार्ज की पुष्टि तत्कालीन एसपी और आईबी के डीजी रहे आसिफ इब्राहीम भी करते हैं। चूंकि उसी दिन उनकी माता का निधन हुआ था इसलिए उन्होंने छुट्टी ले ली थी। इब्राहीम को माता की अंत्येष्टि के लिए जाना था, उनके परिवार के सदस्य वाहन में दोबत्ती थाने पर इंतजार कर रहे थे। इब्राहीम चाहते थे कि कार्यक्रम शांति से निपट जाए।
पारस सकलेचा को पड़े थे लट्ठ, थाने में बैठना पड़ा
कांग्रेस के नेता पारस सकलेचा बताते हैं कि आयोजन में युवाओं की काफी भीड़ थी। हमें बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिली थी। हम सभी युवा ‘चांदी जैसा रंग है तेरा…’ ग़ज़ल की बार-बार फरमाइश कर रहे थे। मैं सबसे आगे था, मेरी आवाज काफी तेज होने से कलेक्टर शर्मा को लगा कि मैं ही युवाओं का नेतृत्व कर रहा हूं और हुड़दंग कर रहा हूं। इसलिए वे नाराज हो गए और लठ्ठ उठा लिया। बचाव करते-करते भी दो लठ मुझे पड़ गए। पुलिस ने मुझे ले जाकर दो बत्ती थाने में बैठा दिया। बाद में जब कलेक्टर और पुलिस को पता चला कि मैं युवाम में बच्चों को पढ़ाता हूं तो करीब 40-50 मिनट छोड़ दिया गया।
सैलाना का कैक्टस गार्डन नहीं देख सके
पत्रकार मिश्र ने बताया कि- पंकज उधास को सैलाना स्थित विश्व विख्यात कैक्टस गार्डन के बारे में सुन रखा था। चाय पीने के दौरान चर्चा करते समय उन्होंने कैक्टस गार्डन देखने की इच्छा जताई थी। तब मिश्र ने कहा था भविष्य में जब रतलाम या आसपास आने का मौका मिला तो उनके देखने की व्यवस्था की करवा दी जाएगी। रतलाम में आयोजन के करीब डेढ़ साल बाद उदयपुर में पंकज उधास का आयोजन हुआ। तब मिश्र वहां पहुंचे थे, उस दिन भी कैक्टस गार्डन देखने की इच्छा जताई थी लेकिन समय पर्याप्त नहीं होने से इस बार भी वे नहीं सैलाना नहीं आ पाए थे।
दो बत्ती चौराहे पर पी थी चाय
पत्रकार और अब कॉन्ट्रेक्टर हरजीत सिंह सलूजा के अनुसार पंकज उधास ने रतलाम में दोबत्ती चौराहा (रॉयल मार्केट) स्थित चंदू श्रीवास्तव की टी-स्टॉल पर चाय पी थी। टी स्टॉल संचालक ने पंकज उधास का तब लिया गया फोटो काफी दिन तक लगा कर रखा था। उन्होंने दिन का भोजन होटल हंशी-खुशी में किया था। इस दौरान पत्रकार मिश्र भी उधास के साथ थे।
शिल्क के नीले कुर्ते और लुंगी में दिया था प्रोग्राम
रतलाम में हुए समारोह में फोटोग्राफी फिल्म निर्देशक और अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के निजी फोटोग्राफर फिल्म अभिनेता और ख्यात फोटो जर्नलिस्ट मायडियर गजानन शर्मा ने की थी। उनके पुत्र लगन शर्मा तब हायर सेकंडरी में पढ़ते थे। वे कहते हैं कि पापा के साथ कार्यक्रम में मैं भी गया था। पंकज उधास शिल्क का नीला कुर्ता और लुंगी पहने थे। उनके साथ पापा का फोटो मैंने क्लिक किया था और मेरा पंकज उधास के साथ का फोटो पापा ने क्लिक किया था। मकान बनने और बदलने के दौरान मिस हुए फोटो में वह याद भी कहीं रखने में आ गई है।
सरल हिंदी की ग़ज़लों का चयन रही विशेषता
उद्योगपति और अंकलेसरिया ऑटोमोबाइल के संचालक समाजसेवी गुस्ताद अंकलेसरिया भी आयोजन से जुड़ी स्मृति साझा की। उन्होंने बताया कि एक दौर था जब ऐसे बड़े और अच्छे आयोजन बहुतायत में होते थे। पंकज जी का आयोजन उनमें से एक है। पूर्व उप संचालक लोक अभियोजक एवं रंगकर्मी कैलाश व्यास के अनुसार रतलाम में हुए आयोजन का उस दौर के सुधि श्रोता हमेशा करते हैं। इसकी वजह पंकज उधास का ग़ज़लों का चयन रहा। उन्होंने उर्दू, अरबी और फारसी जैसे कठिन शब्दों वाली ग़ज़लों के बजाय सरल हिंदी वाली वाली रचनाओं को सुर और स्वर दिए। यही वजह है कि उनके द्वारा गए गए गीत और ग़ज़लें लोगों को आसानी से आकर्षित कर लेती हैं।