घर से भटके 75 वर्षीय बुजुर्ग अपनों से मिले तो चेहरा खिल उठा, समाजसेवी काकानी के प्रयासों से बनी बात 

गुजरात के अहमदाबाद के एक बुजुर्ग घर से भटक कर रतलाम आ पहुंचे। रतलाम के समाजसेवी गोविंद काकानी की समद से बुजुर्ग परिजन से मिल सके।

घर से भटके 75 वर्षीय बुजुर्ग अपनों से मिले तो चेहरा खिल उठा, समाजसेवी काकानी के प्रयासों से बनी बात 
बुजुर्ग हंसराज के साथ समाजसेवी काकानी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । बिछड़ों को अपनों से मिलाना आसान काम नहीं है लेकिन समाजसेवी गोविंद काकानी को इसी में आनंद आता है। अब तक कई बिछड़े हुए लोगों को परिजन से मिला चुके काकानी की मेहनत ने बोलने में असमर्थ 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को गुजरात में रह रहे उनके परिजन से मिलवा दिया। बुजुर्ग के परिजन सहित अन्य काकानी के इस कार्य की सराहना कर रहे हैं।

मामला यूं है कि गत 11 अप्रैल की रात करीब 8 बजे समाजसेवी गोविंद काकानी के मोबाइल पर कॉल आई। बताया गया कि 75 वर्षीय एक वृद्ध जावरा रोड पर बीमार हालत में हैं। उन्होंने सुबह से कुछ खाया भी नहीं। आप मदद करें। समाजसेवी काकानी ने बिना समय गंवाए उन्हें ऑटो रिक्शा से उन्हें जिला अस्पताल बुलवा लिया। बुजुर्ग का परीक्षण डॉ. रक्षित अग्रवाल ने किया और आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया। इस दौरान बुजुर्ग लगातार रोए जा रहे थे। काकानी ने आत्मीयता के साथ बिस्किट खिलाए तो रोना बंद हो गया। दवाई दी गई जिसके बाद बुजुर्ग सो गए।

बुजुर्ग हंसराज के साथ उनके परिजन और समजसेवी गोविंद काकानी।

चूंकि बुजुर्ग बोने में असमर्थ थे इसलिए वे अपना पता आदि नहीं बता पा रहे थे। इससे प्रतिदिन सुबह नाश्ते के समय वृद्ध से इशारों-इशारों में बात शुरू हुई। पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन उनके हाव-भाव से यह स्पष्ट हो गया कि वे किसी संपन्न परिवार से हैं। उन्हें के कार्डबोर्ड और पेन दिया गया ताकि वे अपना नाम-पता आदि लिख सकें। आइडिया काम आया और उन्होंने कार्डबोर्ड पर एक नक्शा बना दिया। नक्शे के अनुसार उनके अहमदाबाद का होना स्पष्ट हो गया। 

गुजरात निवासी हंसराज द्वारा बनाया गया नक्शा जिसने आसान की उनके परिजन की खोज।

बुजुर्ग ने कार्डबोर्ड पर जो नक्शा बनाया उसमें रेल की पटरी, अपना मकान, इन दोनों के बीच करीब 8 किमी की दूरी आदि का उल्लेख करते हुए वैसा ही नक्शा बनाया जैसा किसी इंजीनियर ने बनाया हो। नर्स प्रियंका पाटीदार ने इंटरनेट के माध्यम से अपने भाई पृथ्वी वाघासिया निवासी सूरत के मित्र अनिकेत डोबरिया से संपर्क साथा। डोबरिया बुजुर्ग के परिवार को जानते थे। उन्होंने बुजुर्ग के रतलाम जिला अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी गई।

परजिन से मिलते ही खिल उठे चेहरे

बुजुर्ग का छोटा बेटा भरत सियानी, बड़े भाई का लड़का (पोता) कौशल सियानी कार से देर शाम रतलाम पहुंचे। इसकी जानकारी इंचार्ज नर्स ने समाजसेवी व रोगी कल्याण समिति सदस्य गोविंद काकानी को दी जिन्होंने अस्पताल पहुंच कर बुजुर्ग को उनके परिजन से मिलवाया। भरत सियानी के अनुसार 10 अप्रैल को सुबह 8 बजे (रामनवमी) अहमदाबाद से हंसराज पिता पोपट सियानी (75) निवासी शिव कृपा सोसायटी, सुंदरवन पार्क के पास, निकोल रोड, अहमदाबाद (गुजरात) से कहीं चले गए थे। बहुत खोजबीन के बाद भी वे नहीं मिले।

इस पर उनकी गुमशुदा की रिपोर्ट पुलिस थाने में कराई गई। समाचार मिलते ही हम रतलाम पहुंचे। आइसोलेशन वार्ड में हंसराज से परिवार मिले तो वे काकानी से लिपट गए और घर जाने को तैयार नहीं हुए। उनके बोते को आगे आकर वादा करवाया गया कि वे बुजुर्ग हंसि पोते को आगेकर उनसे वादा करवाया कि वे काकानी से मिलवाने रतलाम वापस लाएंगे। तब जाकर हंसराज अपने घर की ओर रवाना हुए।

इस दौरान ये रहे मौजूद, जताई कृतज्ञता

दादी, भरत भाई, पोता कौशल भाई सियानी,  दो बहने व उनका परिवार  सदस्यों ने काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव एवं रोगी कल्याण समिति सदस्य काकानी, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, अस्पताल प्रशासन, डॉक्टर, सिस्टर पुष्पा गुर्जर, अर्चना परमार, पुष्पा डोडियार, निशा जीजोटे, सोनी बनावा, आरती कुशवाहा, वर्षा पटेल, लक्ष्मी डोडियार, प्रियंका पाटीदार, कमीला बाबेरिया, कांतामाल, वार्ड बॉय गजेंद्र, जितेंद्र सहित सभी समाजसेवी बंधुओं के सराहनीय सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद प्रकट किया।