किताबें प्रकाश पुंज की तरह होती हैं और पुस्तकालय का महत्व आज भी कायम - प्रो. रतन चौहान

प्रोग्रेसिव स्टडी सर्कल ने शहीद दिवस के उपलक्ष्य में भगत सिंह पुस्तकालय का शुभारंभ किया। इस मौके पर वक्ताओं ने पुस्तकों के महत्व पर प्रकाश डाला।

किताबें प्रकाश पुंज की तरह होती हैं और पुस्तकालय का महत्व आज भी कायम - प्रो. रतन चौहान
प्रोग्रेसिव स्टडी सर्कल द्वारा भगत सिंह पुस्तकालय का शुभारंभ किया गया।

भगत सिंह पुस्तकालय के शुभारंभ अवसर पर कहा 

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । पुस्तकें प्रकाश पुंज की तरह होती हैं। पुस्तकों से प्रेम करने वाला वैचारिक रूप से समृद्ध होता है। हाथ में पुस्तक होती है तो आंखों में ज्ञान की इबारत लिखी जाती है। नई पीढ़ी में ज्ञान की यह इबारत लिखना बहुत ज़रूरी है। इसलिए पुस्तकालय का महत्व का आज भी कायम है।

उक्त विचार प्रोग्रेसिव स्टडी सर्किल द्वारा शहीद ए आज़म भगत सिंह की स्मृति में आयोजित सभा में वरिष्ठ कवि एवं अनुवादक प्रो. रतन चौहान में व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने भगत सिंह पुस्तकालय की शुरुआत भी की। उन्होंने कहा कि वैचारिक स्तर पर समृद्ध होने के लिए पुस्तकों के संस्कार हमारे जीवन में शामिल होने चाहिए।

भगत सिंह पुस्तकों को पढ़कर ही समृद्ध हुए- दशोत्तर

साहित्यकार एवं भगत सिंह की पत्रकारिता पर पुस्तक 'समर में शब्द' के लेखक आशीष दशोत्तर ने कहा कि भगत सिंह पुस्तकों को पढ़कर ही समृद्ध हुए थे। उन्होंने अपने क्रांतिकारी मित्रों के साथ आगरा में पुस्तकालय की स्थापना की थी जिसमें दुनिया के महान अर्थशास्त्रियों एवं क्रांतिकारियों की पुस्तकें समाहित थीं। भगत सिंह का जीवन शब्दों के संस्कार और पुस्तकें पढ़कर ही समृद्ध हुआ। ‌ यह पुस्तकालय भी भगत सिंह की तरह प्रेरक साबित होगा।

भगत सिंह के विचारों को जनमानस में ले जाने की जरूरत- शर्मा

श्रमिक नेता एवं मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा कि भगत सिंह के विचारों को बंद कमरों से निकालकर जनमानस में ले जाने की ज़रूरत है। आज के वातावरण में भगत सिंह के मौलिक विचारों की बहुत ज़रूरत है। समाज को ये विचार राह दिखा सकते हैं।

सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक खुला रहेगा पुस्तकालय

प्रोग्रेसिव स्टडी सर्किल के मांगीलाल नागावत ने कहा कि मसीही कम्पाउन्ड में यह पुस्तकालय प्रतिदिन सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक खुला रहेगा। इसमें दो हज़ार से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं।  ये पुस्तकें दिवंगत साहित्यकार रमेश शर्मा, जयप्रकाश जयसवाल, अवध नारायण जायसवाल, सी. बी. राठौर के परिवारों द्वारा प्रदत्त पुस्तकों से स्थापित किया गया है। इस पुस्तकालय को और निरंतर समृद्ध किया जाता रहेगा।

इन्होंने भी विचार व्यक्त किए

इस अवसर पर सिद्दीक़ रतलामी, कीर्ति शर्मा, मदनलाल यादव, चरण सिंह यादव, नरेंद्र सिंह चौहान, जयवंत गुप्ते, जितेंद्र सिंह भूरिया, कला डामर, गीता राठौर, करमचंद निनामा ने भी भगत सिंह के जीवन पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। अंत में रणजीत सिंह राठौर ने आभार व्यक्त किया।