कब्जा अवैध - दावा निरस्त : अमृत सागर दरगाह के सामने की जमीन रेहाना बी की नहीं, पुलिस विभाग के लिए आरक्षित है, 12 साल से कर रखा था अवैध कब्जा

रतलाम की एक अदालत ने शहर की एक जमीन पर अवैध कब्जा कर अपनी बताए जाने के दावे का खारिज कर दिया है। सरकारी रिकॉर्ड में उक्त जमीन थाना निर्माण के लिए पुलिस विभाग के लिए आरक्षित है।

कब्जा अवैध - दावा निरस्त : अमृत सागर दरगाह के सामने की जमीन रेहाना बी की नहीं, पुलिस विभाग के लिए आरक्षित है, 12 साल से कर रखा था अवैध कब्जा
कोर्ट का फैसला।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अमृत सागर के पास दरगाह के सामने स्थित 1250 वर्गफीट जमीन पर रेहानी बी पति यूसुफ अली का कब्जा होने का दावा न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। उक्त जमीन नजूल की होकर शासकीय है और पुलिस विभाग के नाम पर दर्ज है। न्यायालय द्वारा दावा खारिज करने से साफ हो गया है कि लाखों रुपए कीमत की इस जमीन पर 12 वर्ष से अधिक समय से अवैधानिक कब्जा ही था।

अपर लोक अभियोजक एडवोकेट सतीश त्रिपाठी ने बताया कि उक्त नजूल की भूमि पर रेहाना बी अवैध रूप से झोपड़ी बनाकर निवास कर रही थी। रेहाना बी ने मध्य प्रदेश शासन के विरुद्ध वर्ष 2019 में दावा प्रस्तुत किया था। इसमें बताया था कि वह गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। शासन द्वारा वर्ष 2016 में उसे पट्टा दिया गया था लेकिन वापस ले लिया गया था। 13 मार्च, 2019 को शासन द्वारा उसकी झोपड़ी के पीछे की ओर अतिक्रमण हटाया गया था। तत्कालीन पटवारी द्वारा उसके जमीन का पट्टा दिए जाने की कार्रवाई भी की थी लेकिन बाद में पट्टा नहीं दिया गया। उसका दावा था कि वह लंबे समय से उस झोपड़ी में निवास कर रही है। इसलिए उसे न्यायालय के माध्यम से प्रदेश शासन से पट्टा दिलाया जाए।

दीनदयालनगर पुलिस थाने के लिए आरक्षित है जमीन

शासन की ओर से इसका जवाब प्रस्तुत कर न्यायालय को बताया गया कि उक्त स्थान एवं इससे लगी खुली भूमि को दीनदयाल नगर पुलिस थाने के लिए आरक्षित किया गया है। सर्वे क्रमांक 624 की यह भूमि वर्ष 1956-57 से शासकीय भूमि के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। 6 जनवरी, 2016 से उक्त भूमि दीनदयाल नगर पुलिस थाने के लिए आरक्षित है। शासन की ओर से तहसीलदार ऋषभ ठाकुर ने कथन अंकित करवाए। इसमें उन्होंने बताया कि दीनदयाल नगर पुलिस थाना भले ही अलग जगह बन गया हो लेकिन जमीन आज भी पुलिस विभाग के नाम पर ही दर्ज है।

पर्याप्त न्याय शुल्क नहीं दिया

न्यायालय प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड रतलाम मुग्धा कुमार ने मामले में अहम् निर्णय दिया। न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा की वादी रेहना बी द्वारा विवादग्रस्त भूमि का मूल्यांकन 1 लाख 20 हजार रुपए निर्धारित किया है। समस्त स्थायी निषेधाज्ञा की सहायता के लिए पृथक-पृथक मूल्यांकन आवश्यक है। रेहना बी द्वारा वाद का उचित मूल्यांकन नहीं करते हुए पर्याप्त न्याय शुल्क अदा नहीं किया गया है। कब्जा भी अवैधानिक रूप से कर रखा है। इस करण वाद निरस्त किया जाता है। शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक सतीश त्रिपाठी ने की।