यह रोक जरूरी है : रतलाम जिले में नरवाई जलाने पर रोक, कलेक्टर ने जारी किया आदेश, कहा- उल्लंघन किया तो कार्रवाई होगी
कलेक्टर राजेश बाथम ने रतलाम जिले में नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने ऐसा करने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
एसपीएन टाइम्स @ रतलाम । कलेक्टर राजेश बाथम ने जिले में नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने इस संबंध में आदेश जारी कर कृषि विभाग को मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं। इसके परिपालन में कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है।
कृषि उप संचालक नीलम सिंह चौहान के अनुसार नरवाई जलाना खेत के लिए आत्मघाती है। आग लगने से भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है। इससे भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं। सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है। भूमि की ऊपरी परत में ही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो आग लगने के कारण पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। भूमि कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जलधारण क्षमता कम हो जाती है और फसलें सूख जाती हैं।
खत्म हो जाती है भूमि की उर्वरा क्षमता
विभाग के अनुसार नरवाई जलाने से खेत की सीमा पर लगे पेड़, पौधे आदि जलकर नष्ट हो जाते हैं, पर्यावरण प्रदूषण होता है, वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है इससे धरती गर्म हो जाती है। कॉर्बन से नाइट्रोजन व फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है तथा केंचुए नष्ट हो जाते हैं। इस कारण भूमि की उर्वरा क्षमता खत्म हो जाती है। अतः किसान नरवाई नहीं जलाएं। खेतों में गेहूं की कटाई के बाद बची हुई नरवाई जलाने पर किसानों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है।
ऐसे नष्ट करें गेहूं के डंठल
कृषि उप संचालक ने बताया कि विगत कुछ वर्षों से यह देखने में आया है कि गेहूं की 80 प्रतिशत कटाई कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा की जा रही है। हार्वेस्टर से कटाई करने के बाद एक फीट ऊंचे गेहूं के डंठल खेत में रह जाते हैं। इससे किसान खेत की सफाई के लिए आग लगाकर जला देते हैं। इसके स्थान पर गेहूं की डंठलों को रोटावेटर चलाकर बारीक करें। गहरी जुताई कर डंठलों को मिट्टी में मिलाएं। जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी है वे खेतों में स्प्रिंकलर के माध्यम से पानी देकर 20 मिलीलीटर डी कंपोजर 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें।