राजनीति को धर्म से जोड़कर समाज में विभाजन की नीतियां हावी होने से मौजूदा दौर में भगत सिंह के विचार ज्यादा प्रासंगिक

एमपी एमआर एवं एसआर यूनियन ने शहीद दिवस मनाया। इस मौके पर मौजूदा दौर में शहीद भगत सिंह की नीतियों और विचारों की प्रासंगिकता पर मंथन हुआ।

राजनीति को धर्म से जोड़कर समाज में विभाजन की नीतियां हावी होने से मौजूदा दौर में भगत सिंह के विचार ज्यादा प्रासंगिक
संगोष्ठी को संबोधित करते अश्विनी शर्मा।

एमपी एमआर एवं एसआर एसोसिएशन द्वारा शहीद दिवस पर भगत सिंह के विचार और वर्तमान में उनकी प्रासंगिता विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ता बोले

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । आज 23 मार्च 2024 को हम शहीद ए आजम भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव का 93वाँ शहीद दिवस मना रहे हैं। आज के दौर में जब देश में धर्मांधता व सांप्रदायिकता का उन्माद फैलाते हुए राजनीति को धर्म से जोड़कर समाज में विभाजन की नीतियां हावी हो रही हैं, तब भगत सिंह के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं।

यह बात एमआर एवं एसआर यूनियन कार्यालय में आयोजित शहीद दिवस के अवसर पर आई. एल. पुरोहित ने कही। वे यूनियन द्वारा आयोजित संगोष्ठी में वर्तमान दौर में भगत सिंह की नीतियों की प्रासंगिकता पर बोल रहे थे। पुरोहित ने कहा कि वर्तमान में भारत सैकड़ों साल से चली आ रही सांप्रदायिकता की समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए धर्म को राजनीति से अलग करना चाहिए। झगड़ा मिटाने का यह भी एक सुंदर इलाज है। सभा को जनवादी लेखक मंच के रणजीत सिंह और एम. एल. नागावत ने भी सम्बोधित किया।

मजदूर, किसान और सर्वहारा वर्ग संगठित होकर संघर्ष करे- शर्मा

यूनियन के प्रादेशिक उपाध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में इस बात की आवश्यकता है कि सभी मेहनतकश, किसान, मजदूर और सर्वहारा वर्ग संगठित हो कर संघर्ष करे। श्रमिकों के लिए चार काली श्रम संहिताओं को लाकर अंग्रेजों से लड़कर जो श्रम कानून हासिल किए थे, उन्हें खत्म कर अंग्रेजों से भी ज्यादा कठोर श्रम संहिताएं थोपी जा रही हैं। इसके चलते वेतन, भत्ते, छुट्टियां, पेंशन, प्रोविडेंट फंड, बीमा, यूनियन बनाने के अधिकार, यूनियन के पंजीयन को बनाए रखने के नियम तथा हड़ताल करने के संवैधानिक अधिकार को ही खत्म किया जा रहा है।

शर्मा ने कहा कि दवा प्रतिनिधियों ने लंबे संघर्ष के बाद सेल्स प्रमोशन एम्पलाइज एक्ट हासिल किया था। इसके कारण उन्हें वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्युट एक्ट, मिनिमम वेजेस एक्ट, मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट जैसे श्रम कानून का लाभ प्राप्त था। श्रम संहिताओं के लागू होते ही इन सभी श्रम कानून के लाभ से वंचित हो जाएंगे।

श्रम संहिताएं छीन रहीं अधिकार

शर्मा ने बताया कि इस केंद्र सरकार द्वारा इन श्रम संहिताओं में अवकाश लाभ में भी कटौतियां की गईं। सवैतनिक अवकाश की सीमा 180 से घटकर 90 दिन कर दी गई है। इसका लाभ भी वास्तविक वेतन की जगह गत 12 माह की औसत वेतन के आधार पर दिया जाएगा। नौकरी छोड़ने की दशा में यह 120 दिन की जगह मात्र 30 दिन का कर दिया गया है। सभी चार संहिताओं में अस्पष्टता के कारण नियोक्ताओं को इन कानून के उल्लंघन का असीमित अवसर मिलता है। शर्मा ने कहा कि एकजुट होकर संघर्ष करें एवं भगत सिंह के विचारों को साकार कर नए भारत के निर्माण में अपना योगदान दें। इस मौके पर एमपी एमआर एसआर यूनियन रतलाम के अध्यक्ष अभिषेक जैन भी उपस्थित रहे।