राष्ट्रप्रेम के साथ आस्था का प्रतीक बना भारत माता मंदिर, भावी पीढ़ी को इतिहास से परिचित कराने के लिए लगेगी प्रदर्शनी

रतलाम के समता परिसर और समता सिटी स्थित भारत माता का मंदिर राष्ट्र प्रेम और आस्था का पर्याय बन चुका है। 2005 में आए एक विचार को भविष्य में और भव्यता दिया जाना भी प्रस्तावित है ताकि हमारी भावी पीढ़ी देश के स्वतंत्रता के इतिहास से भी रूबरू हो सके।

राष्ट्रप्रेम के साथ आस्था का प्रतीक बना भारत माता मंदिर, भावी पीढ़ी को इतिहास से परिचित कराने के लिए लगेगी प्रदर्शनी
रतलाम के समता परिसर व समता सिटी स्थित भारत माता का मंदिर।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । कहते भी हैं कि जननी और जन्मभूमि का स्थान इंसान के जीवन में स्वर्ग से भी ऊपर है। यही वजह है कि मां भारती के स्मरण मात्र से ही हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है और उसके सम्मान में सिर ऊंचा हो जाता है। यही मां भारती यदि मूर्त रूप में सामने हो तो हमारे मनोभाव क्या होंगे, यह सिर्फ सच्चा भारतीय और राष्ट्रभक्ति ही बता सकता है।

देशभक्ति की यही अलख जगाए रखने का प्रयास किया है समाजसेवी, रेडक्रॉस के प्रांतीय प्रबंध कार्यकारिणी सदस्य एवं समता ग्रुप के महेंद्र गादिया ने। बात 2005 की है, ऑफिसर कॉलोनी के पीछे (उकाला रोड पर) समता परिसर और समता सिटी की नींव रखे जाने को लेकर विचार चल रहा था। भवन हो या फिर भूखंड, भारतीय सनातन संस्कृति में वास्तु को विशेष महत्सव दिया गया है। तय हुआ कि समता परिसर व समता सिटी के के ईशान कोण में एक ऐसा छोटा सा धार्मिक स्थल बने जो लोगों को आत्मिक शांति पाने का पर्याय बन सके। अब सवाल यह था कि आखिर धार्मिक स्थल में ऐसी कौन सी प्रतिमा स्थापित की जाए जो सर्वधर्म समभाव का पर्याय बन सके। ऐसे में समाजसेवी गादिया एक ऐसी देवी का स्मरण आया जो हर जाति, धर्म, समाज, संप्रदाय के लोगों को स्वीकार्य हो। यह देवी कोई और नहीं हमारी ‘मां भारती’ (भारत माता) है जिसे अंग्रेजों की गुलामी के लिए हजारों वीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी।

... बस एक विचार कौंधा और हो गई भारत माता की स्थापना

विचार आते ही तय हो गया कि समता परिसर व समता सिटी के ईशान कोण में भारत माता ही विराजेंगी। पहले सीमित स्थान नियत किया गया था लेकिन जब विचार इतना बड़ा हो तो फिर स्थान भी बड़ा होना ही था। उदयपुर में सफेद संगमरमर की भारत माता की प्रति तैयार करवाई गई और विधिवत उसकी स्थापना भी की गई। इस तरह प्लेटफॉर्म सहित करीब 7 फीट ऊंची प्रतिमा का वाला भारत माता का मंदिर अस्तित्व में आ गया जो राष्ट्रभक्ति के साथ ही आस्था का केंद्र भी बन गया है। वहीं शेरों की दो प्रतिकृतियां लोगों को अपनी और अपने राष्ट्र की मजबूती का अहसास कराती हैं।

हर साल होती है आरती, राष्ट्रीय पर्वों पर आयोजन भी होते हैं

भारत माता के इस मंदिर के बारे में जिसे भी पता चलता है, वह वहां जाए बिना नहीं रहता। यहां प्रत्येक राष्ट्रीय पर्व पर आयोजन होते हैं और बड़ी संख्या में मां भारती के समक्ष शीश नवाकर अपनी राष्ट्र भावना प्रदर्शित करते हैं। राष्ट्रीय पर्व पर भारत माता की आरती देखते ही बनती हैं जो राष्ट्रीयता की अलख जगाए रखने का एक माध्यम बन चुकी है। आरती ठीक उसी प्रकार होती है जैसे किसी देवी-देवता की होती। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर यहां स्वराज अमृत महोत्सव समिति संयोजक गादिया के साथ ही सह संयोजक विम्पी छाबड़ा की मौजूदगी में वकीलनाथ राठौड़ की टीम ने भारत माता की आरती की कर वंदेमातरम् की प्रस्तुति दी। आयोजन में अध्यक्ष देवेन्द्र जैन, सचिव हरीश शुक्ला, कॉलोनाइजर प्रीतेश गादिया, मयंक भटेवरा, अक्षत, दिव्यम गादिया, समिति के एडवोकेट राजेन्द्रसिंह पंवार, महेश चौबे, प्रभुसिंह राठौड़, सी. बी. दुबे, सी. एल. डाबी, यशपाल पंवार,  लोकेश ठाकरे, सौरभ अग्रवाल, अशोक राठौड़, आशीष पाटीदार, चन्दन दीक्षित, अनिल बम, गोपाल पोरवाल, नरेन्द्र पाटीदार, राजेन्द्र वराला,  आदि उपस्थित रहे।