MP के इस जिले में फिर बजी ताली और थाली लेकिन कोरोना को भगाने के लिए नहीं, सरकार को जगाने के लिए, बड़ों के साथ बच्चे भी हुए शामिल, देखें वीडियो...
सेवा में बहाली, कर्मचारियों के नियमितिकरण सहित विभिन्न मांगों को लेकर हड़तालरत संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने ताली और थाली बजाकर अपनी आवाज बुलंद की ताकि प्रदेश सरकार नींद से जाग सके।
प्रधानमंत्री ने कोरोना की पहली लहर के दौरान ताली-थाली बजवा कर उत्साहित किया था अब अगली लहर से पहले मध्य प्रदेश सरकार अनसुनी कर हतोत्साहित कर रही
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर बजाई गई ताली और थाली की गुरुवार को फिर ताजा हो गई। अगली लहर से पहले ताली व थाली तो फिर बजी लेकिन इस बार उद्देश्य कोरोना को भगाने के लिए लोगों को प्रत्साहित करने के लिए नहीं बल्कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही अनसुनी से हतोत्साहित होने के कारण। इतना ही नहीं पहली और दूसरी लहर को हराने के लिए प्रोत्साहित किए गए संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने उन्हें मिले प्रोत्साहन पत्र भी सरकार को वापस लौटा दिए।
कोरोना की आहट फिर सुनाई देने लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य अमले की मुस्तैदी जरूरी है। इसके उलट मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत 32 हजार संविदा कर्मचारियों सहित रतलाम जिले के 582 संविदा अधिकारी-कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। हड़ताल गुरुवार को नौवें दिन भी जारी रही। अपनी तीन सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन का अनूठा तरीका अपनाया। उन्होंने उनकी मांगों की अनदेखी कर रही प्रदेश की शिवराज सरकार को जगाने के लिए थाली और ताली बजाई।
छोटे-छोटे बच्चों ने भी बजाई ताली-थाली
विरोध प्रदर्शन के दौरान संविदा स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारियों के साथ उनके नन्हें-मुन्ने बच्चे भी मौजूद रहे। अपने माता-पिता को इस तरह ताली-थाली बजाते देख बच्चों ने भी साथ दिया। इस दौरान आंदोलनरत कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की।
सरकार को जगाना है, अपने अधिकार मनवाना हैं
आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मीडिया को बताया कि कोरोना काल में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना उत्कृष्ट कार्य किया था। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा उन्हों कोरोना योद्धा बताते हुए प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया था जिससे वे उत्साहित हुए थे। अब सरकार उनके अधिकारों की अनदेखी कर मांगों को नहीं मान रही है। यह हड़ताल सरकार को जगाने और अपने अधिकार मनवाने के लिए की जा रही है। Covid के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से ताली और थाली बजवाकर स्वास्थ्य कर्मियों एवं पुलिस कर्मियों का उत्साहवर्धन करवाया था। एक बार फिर देश में फिर कोरोना ने दस्तक दे दी है। हम कोरोना से निपटने के लिए फिर से आंतरिक रूप से तैयार हैं लेकिन प्रदेश सरकार हमें हमारे अधिकार देने को तैयार नहीं है।
प्रमाण-पत्र लौटा रहे, डिग्री भी लौटाएंगे
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष डॉ. तरुण गर्ग के अनुसार पहले जिन संविदा कर्मियों को कोरोना योद्धा कह कर सम्मानित किया गया था, वहीं आज शासन प्रशासन को गैर जरूरी प्रतीत हो रहे हैं। अधिकारी कहते हैं के हमारी हड़ताल के कारण कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इसलिए हम कोरोना में श्रेष्ठ सेवा के लिए मिले अपने प्रशस्ति-पत्र सरकार को वापस लौटा रहे हैं। अगर जल्दी ही सकारात्मक रास्ता नहीं निकला तो अपनी डिग्री भी लौटा देंगे। जब हमारी ही कोई जरूरत नहीं है तो फिर हमारी डिग्रियों का क्या महत्व रह जाएगा।
संविदा कर्मचारियों की मांगें
- वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नीति बनाकर उनका नियमितीकरण किया जाए।
- 05 जून 2018 की संविदा नीती लागू की जाए।
- विभिन्न योजनाओं में पद समाप्त कर निकाले गए कर्मचारियों की बहाली हो।