ऐसा है हमारे रतलाम का ट्रैफिक... : भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी के इन सुझावों पर अमल हो तो सुधर सकती है व्यवस्था
रतलाम शहर में ट्रैफिक सिग्नल कुछ दिन बंद रहने के बाद फिर शुरू हो गए हैं लेकिन इसके लिए अनुसार जो व्यवस्थाओं चौराहों पर होनी चाहिए, नहीं है। भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी के सुझावों पर अमल कर सुधार किया जा सकता है।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । तीन दशक में रतलाम शहर में चार से पांच बार ट्रैफिक सिग्नल लगे और हर बार बंद हो गए। कुछ चौराहों पर पुनः सिग्नल नजर आने लगे हैं लेकिन इनकी सार्थकता अब भी साबित नहीं हो पा रही है। जिन चौराहों पर सिग्नल लगे हैं वहां अब भी सुधार की गुंजाइश है। यदि भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी द्वारा एक दशक पूर्व दिए सुझावों पर शत-प्रतिशत अमल हो तो यातायात से जुड़ी बड़ी समस्या का हल संभव है।
(यहां न लेफ्ट क्लियरेंस का पता है न ही राइट का। इसलिए जहां इच्छा हो खड़े हो जाइये और जहां से इच्छा हो निकल भी जाए।)
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने 05-11-2012 को तत्कालीन महापौर, पुलिस अध्यक्ष और लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री तथा नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। झालानी द्वारा अपने पत्र में सैलाना बस स्टैंड पर लगे ट्रैफिक सिग्नल को आधार बनाकर 10 सुझाव दिए थे। तब से लेकर अब तक व्यवस्थाओं में काफी बदलाव हुआ है। पावर हाउस रोड फोरलेन में तब्दील हो चुका है। सैलाना बस स्टैंड चौराहे पर भी थोड़ा सुधार हुआ है। इसके बावजूद झालानी द्वारा दिए ज्यादातर सुझाव आज भी प्रासंगिक हैं।
अनिल झालानी के ये सुझाव आज भी प्रासंगिक
सुझाव : पावर हाउस से सैलाना रोड के लिए मुड़ने पर लंबे वाहनों को स्टेच्यू (महाराणा प्रताप) से घूमकर जाने पर चर्च के दरवाजे वाले कोने पर निर्मित दुकानें दिक्कत देती हैं। अतः यहां स्थापित शिलालेख को अन्यत्र लगाकर जगह बनाई जाए।
स्थिति- चर्चा के सामने दुकानें और उनके सामने वाहनों की पार्किंग रहती है। नाले के ऊपर लगा शिलालेख यथावत है।
(एक गुमटी की आड़ में इन्हें भी व्यवसाय करने का बहाना मिल गया है। समीप ही एक शिलालेख भी लगा है।)
सुझाव : पोस्ट ऑफिस के सामने सड़क के एक ओर गुमटियां लगी हैं, उन्हें हटाया जाए तथा दूसरी ओर नाली खुली पड़ी है उसे ढंकने का इंतजाम कर इस रोड की चौड़ाई बढ़ाई जाए।
स्थिति– यह समस्या भी यथावत है। सड़क पर अतिक्रमण कम होने के बजाय, बढ़ रहा है। एमसीएच के गेट के बाहर और सामने स्थित दुकानों के बाहर लगने वाला वाहनों का जमावड़ा और अतिक्रमण भी यातायात में बाधक बन रहा है।
सुझाव : शहर सराय से आने पर मिशन कम्पाउंड की दीवार से लगी दुकानों के सामने कच्चे मार्ग को पक्का कर डामरीकरण भाग की चौड़ाई बढ़ाई जानी चाहिए। रैन बसेरा के कोने की दुकानदारों ने जो अतिक्रमण (फैलाव) कर रखा है, उसको नियंत्रित किया जाना चाहिए।
स्थिति- मिशन कंपाउंड की दीवार से लगी दुकानों के आगे का हिस्सा अब भी वैसा ही है। दुकानों के आगे अतिक्रमण भी घटना के बजाय बढ़ता रहता है। इसे नियंत्रित किया जाना जरूरी है।
(शयद यह जगह कच्ची और खाली इन दुकानदारों को शामियाना तानने, दुकान का सामान बाहर रखने, ठेले लगाने और जहां-तहां वाहन रखने के लिए ही छोड़ी गई है।)
सुझाव : चौराहे के मध्य बिंदु (महाराणा प्रताप स्टेच्यू) से चारों मार्गों के 500-500 फीट की कच्ची सड़क के भाग को पक्का करने की योजना बनाई जानी चाहिए। रेड सिग्नल के समय रुकने के लिए पर्याप्त स्थान तथा ग्रीन सिग्नल होने पर समय सीमा में तेजी से निकलने के लिए यह आवश्यक है।
स्थिति- चौराहे के काफी हिस्से को पक्का किया जा चुका है बावजूद अभी भी काम करने की गुंजाइश है। रेड सिग्नल पर रुकने के बाद ग्रीन सिग्नल होने पर वाहन चालकों को तेजी से निकलने में परेशानी होती है।
सुझाव : पुराने सैलाना बस स्टैंड तथा रेलवे ओवर ब्रिज के कोने पर बड़ी संख्या में ठेले वाले खड़े रहते हैं, उन्हें वहां खड़ा रहने से रोका जाए। कम से कम सड़क के किनारे खड़े रहने वाले ठेलों को ट्रैफिक पुलिस जवान फुल टाइम कंट्रोल करें। वहां एक यलो पट्टी लगाई जाए।
स्थिति- दुकानों का सामान सड़क तक फैला है। ठेला गाड़ियां यथावत लग रही हैं। किसी को चौराहे से ब्रिज के पास से काटजूनगर तरफ जाना हो तो मशक्कत करना पड़ती है। चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस के जवानों की पर्याप्त संख्या नजर नहीं आती।
(यह सिर्फ बानगी भर है, आसपास ऐसे चार से पांच ठेले हर समय खड़े मिल जाएंगे।)
सुझाव : लेफ्ट में जाने वालों के लिए रास्ता सदैव चालू रखा जाना चाहिए और उसके लिए साइड क्लियरेंस रखा जाना जरूरी है।
स्थिति- सभी रास्तों पर लेफ्ट क्लियरेंस नहीं की व्यवस्था नहीं है, खासकर पोस्ट ऑफिस तरफ से चौराहे की ओर आने वाले वाहनों के लिए। विशाल मेगा मार्ट तरफ के लेफ्ट क्लियरेंस वाले हिस्से पर भी वाहन चालक खड़े हो जाते हैं जिससे लेफ्ट जाने वालों को दिक्कत होती है।
सुझाव : ट्रैफिक पुलिस के दो जवान दो दिन के लिए इंदौर भेजे जाएं और दो जवान इंदौर से रतलाम आकर एक - दूसरे की ट्रैफिक व्यवस्था को समझने - समझाने और सिग्नल व्यवस्था लागू होने पर यातायात व्यवस्था के तौर - तरीकों से आमजन को प्रशिक्षित कराने का कार्य करें।
स्थिति- इस दिशा में अभी तक कोई प्रयास नहीं हुआ। है। यह प्रयोग शहर के सभी चौराहों और ट्रैफिक सिग्नल पाइंट पर किए जाने की जरूरत है।
(...तो शायद ऐसे नजारे और ट्रैफिक व्यवस्था देखने को ना मिले।)
सुझाव : पुलिस विभाग, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम एवं विद्युत विभाग के सभी सम्बद्ध अधिकारीकरण किसी दिन सुबह 8.00 बजे जब ट्रैफिक कम रहता है, सामूहिक रूप से चौराहे का स्थल निरीक्षण करें तथा मुख्य रूप से सड़क किनारे बिजली के पोल या ट्रैफिक सिग्नल की आड़ में जो अतिक्रमण बढ़ जाता है, उन खंभों को कितना पीछे खिसकाया जा सकता है, इसकी रूपरेखा तैयार कर समयबद्ध कार्यवाही तय की जाए।
स्थिति- अभी तक ऐसा प्रयोग देखने को नहीं मिला है। शहर के सभी चौराहों और सड़कों पर इस तरह की एक्सरसाइज जरूरी है।
(यह प्रयोग ऐसी जगह ही उपयोगी है, जहां सड़क पर ही सुविधाघर, पानी की टंकी और बिजली के पोल मुंह चिढ़ा रहे हैं।)
सिर्फ सिग्नल लगाना ही समस्या का हल मानना पर्याप्त नहीं
बता दें कि, समाजसेवी अनिल झालानी शहर की यातायात समस्या पर निरन्तर पत्र व्यवहार के माध्यम से सुझाव देते रहें हैं। उनका मानना है कि सिर्फ सिग्नल लगाना ही समस्या का हल मानना पर्याप्त नहीं है, उसके अनुसार चौराहों की व्यवस्था में सुधार करने पर ही उसका उचित लाभ मिल सकता है। ऐसा नहीं होने पर नई समस्याएं जन्म लेती हैं और राहगीर नियमों की अवहेलना करने को बाध्य होते हैं।
(सिर्फ सिग्नल लगाना ही एकमात्र उपाय नहीं है, दुकानों के बाहर पसरे ऐसे अतिक्रमण और इस ओवर ब्रिज की साइड की एप्रोच रोड क्लियर कराना भी जरूरी है।)
बेहतर यातायात व्यवस्था की जागी उम्मीद
भारत गौरव अभियान के संयोजक झालानी के अनुसार मौजूदा प्रशासन यातायात व्यवस्था को लेकर काफी संजीदा है। कलेक्टर और एसपी द्वारा पूर्व के दिनों में इस दिशा में काफी प्रयास किए गए हैं जिसके परिणाम नजर आ रहे हैं। झालानी द्वारा दिए सुझावों में से कुछ पर पूर्व में अमल हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनके शेष सुझावों पर भी जल्द ही संज्ञान में लिया जाएगा और आगामी दिनों में और शहर में और बेहतर यातायात व्यवस्था देखने को मिलेगी।
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डिस्केलमर
यहां उपयोग किए गए सभी फोटो केवल शहर की यातायात व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने की बानगी भर हैं। कमोबेश अन्य स्थानों पर भी ऐसे नजारे देखे जा सकते हैं, उन स्थानों पर भी जहां ट्रैफिक सिग्नल लगे हैं और वहां भी जहां सिग्नल नहीं लगे हैं।