ED की बड़ी कार्रवाई : रतलाम, इंदौर, मंदसौर व अकोला स्थित नारायण निर्यात प्राइवेट इंडिया लिमिटेड की 26.53 करोड़ की अचल संपत्ति कुर्क, बैंक से धोखाधड़ी का मामला
फर्जी दस्तावेज लगाकर बैंकों से लिए गए लोन को अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर धोखाधड़ी करने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की संपत्ति कुर्क की है। इसमें मप्र और महाराष्ट्र की संपत्तियां शामिल हैं।
एसीएन टाइम्स @ नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), भोपाल ने मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत 26.53 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां अनंतिम रूप से कुर्क की हैं। इसमें मध्यप्रदेश के रतलाम, इंदौर, मंदसौर और महाराष्ट्र के अकोला जिले की 34 संपत्तियां शामिल बताई जा रही हैं। फर्म पर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर बैंक के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप है।
ईडी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार सीबीआई, एसी-IV, व्यापमं भोपाल द्वारा मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दायर आरोप-पत्र दायर किया गया था। इसके आधार पर ईडी ने जांच शुरू की है। ईडी की जांच में पता चला कि मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एनएनआईपीएल) ने अपने निदेशक कैलाश चंद्र गर्ग और अन्य के माध्यम से 26.53 करोड़ रुपए की विभिन्न ऋण सुविधाओं का लाभ उठाया था।
यूको बैंक के नेतृत्व वाली बैंकों से जुड़ा है मामला
यूको बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम से सोया डी-ऑइल केक की खरीद और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसके निर्यात के उद्देश्य से लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) और एक्सपोर्ट पैकिंग क्रेडिट (ईपीसी) के रूप में 110.50 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। वर्ष 2012 में 54.96 करोड़ रुपए की राशि के एलसी हस्तांतरित कर दिए गए और 54.92 करोड़ रुपए की राशि के ईपीसी मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खाते में बकाया थे, जिसके परिणामस्वरूप 113.51 करोड़ रुपए (ब्याज सहित) की ऋण राशि एनपीए हो गई।
जिस काम के लिए ऋण उसमें नहीं किया उपयोग
हालांकि, जांच से पता चला कि कंपनी ने उस उद्देश्य के लिए फंड का उपयोग नहीं किया जिसके लिए इसे मंजूरी दी गई थी और बैंकों के कंसोर्टियम से ऋण प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए। कंपनी ने उक्त बैंकों के साथ धोखाधड़ी की और एलसी/ईपीसी के माध्यम से प्राप्त राशि को विभिन्न सहयोगी / सहयोगी कंपनियों जैसे पद्मावती ट्रेडिंग कंपनी, मंदसौर सेल्स कॉर्पोरेशन, रामकृष्ण सॉल्वेक्स प्राइवेट लिमिटेड और धुलतावाला एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड को बिना किसी माल का लेन-देन किए हस्तांतरित कर दिया। इस प्रकार मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बैंक के साथ 113.51 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की और बैंकों के संघ को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया।
डायवर्टेट लोन मप्र व महाराष्ट्र की इन कंपनियों में हुआ उपयोग
इसके अलावा ईडी की जांच से पता चला है कि डायवर्टेड लोन राशि का इस्तेमाल मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ग्रुप कंपनियों मेसर्स मेडारिया मेडिकल टूरिज्म प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स मेपल ओवरसीज ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स वर्धमान सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के नाम पर अचल संपत्तियों की खरीद के लिए किया गया था। जांच के दौरान मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ग्रुप कंपनियों के नाम पर मध्य प्रदेश के इंदौर, रतलाम और मंदसौर और महाराष्ट्र के अकोला जिले में कुल 34 संपत्तियों की पहचान की गई। पीएमएलए, 2002 की धारा 5(1) के तहत एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया गया, जिसमें 26.53 करोड़ रुपए की इन संपत्तियों को कुर्क किया गया। मामले में अभी भी जांच जारी है।