धर्म बुद्धि का नहीं, श्रद्धा का विषय, धर्म के लिए हृदय रूपी पात्र का निर्मल होना आवश्यक है- प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी

मालव केसरी श्री सौभाग्यमल जी का मासिक पुण्य स्मरण दिवस रतलाम में मनाया गया। इस दौरान गुणानुवाद सभा में प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी ने धर्म के मर्म पर प्रकाश डाला। जप-तप के साथ हुए आयोजन में कई शहरों के धर्मानुरागी शामिल हुए।

धर्म बुद्धि का नहीं, श्रद्धा का विषय, धर्म के लिए हृदय रूपी पात्र का निर्मल होना आवश्यक है- प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी
गुणानुवाद सभा में प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी धर्म का मर्म समझाते हुए।

मालव केसरी गौभाग्यमलजी के पुण्य स्मृति दिवस पर लगा गुरुभक्तों का तांता, गुणानुवाद सभा में प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनि जी ने समझाया धर्म का मर्म

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । धर्म के लिए पात्रता होना जरूरी है। पात्रता के अभाव में धर्म टिकता नहीं है। दूध लेने के लिए पात्र साफ नहीं हो, तो दूध फट जाता है। उसी प्रकार धर्म के लिए हृदय रूपी पात्र निर्मल होना आवश्यक है। क्योंकि धर्म बुद्धि का नहीं अपितु श्रद्धा का विषय है। बुद्धि अच्छा भी कराती है और बुरा भी कराती है। इसलिए उसके सुमति और कुमति दोनों रूपों में जाना जाता है। धर्म के साथ श्रद्धा से जुड़ोगे तो हृदय में दया का भाव रहेगा। तर्क और दिमाग के साथ धर्म करना मिथ्यात्म है। केवल अच्छे कपड़े पहन लेने से कोई गुणवान नहीं होता और फटे कपड़े पहनने कोई भाग्यहीन नहीं हो जाता है। इसलिए धर्म के लिए तर्कों पर नहीं जाएं, हृदय के भाव जागृत कर अपने जीवन को सफल बनाएं।

उक्त विचार धर्मसभा में मालव केसरी गुरुदेव श्री सौभाग्यमल जी मसा के सुशिष्य प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी मसा ने धर्म के मर्म को समझाते हुए व्यक्त किए। प्रवर्तक श्री मालव केसरी गुरुदेव की के मासिक पुण्य स्मृति दिवस पर आयोजित गुणानुवाद सभा को संबोधित कर रहे थे। आयोजन सागोद रोड स्थित श्री सौभाग्य जनसाधना एवं कल्याण परिसर में जप-तप के साथ हुआ। इस मौके पर रतलाम सहित मुंबई, इंदौर, उज्जैन, कानवन-नागदा, बदनावर, खाचरौद आदि स्थानों के गुरुभक्तों ने मालव केसरी की समाधि पर पहुंचकर श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी मसा निर्भय की निश्रा में गुणानुवाद किया। समाधि परिसर में जाप के बाद धर्मसभा का आयोजन हुआ।

धर्मानुराियों ने लिए तपस्या के प्रत्याख्यान

प्रवर्तकश्री की प्रेरणा से कई धर्मानुरागियों ने तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। आरंभ में महासती श्री चंदनबालाजी ने मालव केसरीजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान सेवाभावी पूज्य श्री दर्शन मुनिजी मसा, पूज्या महासती श्री कल्पना जी, श्री चंदना जी, श्री चेतना जी, श्री महिमाजी,,श्री लाभोदया जी, श्री रमणीक कुँवरजी उपस्थित रहीं।

श्री आनंदऋषिजी एवं श्री उमेशमुनिजी का पुण्य स्मृति दिवस 28 मार्च को

संचालन रखब चत्तर ने किया। उन्होंने बताया 28 मार्च को आचार्य प्रवर श्री आनंदऋषिजी मसा एवं श्री उमेशमुनिजी मसा का पुण्य स्मृति दिवस मनेगा। 27 मार्च से प्रवर्तकश्री के व्याख्यान प्रतिदिन सुबह 9 बजे नौलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में होंगे। अंत में गौतम प्रसादी आयोजित की गई।

दीक्षा महोत्सव 6 अप्रैल को रतलाम में, वरघोड़ा 28 मार्च को इंदौर में निकलेगा

धर्मसभा में श्री सौभाग्य अणु प्रकाश दीक्षा महोत्सव समिति के संयोजक संदीप चैरड़िया ने 6 अप्रैल को होने वाले दीक्षा महोत्सव की तैयारियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रवर्तकश्री के मुखारविंद से मुमुक्षु शांतिलाल गांधी व ज्योति चैहान रतलाम में भगवती दीक्षा ग्रहण करेंगे। शनिवार को मुमुक्षु भाई एवं बहन का खाचरौद में वरघोड़ा निकला। 28 मार्च को इंदौर में वरघोड़ा निकाला जाएगा। दीक्षा महोत्सव में कई साधु एवं साध्वीगण का आगमन होगा। अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनिजी मसा इंदौर से उग्र विहारकर रतलाम आ रहे हैं। महासती रमणीक कुंवरजी दमू मसा उग्र विहार कर धराड़ तक पहुंच गई हैं। इसी प्रकार श्री धर्मलताजी मसा भी उग्र विहार कर बड़नगर से रतलाम आ रही हैं।