शाबाश ! यह मजदूर नहीं, रतलाम के महापौर प्रहलाद पटेल हैं जो जलसंकट से जूझती जनता के लिए डेम से गाद निकालने खुद दल-दल में उतर गए, देखें वीडियो...

धोलावड़ में जलस्तर कम होने से बिगड़ी शहर की जलप्रदाय व्यवस्था। महापौर प्रहलाद पटेल स्थिति का जायजा लेने पहुंचे तो खुद ही दलदल में उतर कर हटाने लगे गाद ताकि कैनाल तक पहुंच सके पानी।

शाबाश ! यह मजदूर नहीं, रतलाम के महापौर प्रहलाद पटेल हैं जो जलसंकट से जूझती जनता के लिए डेम से गाद निकालने खुद दल-दल में उतर गए, देखें वीडियो...
गाद निकालता यह कोई मजदूर नहीं, रतलाम महापौर प्रहलाद पटेल हैं।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहरवासियों को उस समय अपने निर्णय पर गर्व की अनुभूति हुई जब उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हुए धोलावड़ डेम में मजदूरों की तरह गाद निकाल रहे अपने युवा महापौर प्रहलाद पटेल का वीडियो देखा। जिस जगह पर अभी तक मशीनों से ही गाद निकालने का काम होता आया है वहां महापौर को फावड़ा चलाते देखना अलग-अलग तरह का अनुभव था। पटेल ने ऐसा करते हुए जान के जोखिम की परवाह भी नहीं जिसके लिए उनकी हर तरफ काफी चर्चा हो रही है।

दरअसल, विगत कई दिनों से शहर में जलप्रदाय बाधित हो रहा था। इसकी वजह धालावड़ जलाशय में जलस्तर कम होना रहा। धोलावड़ में पूर्व के वर्षों की अपेक्षा अभी करीब 60 सेंटीमीटर जलस्तर घट गया था। इससे यहां स्थित जैकवेल से पानी दूर हो गया। ऐसे में दूर स्थित पानी को कैनाल और सपोर्टिंग पम्प की मदद से पानी को जैकवेल तक पहुंचाया जाता है और वहां से आगे सप्लाई होता है। सुरक्षित पानी जिस स्थान से होकर कैनाल तक पानी पहुंचता है वहां काफी गाद जमा होने से परेशानी आ रही थी। यही कारण है कि धोलावड़ में लगे दो में से एक पम्प चल ही नहीं पा रहा था।

गाद के कारण कैनाल तक नहीं पहुंच रहा था पानी

समस्या जानने और समाधान तलाशने नगर निगम का अमला धोलावड़ पहुंचा। महापौर प्रहलाद पटेल भी साथ थे। सारी स्थिति और व्यवस्थाओं देखने के बाद महापौर पटेल डेम के अंतिम छोर पहुंचे। वहां उन्होंने पाया कि दल-दल होने के कारण पानी अस्थायी कैनाल तक नहीं पहुंच पा रहा है। इससे पम्प को भी पूरी क्षमता से पानी नहीं मिल पा रहा है। इस गाद को हटाने के लिए मौके पर मौजूद अमले द्वारा पोकलेन भेजने के लिए संबंधित अधिकारियों को सूचना दे दी गई थी जिसे आने में वक्त लग रहा था। इस दौरान महापौर ने गौर किया तो उन्हें यह अहसास हुआ कि गाद को पोकलेन के बगैर इंसानों द्वारा भी हटाया जा सकता है। उन्होंने यह बात धोलावाड़ डेम पर काम कर रहे कर्मचारी से साझा की। कर्मचारी ने कहा कि वहां काफी दल-दल है। कठोर चट्टान नहीं होने से खड़ा रहना संभव नहीं। ऐसे में काम करना जोखिम भरा हो सकता है।

जोखिम से नजदीक का रिस्ता होने से नहीं हुए प्रभावित

शहर की जनता पानी का संकट झेल रही थी इसलिए महापौर पटेल ने कर्मचारी की बात पर ज्यादा गौर नहीं किया। खेती-किसानी में ऐसे जोखिम आम बात है और पटेल खुद भी एक किसान के बेटे हैं। खेतों में काम करना भी जानते हैं इसलिए उन्होंने जरा भी देर नहीं की और फावड़े की व्यवस्था करने के लिए कहा। कुछ देर में फावड़ा उन तक पहुंच गया और वे बिना समय गंवाए गाद निकालने के लिए डेम में उतर गए। जोखिम की परवाह किए बिना उन्होंने गाद हटानी शुरू कर दी।

माथे पर मोती बनकर चमका जीत का पसीना

महापौर को इतनी शिद्दत से काम करते देख वहां मौजूद कर्मचारी खुद को रोक नहीं सकी और वह भी उनकी मदद करने लगा। प्रयास रंग लगाए और दोनों ने मिल कर कैनाल में पानी जाने में बाधक बन रही गाद हटा दी। गाद हटते ही कैनाल में जलस्तर बढ़ गया और पम्प को भी भरपूर पानी मिलने लगा। जब तक गाद हटाने के लिए नगर निगम की पोकलेन मौके पर पहुंचती, महापौर पटेल और कर्मचारी काम को अंजाम दे चुके थे। दोनों के चेहरे पर जनहित के लिए की गई मेहनत में मिली जीत का पसीना मोती बनकर चमक रहा था।

काफी अंतराल के बाद पोकलेन मशीन आई और उसने दूसरे इलाके की गाद हटाने का काम शुरू किया। महापौर पटेल ने उम्मीद जताई है कि अब शहर में जलसंकट का समाधान हो सकेगा।