डॉक्टर साहब बंदूक वाले ! ये सिविल सर्जन स्टेथिस्कोप से नहीं बल्कि रिवॉल्वर से करते हैं 'इलाज', भूलकर भी न लें इनसे पंगा, वरना...

क्या आप रिवॉल्वर वाले डॉक्टर या सिविल सर्जन को जानते है ? अगर नहीं जानते हैं तो यह खबर पढ़ लीजिए। पढ़ कर प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा।

डॉक्टर साहब बंदूक वाले ! ये सिविल सर्जन स्टेथिस्कोप से नहीं बल्कि रिवॉल्वर से करते हैं 'इलाज', भूलकर भी न लें इनसे पंगा, वरना...
मिलिए रिवॉल्वर वाले डॉक्टर साहब से।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । आपने गले में स्टेथिस्कोप लटका कर घूमने वाले डॉक्टर तो बहुत देखे होंगे लेकिन आज हम आपको रिवॉल्वर वाले डॉक्टर साहब से मिलवा रहे हैं। ये हैं रतलाम के सिविल सर्जन सह जिला अस्पताल अधीक्षक डॉ. एम. एस. सागर जो इन दिनों रिवॉल्वर के साथ ड्यूटी करते देखे जा सकते हैं। शांतिप्रिय कहलाने वाले रतलाम में इस तरह रिवॉल्वर लेकर नौकरी करने की क्या वजह है, यह न तो अधीनस्थ स्टाफ समझ पा रहा है और न ही डॉक्टर, मरीज और उनके सेवादार।

बताया जा रहा है कि सिविल सर्जन डॉ. सागर ने पिछले दिनों अपने साथ हुई मारपीट की घटना के बाद से रिवॉल्वर रखना शुरू किया है। उनकी रिवॉल्वर ठीक उसी प्रकार देखी जा सकती है जिस प्रकार पुलिस अधिकारियों के पास नजर आती है। यह रिवॉल्वर उनके पास ड्यूटी के दौरान मौजूद रहती है, फिर चाहे वे अधीनस्थ अमले की मीटिंग ले रहे हों अथवा मरीजों का इलाज कर रहे हों। एक डॉक्टर के हाथ में स्टेथिस्कोप की जगह कमर में रिवॉल्वर टंगी देखकर लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं, वहीं कुछ डरे हुए भी हैं।

आखिर क्यों रखना पड़ रही रिवॉल्वर ?

रतलाम शांतिप्रिय माना जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं शांतिप्रिय होने का दावा झूठा तो नहीं है। अगर वाकई रतलाम शांतिप्रिय और सुरक्षित है तो फिर इस तरह किसी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी (पुलिस को छोड़कर) को रिवॉल्वर लेकर ड्यूटी क्यों करनी पड़ रही है, वह भी धरती का भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर को।

एसीएन टाइम्स ने इस सवाल का जवाब जानने के लिए सिविल सर्जन डॉ. सागर से बीते चार दिन में दूरभाष के जरिए कई बार संपर्क साधने का प्रयास किया। उन्हें वाट्सएप के माध्यम से सवाल भी भेजे। बता दें कि, अभी तक हमें इन प्रयासों में सफलता नहीं मिल सकी है। सिविल सर्जन डॉ. सागर से न तो किए गए मोबाइल फोन कॉल का प्रत्युत्तर मिला और न ही वाट्सएप के संदेशों का। यदि कोई प्रत्युत्तर मिला तो अपडेट जरूर किया जाएगा।

ये सवाल भेजे सिविल सर्जन को

  • सर, पता चला है कि इन दिनों आपको ड्यूटी के समय रिवॉल्वर रखनी पड़ रही है ?
  • आखिर एक अधिकारी, वह भी चिकित्सक को रिवॉल्वर क्यों साथ में रखनी पड़ रही है, जबकि रतलाम को काफी शांतिप्रिय माना जाता है ?
  • क्या रतलाम और यहां के जिला अस्पताल का माहौल इतना ज्यादा खराब है कि धरती का भगवान समझे जाने वाले चिकित्सकों को भी अस्त्र / शस्त्र रखने पड़ें ?
  • आपको यहां किससे या किस बात को लेकर भय या आशंका है ?
  • क्या ड्यूटी के समय एक प्रशासनिक अधिकारी द्वारा रिवॉल्वर रखने से अधीनस्थ डॉक्टर, कर्मचारी, मरीजों और उनके सेवादारों में भय व्याप्त नहीं होगा ?
  • क्या इस तरह रिवॉल्वर पास में रखने से कभी कोई अप्रिय घटना घटित होने का अंदेशा नहीं रहेगा ?
  • क्या जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था में खामी है जिसके चलते यहां लोगों को जान या माल का खतरा उत्पन्न हो गया है ?
  • यदि जिला अस्पताल और रतलाम में सुरक्षा को लेकर हालात बेकाबू हैं तो क्या आप अन्य डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, अधीनस्थ स्टाफ यहां तक कि मरीजों और उनके परिजन को भी अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए आपकी ही तरह हथियार रखने की सलाह देंगे ?

जहां भी पदस्थ रहे विवाद साथ रहे

बताया जा रहा है कि रतलाम या इससे पहले जहां भी डॉ. सागर पदस्थ रहे हैं, विवाद उनके साथ जुड़े ही रहे हैं। अधीनस्थ स्टाफ, डॉक्टर, मरीजों के परिजन तथा मीडिया से भी बेरुखे व्यवहार को लेकर तमाम मामले पूर्व में सुर्खियां बन चुके हैं। ताजा घटनाक्रम तो जिला अस्पताल का ही है जहां के सिविल सर्जन कक्ष में ही उनके साथ मारपीट का मामला सामने आया। उक्त मामले को लेकर डॉ. सागर की शिकायत पर तीन आरोपियों के विरुद्ध डॉक्टर प्रोटेक्शन एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ। इनमें से एक आरोपी जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. जीवन चौहान का वाहन चालक रह चुका है। डॉ. सागर द्वारा पुलिस को दिए बयान के अनुसार तीनों ने डॉ. जीवन चौहान व एक अन्य डॉक्टर के इशारे पर उनके साथ मारपीट की। हालांकि, दोनों ही डॉक्टर उनके इस आरोप को निराधार बता चुके हैं। इसी दौरान एक आरोपी की मां के मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए डॉ. सागर द्वारा 15 हजार रुपए मांगने के आरोप भी लग चुके हैं।

महापौर डॉ. यार्दे भी रखती थीं रिवॉल्वर

बता दें कि, इससे पहले रतलाम शहर की एक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीता यार्दे भी महापौर रहते हुए अपने साथ रिवॉल्वर रखती थीं। वे नगर निगम परिषद सहित सभी सार्वजनिक आयोजनों में भी रिवॉल्वर लेकर ही जाती थीं। दरअसल, उन्हें सामाजिक कार्यों और वनवासी समाज के उपचार के लिए नक्सली व अन्य दूरस्थ इलाकों में इलाज हेतु जाना पड़ता था। अतः वे सुरक्षा के लिहाज से अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर साथ लेकर ही चलती थीं। 

डिस्क्लेमर

यह खबर सिर्फ एसीएन टाइम्स के रीडर्स को ताजा घटनाक्रम से अपडेट रखने के लिए है। हमारी विनम्र सलाह है कि इसे पढ़कर आप सिविल सर्जन डॉ. एम. एस. सागर के व्यवहार, कार्यप्रणाली और स्वभाव को लेकर किसी प्रकार की गलत धारणा न बना लें। मीडिया के या आमजनता के हर सवाल का कोई जवाब दे ही। यह भी तो हो सकता है कि वे ड्यूटी के वक्त अपने साथ रिवॉल्वर रखने की वजह बताना चाहते हों लेकिन काम की अधिकता के चलते उन्हें हमारे सवालों का जवाब देने के लिए वक्त नहीं मिला। डॉ. सागर रिवॉल्वर कमर में टंगी सभी को नजर आती है। इससे साफ है कि वह लाइसेंसी ही होगी जो उन्होंने आत्मरक्षा के लिए ही ली होगी। जरूरी नहीं कि वे किसी से डरते हैं और अपने डर पर काबू पाने के लिए अथवा लोगों को डराने के लिए रिवॉल्वर साथ में रखते हैं। वैसे भी वे जिस क्षेत्र से आते हैं, वहां हथियार साथ में रखना सामान्य बात है।