सुनें सुनाएं 22 आज : पुणे और गुना से आ कर रचनाधर्म करेंगे अपनी प्रिय रचना का पाठ, पाबंदी सिर्फ इतनी सी है...

अब से थोड़ी देर बाद सजने वाली है सुनें सुनाएं की महफिल। आप जानते हैं न कि इस बार कौन-कौन पढ़ने वाला है अपने प्रिय रचनाकार की रचना। फिर इंतजार और औपचारिकता कैसी, चले आइये सुनें सुनाएं के 22वें सोपान में।

सुनें सुनाएं 22 आज : पुणे और गुना से आ कर रचनाधर्म करेंगे अपनी प्रिय रचना का पाठ, पाबंदी सिर्फ इतनी सी है...
सुनें सुनाएं 22 7 जुलाई को।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । 'सुनें सुनाएं ' आयोजन अब सिर्फ़ रतलाम शहर का आयोजन ही नहीं रहा है। इसकी लोकप्रियता शहर से बाहर भी पहुंच रही है । यही कारण है कि इस आयोजन में रचना पढने के लिए रचना प्रेमी बाहर से आकर रचना पाठ करने को उत्सुक हैं । इस बार शहर के महत्वपूर्ण लोगों के साथ पुणे और गुना से भी रचना प्रेमी रतलाम आकर अपनी रचना पढ़ेंगे।

'सुनें सुनाएं' का 22 वां सोपान 7 जुलाई (रविवार) को सुबह 11 बजे जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल (प्रथम तल), रतलाम पर होगा। इस बार रचना पाठ करने वालों में शहर के वरिष्ठ शिक्षाविद्, चिंतक और जनप्रतिनिधि तो शामिल हैं ही, साथ ही रतलाम से बाहर के रचना प्रेमी भी इसमें शिरकत कर रहे हैं। आयोजन में शिक्षाविद् अनीता दासानी 'अदा'  द्वारा सुशांत सुप्रिय की रचना 'धन्यवाद ज्ञापन' का पाठ किया जाएगा। रंगकर्मी श्याम सुंदर भाटी अज्ञात रचनाकार की ग़ज़ल 'भीगा - भीगा मौसम है' का पाठ करेंगे। पूर्व प्राचार्य और रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र द्वारा शरद जोशी की व्यंग्य रचना 'बरसों से हम दौड़ ही रहे हैं' का पाठ किया जाएगा तो पूर्व प्राचार्य डॉ. गीता दुबे सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की रचना ‘खाली समय में’ का पाठ करेंगी।

चिंतक विष्णु बैरागी द्वारा शमीम जयपुरी की ग़ज़ल 'भला किसी की मुहब्बत में क्या लिया मैंने' का पाठ करेंगे। गुना के सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश शर्मा इस आयोजन में रचना पाठ करने के लिए यहां आएंगे और नवाज़ देवबंदी  की नज़्म 'सोचो, आख़िर कब सोचोगे' का पाठ करेंगे। सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी एवं रंगकर्मी अनमोल सुरोलिया द्वारा हरेंद्रसिंह 'एहसास' की रचना 'तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है' का पाठ किया जाएगा। पुणे में बायो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही बुलबुल भाटी अशोक चक्रधर की रचना 'कुंए का मेंढक' का पाठ करने के लिए रतलाम आ रही हैं। शासकीय महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. प्रदीप सिंह राव अदम गोंडवी की रचना 'सौ में सत्तर आदमी' का पाठ करेंगे। पूर्व पार्षद गोविन्द काकानी द्वारा प्रहलाद दास काकानी की रचना 'गप्प है भाई गप्प' का पाठ किया जाएगा।

पाबंदी सिर्फ इतनी सी है...

उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है बल्कि अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करता है और वह भी बिना किसी भूमिका के। समय के अनुशासन की पाबंदी तो है ही। सुनें सुनाएं ने शहर के सुधिजनों से उपस्थित रहने का आग्रह किया है।