काले जादू की पाठशाला ! स्कूल की 'प्रसिद्धि' के लिए चढ़ा दी कक्षा 2 के स्टूडेंट की बलि ! संचालक सहित 5 आरोपी गिरफ्तार, बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक निज स्कूल के संचालक सहित 5 लोगों को तरक्की के लिए कक्षा 2 के छात्र की बलि देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। मामले बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी संज्ञान लिया है।
एसीएन टाइम्स @ कानपुर । उत्तर प्रदेश के हाथरस में डी. एल. पब्लिक स्कूल के कक्षा 2 के स्टूडेंट की बलि देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मामले में पुलिस ने स्कूल संचालक और तीन शिक्षकों सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन पर आरोप है कि स्कूल की तरक्की के लिए उन्होंने बच्चे की बलि दी। आरोपी इसी तरह पहले भी बलि देने का प्रयास कर चुके हैं। बिना अनुमति चल रहे स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है। बच्चे की हत्या के मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी संज्ञान लिया है।
हाथरथ पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उसके अनुसार हाथरस के सहपऊ क्षेत्र के रसगवां गांव का डी. एल. पब्लिक स्कूल आवासीय स्कूल है। यहां करीब 9 वर्षीय कृतार्थ पिता श्रीकृष्ण निवासी चुरसेन, थाना चंपदा पढ़ाई के लिए रहता था। वह कक्षा 2 का स्टूडेंट था। गत 23 सितंबर को स्कूल संचालक दिनेश बघेल ने परिजन को कृतार्थ की तबीयत खराब होने की सूचना दी। परिजन स्कूल पहुंचे तो वहां कृतार्थ नहीं मिला। उन्होंने संचालक बघेल से पूछा था तो उसने कहा कि कृतार्थ को उपचार करने के लिए ले गया है। लोगों को शंका हुई तो उन्होंने संचालक की तलाश की और थोड़ी देर बाद सादाबाद के निकट उसको कार सहित पकड़ लिया। बघेल की कार की पिछली सीट पर कृतार्थ मृत पड़ा था। सूचना मिलने पर पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।
गला दबाकर की गई थी हत्या
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कृतार्थ की मौत की वजह उसका गला दबाया जाना आया। उसकी गर्दन पर चोट के निशान भी थे। अतः पुलिस ने कृतार्थ के पिता श्रीकृष्ण ने स्कूल संचालक दिनेश बघेल सहित पांच लोगों के खिलाफ विरुद्ध केस दर्ज कर मामला विवेचना में लिया। जांच में पता चला कि संचालक का पिता जशोधन भगत है जो तंत्र-मंत्र करता है। उसका मानना है कि यदि किसी बच्चे की बलि दे दी जाए तो स्कूल की तरक्की हो जाएगी और काम-धंधा अच्छा चलने लगेगा। इसलिए जशोधन और उसके बेटे दिनेश ने कृतार्थ की बलि देने का प्रयास किया लेकिन उसके विरोध करने पर उन्होंने उसका गला दबाकर हत्या कर दी।
पहले भी हो चुके बलि देने के प्रयास
कहा जा रहा है कि डी. एल. पब्लिक स्कूल में पहले भी कुछ स्टूडेंट की बलि देने का प्रयास हो चुका है। बहरदोई गांव के गावस्कर का कक्षा पहली में पढ़ने वाला बेटा राजा 6 सितंबर को होस्टल में सो रहा था तब उसका गला दबाकर हत्या करने का प्रयास किया गया था। राजा की नींद खुल जाने से सफल नहीं हो सकी। गला दबाने से उसकी पेशाब तक निकल गई थी। बाद में उसका इलाज कराना पड़ा था। इसी तरह अजीत सिंह के बेटे प्रिंस का गला रस्सा से दबाने की कोशिश की गई थी।
कर्ज से लदा है स्कूल प्रबंधन
पता चला है कि स्कूल संचालक दिनेश बघेर ने केनरा बैंक से कर्ज लिया था। उसकी अदायगी में परेशानी आने के कारण ही वह टोने-टोटकों पर भरोसा कर रहा है। यही कारण है कि स्कूल की दीवार पर घोड़े की नाल लगी है तो गेट पर तंत्र-मंत्र वाली गुड़िया टंगी है। जगह-जगह नींबू और मिर्च भी लटा रखे हैं।
ये आरोपी हुए गिरफ्तार
बच्चे के परिजन और ग्रामीणों ने घटना और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर एसपी कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन भी किया था। पुलिस ने मामले में आरोपी दिनेश बघेल पिता जशोधन निवासी रसगंवा थाना सहपऊ, जशोधन उर्फ भगत जी पिता डोरीलाल निवासी रसगांव सहपऊ, रामप्रकाश पिता लीलासिंह निवासी गौतम नगर सादाबाद, लक्ष्मण सिंह पिता राधेलाल निवासी थाना बलदेव जिला मथुरा तथा वीरपाल पिता रघुवीर निवासी बंका मुरसान को गिरफ्तार किया है।
बिना मान्यता चल रहा था स्कूल, मान्यता रद्द, केस दर्ज
बेसिक शिक्षा अधिकारी स्वाति भर्ती ने स्कूल को बंद करने का आदेश जारी किया है। स्कूल के पास केवल कक्षा एक से पांच तक की ही मान्यता थी, लेकिन प्रबंधन बिना अनुमति धोखाधड़ी से कक्षा आठ तक की कक्षाओं और आवासीय विद्यालय का संचालन कर रहा था। इसके चलते खंड शिक्षा अधिकारी ने प्रबंधन के विरुद्ध बिना मान्यता के कक्षाएं व आवासीय स्कूल चलाने, धोखाधड़ी तथा आरटीई के उल्लघंन सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कराया है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
डी. एल. स्कूल में हुई बच्चे की हत्या के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भी संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से जारी बयान में अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने हाथरस की घटना को लेकर स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर चिंता जताई, उन्होंने इसे इसे भयानक और अक्षम्य कृत्य बताया। उनका कहना है कि आयोग सरकार को बच्चों की सुरक्षा के संबंध में सिफारिशें भी देगा। भारत सरकार ने स्कूलों की जवाबदेही तय करने के लिए 2021 में एक गाइडलाइन बनाई थी, जो यह सुनिश्चित करने के लिए ह कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूलों में कोई लापरवाही न हो। सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राज्यों को इस गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश दिया था। आयोग ने राज्यों को फिर याद दिलाया है कि इन गाइडलाइन का पालन ईमानदारी से करें।