भ्रष्टाचार मामले में हमारा देश 180 देशों की सूची में 85वें स्थान पर, गत वर्ष से एक पायदान ऊपर खिसका वहीं पाकिस्तान 16 पायदान नीचे लुढ़ककर 140वें स्थान पर पहुंचा
विश्व में कौन सा देश कितना ज्यादा भ्रष्ट और कौन है इससे मुक्त, इसकी रिपोर्ट ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल संस्था जारी कर दी है। इसमें 180 देश शामिल हैं जिनमें से भारत का स्थान 85वां है।
एसीएन टाइम्स @ डेस्क । देश में भ्रष्टाचार को लेकर कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार के पैमाने वाली 180 देशों की सूची में भारत का नंबर 85वां हैं। पिछले साल के मुकाबले हमारा देश महज एक पायदान ऊपर खिसका है जो मामूली सुधार है। अगर पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो उसकी स्थिति काफी दयनीय है। पाकिस्तान बीते एक साल में भ्रष्टाचर के मामले में 16 पायदान नीचे गिरा। सूची में उसका नंबर 140वां है।
विश्व का कौन सा देश कितना भ्रष्ट है और कौन इससे मुक्त है, इसका वैश्विक सर्वेक्षण ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) नामक एजेंसी द्वारा किया जाता है। यह सर्वेक्षण में विश्व के 180 देश शामिल होते हैं। लोगों के निजी अनुभवों के आधार यह तय होता है कि किस देश में भ्रष्टाचार के मामले में सुधार हुआ और किसमें नहीं। एजेंसी द्वारा यह करप्शन इंडेक्स (Corruption index) प्रतिवर्ष जारी करता है। एजेंसी ने 2021 का करप्शन इंडेक्स मंगलवार को जारी किया। इसमें सबी 180 देशों को शून्य से 100 तक अंक दिए गए हैं। इसमें शून्य से आशय पूर्णतः भ्रष्टाचार मुक्त और 100 अंक सर्वोच्च भ्रष्ट देश से है। इन अंकों के साथ ही सभी देशों को भ्रष्टाचार के स्तर (कम से ज्यादा) के आधार पर पदक्रम नियत किया जाता है।
डेनमार्क भ्रष्टाचार मुक्त तो साउथ सूडान सबसे भ्रष्ट देश
2021 की रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार से मुक्त देशों में डेनमार्क, फिनलैंड और न्यूजीलैंड हैं सबसे ऊपर हैं। इन सभी को 88 अंक मिले हैं। वहीं सबसे नीचे 180वें स्थान पर 11 अंक के साथ साउथ सूडान है। भारत और पाकिस्तान क्रमशः 85वें और 140वें स्थान पर हैं। आंकों की बात करें तो भारत को 100 CPI स्कोर में से 40 अंक मिले वहीं पाकिस्तान को 28 मिले। 2020 के करप्शन इंडेक्स में दोनों क्रमशः 86वें और पाकिस्तान 124वें स्थान पर था। यानी बीते एक साल में भारत एक पायदान ऊपर उठा जबकि पाकिस्तान 16 पायदान नीचे गिरा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 180 में से उन 86 फीसदी देशों में शामिल है जहां 2012 के बाद से भ्रष्टाचार मुक्ति को लेकर बहुत कम या कोई प्रगति नहीं हुई। 2012 में भारत 95वें पायदान पर था।
सरकार के खिलाफ बोलने वाले बने निशाना
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल ने भारत के इस ठहराव को चिंताजनक बताया है। रिपोर्ट में देश की लोकतांत्रिक स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की गई है। यह भी बताया गया है कि देश में पत्रकार और कार्यकर्ता विशेष तौर पर जोखिम से जूझ रहे हैं। वे पुलिस, रानीजितक लोगों, उग्रवादियों, आपराधिक गिरोह तथा स्थानीय भ्रष्ट अधिकारियों के शिकार बने हैं। यहां सरकार के खिलाफ बोलने वाले नागरिकों, समाज और संगठनों को सुरक्षा, मानहानि, देशद्रोह, अभद्र भाषा और अदालत की अवमानना के आरोपों के साथ ही विदेशी फंडिंग आदि को लेकर भी निशाना बनाए गए।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन हुए लेकिन बदलाव न के बराबर हुआ
तीन साल से औसत स्कोर 45 जबकि 70 फीसदी देश 50 से नीचे की रैंक वाले हैं। भारत की ही तरह चीन को भी खराब स्कोर वाले देशों में माना गया है। एजेंसी का मानना है कि ऐसे देशों में सरकारें उसके विरुद्ध उपजने वाली असहमति को कुचलती हैं और मानव अधिकारों को भी सीमित कर देती हैं। एशिया के ऐसे देशों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों ने आंदोलन भी किए फिर भी बीते एक दशक में बहुत कम बदलाव देखने को मिला। यहां लोकलुभावन और निरंकुश नेताओं द्वारा सत्ता पर काबिज रहने के लिए भ्रष्टाचार विरोधी संदेशों का चयन कर लोगों को प्रदर्शन के लिए सड़क पर जाने से रोका गया। इसके उलट बीते एक दशक के दौरान सेशेल्स और आर्मेनिया जैसे छोटे देशों ने बड़ी प्रगति की है। यहां भ्रष्टाचार में कमी आई।
बड़े देशों की स्थिति में एक दशक में आया सुधार
इसी तरह बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में इटली, चीन, ऑस्ट्रिया, यूके और अर्जेंटीना के स्कोर में भी सुधार दर्ज किया गया। 10 वर्षों के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने 85 से 73 पर, कनाडा 84 से 74 और अमेरिका ने 73 से 67 अंक पर पहुंच कर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। 27 देश ऐसे हैं जहां 2021 में सुधार होने के बजाय स्थिति बिगड़ी।