घूसखोर जिला आयुष अधिकारी को 4 वर्ष की सजा, अपने ही विभाग के पूर्व जिला आयुष अधिकारी से मांगी थी 4 हजार की रिश्वत

रतलाम की पूर्व जिला आयुष अधिकारी डॉ. नीलम कटारा को न्यायालय ने रिश्वत लेने के मामले में चार साल के कारावास की सजा सुनाई है।

घूसखोर जिला आयुष अधिकारी को 4 वर्ष की सजा, अपने ही विभाग के पूर्व जिला आयुष अधिकारी से मांगी थी 4 हजार की रिश्वत
रिश्वतघोर जिला आयुष अधिकारी डॉ. नीलम कटारा।

3 नवंबर 2015 को लोकायुक्त टीम ने रिश्वत लेते रंगेहाथ किया था गिरफ्तार

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश संतोषकुमार गुप्ता ने रतलाम की तत्कालीन जिला आयुष अधिकारी डॉ. नीलम कटारा को चार साल के कारावास की सजा सुनाई है। डॉ. कटारा ने विभाग के ही सेवानिवृत्त अधिकारी से चार हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। लोकायुक्त टीम ने कटारा को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था।

अभियोजन के मीडिया सेल प्रभारी चौपसिंह ठाकुर के अनुसार आयुष विभाग से सेवानिवृत्त जिला आयुष अधिकारी डॉ. सुरेशचन्द्र शर्मा पिता नानालाल शर्मा ने उज्जैन स्थित लोकायुक्त एसपी कार्यालय में 26 अक्टूबर 2015 को शिकायत की थी। बताया था कि वे गत 30 जून 2015 को रिटायर हुए थे। इसके बाद वे विभाग से होने वाले एनपीए के 8.96 लाख रुपए के भुगतान के लिए तत्कालीन जिला आयुष अधिकारी डॉ. नीलम कटारा से संपर्क किया। इसके लिए उन्होंने पांच हजार रुपए की रिश्वत मांगी है।

 आयुष अधिकारी के बैग से बरामद हुए थे रिश्वत के रुपए

लोकायुक्त एसपी के निर्देश पर निरीक्षक प्रशांत मुकादम ने डॉ. शर्मा को रिश्वत की बात रिकॉर्ड करने के लिए वाइस रिकॉर्डर सौंपा। डॉ. शर्मा ने डॉ. कटारा से बात की तो मामला 4 हजार रुपए की रिश्वत पर तय हुआ। यह बात रिकॉर्ड कर  डॉ. शर्मा ने लोकायुक्त टीम को दी। 3 नवंबर 2015 को दोपहर निरीक्षक मुकादम टीम के साथ शहर के त्रिपोलिया गेट के पास स्थित जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के बाहर पहुंचे और डॉ. शर्मा ने डॉ. कटारा को जैसे ही रिश्वत के रुपए देने के बाद इशारा किया तो लोकायुक्त टीम ने आरोपी डॉ. कटारा को धरदबोचा। तलाशी में उनके बैग से रिश्वत के चार हजार रुपए भी जब्त कर लिए।

जुर्माना नहीं चुकाया तो 1 माह का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा

विवेचना के बाद न्यायालय में चालान पेश किया गया। जहां डॉ. कटारा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) डी सहपठित धारा 13 (2) में चार वर्ष के कारावास और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। जुर्माना जमा नहीं भरने पर डॉ. कटारा को एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भी भुगतना पड़ेगा। शासन की ओर से पैरवी पूर्व सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सीमा शर्मा एवं जिला सहायक अभियोजन रोजर चौहान ने की। बता दें कि, डॉ. कटारा स्थानीय आशाराम नगर की रहने वाली हैं। वह ख्वासा जिला झाबुआ की मूल निवासी है।