MP में खेल-खिलाड़ियों का ऐसा हाल : सरकार के पास जिस दिव्यांग खिलाड़ी अब्दुल के लिए सुविधा है ना ही स्कॉलरशिप उसे पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया ने ऐसे दिया सम्मान
मप्र में खेल और खिलाड़ियों को सुविधा देन के मामले में स्थिति खराब है। राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों तक को पर्याप्त सुविधाएं व संसाधन नहीं मिल पाते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण रतलाम का दिव्यांग खिलाड़ी अब्दुल कादिर है जिसे प्रैक्टिस के लिए काफी समय से बंद स्वीमिंग पूल तक नहीं शुरू किया जा रहा है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर उसे खिलाड़ियों का ऑइकन मानते हुए उसे सम्मान दिया जा रहा है।
उदयपर में 25 मार्च से होने वाली 21वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता के आमंत्रण-कार्ड पर छापे अब्दुल के फोटो
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । 21वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता 25 मार्च से उदयपुर में होगी। इसमें देशभर के 400 से अधिक खिलाड़ी अपनी प्रतिभा और क्षमता का लोहा मनवाएंगे। ऐसा ही एक नायाब खिलाड़ी हमारे रतलाम में भी है जिसे आयोजकों ने खास तौर पर सम्मान दिया है। पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा छपवाए गए आमंत्रण-पत्र हमारे जादुई तैराक अब्दुल कादिर का फोटो प्रकाशित किया है जो रतलाम और प्रदेशवासियों के लिए गौरव की बात है। हालांकि मप्र सरकार और स्थानीय जिम्मेदारों के पास अब्दुल को देने के लिए न तो प्रैक्टिस जैसी मूलभूत सुविधा है और ना ही स्कॉलरशिप।
हम आज मप्र के खिलाड़ियों की नीयति के दो पक्ष बता रहे हैं। एक पक्ष उजला है तो एक काला। यूं तो प्रदेश में ज्यादातर खिलाड़ियों की स्थिति सुविधा और संसाधन के मामले में अच्छी हीं लेकिन यहां हम एक ही ताजा उदाहरण के माध्यम स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। सबसे पहले उजले पक्ष की बात होगी क्योंकि हमें सकारात्मक रहना सिखाया गया है और हम नहीं चाहते कि काले पक्ष की छाया अपनी प्रतिभा के दम पर लोहा मनवा रहे हमारे खिलाड़ियों के मन-मस्तिष्क पर पड़े।
उजला पक्ष : हमारे अब्दुल कादिर को राष्ट्रीय स्तर पर मिला सम्मान
ये है बात उस अब्दुल कादिर की जिसके दोनों हाथ नहीं हैं लेकिन जब वह तैरता है तो अच्छे-अच्छे तैराक भी दातों तले उंगली दबा लेते हैं और देखने वाले भी हतप्रभ रहजाते हैं। अब्दुल के दोनों हाथ भोपाल में हुए एक हादसे के दौरान हाईटेंशन लाइन से छू जाने से बुरी तरह झुलस गए थे। नतीजतन उसके दोनों हाथों को कंधे से काट कर अलग करना पड़ा। किसी के हाथ की एक उंगली में मामूली चोट भी आ जाए तो कई काम प्रभावित हो जाते हैं वहीं दोनों हाथ गंवाने के बाद भी अब्दुल ने राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में चमत्कारिक प्रदर्शन कर ना सिर्फ अवॉर्ड जीते बल्कि दिव्यांग खिलाड़ियों और बच्चों के लिए यह एक आइकॉन भी बन गया। उसकी इसी प्रतिभा, हौसले और जज्बे को सम्मान देते हुए पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया ने 21वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी स्पर्धा के आमंत्रण-पत्र में दो-दो फोटो प्रकाशित किए हैं। एक फोटो आमंत्रण पत्र पर और एक उसके कवर पर प्रकाशित किया गया है जो दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रेरित कर रहा है।
25 मार्च को होना है राष्ट्रीय स्पर्धा : अब्दुल कादिर के प्रशिक्षक राजा राठौड़ के अनुसार 21वीं राष्ट्रीय पैरालंपिक तैराक प्रतियोगिता 25 मार्च को सुबह 11.30 बजे तरणताल महाराणा प्रताप खेलगांव उदयपुर (राजस्थान) में शुरू होगी। समापन 27 मार्च को सुबह 11.30 बजे होगा। स्पर्धा के मुख्य आयोजक नारायण सेवा संस्थान उदयपुर और सह-प्रायोजक महाराणा प्रताप खेलगांव सोसायटी उदयपुर हैं। स्पर्धा में श्रवण बाधित, प्रज्ञाचक्षु, बौद्धिक अक्षम, अंग विहीन 400 से ज्यादा खिलाड़ी किस्मत आजमाएंगे। अब्दुल कादिर और आमंत्रण-पत्र पर छपा उसका फोटो इन सभी दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए रोल मॉडल साबित हो रहा है।
काला पक्ष : तैराकी की प्रैक्टिस के लिए स्वीमिंग पूल जैसी सुविधा भी नहीं उपलब्ध
जिस अब्दुल कादिर को पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया ने इतना बड़ा सम्मान दिया है और जिसमें उसे दिव्यांग बच्चों का ऑइकन नजर आया उसके लिए प्रदेश सरकार और स्थानीय जिम्मेदारी मूलभूत सुविधा तक मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। स्थानीय जिम्मेदारों से सुविधाओं के बजाय सिर्फ आश्वासन ही मिलते रहते हैं। रतलाम में नगर निगम का स्वीमिंग पूल बंद होने से उसे प्रैक्टिस के लिए दूसरे शहरों का रुख करना पड़ रहा है। इस समस्या की ओर गत 5 मार्च को रतलाम कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम से अब्दुल कादिर के प्रशिक्षक राजा राठौड़ ने निवेदन किया था। कलेक्टर ने उसी समय मौके पर मौजूद नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया को निर्देशित किया। बावजूद कोई हल नहीं निकला। नतीजतन अब्दुल को पिछले दिनों आयोजित राष्ट्रीय स्तर की एक स्पर्धा के लिए उसे ग्वालियर जाकर प्रैक्टिस करना पड़ी थी। ऐसा पहले भी हो चुका है। तैराकी की प्रैक्टिस के लिए स्वीमिंग पूल की सुविधा तो दूर, प्रदेश सरकार और खेल एवं युवक कल्याण विभाग के पास उसे देने के लिए स्कॉलरशिप तक नहीं है।