साहित्यकार अज़हर हाशमी अस्वस्थ थे, हमारी प्रार्थनाओं से पूरी तरह स्वस्थ होकर रचनाधर्मिता का परचम लिए गा रहें हैं, मुस्कुरा रहें हैं, आप भी सुनिए उनकी यह रचना...
सेवानिवृत्त उप संचालक अभियोजन एडवोकेट कैलाश व्यास के अनुरोध पर साहित्सकार एवं कवि अज़हर हाशमी द्वारा प्रस्तुत यह रचना आप भी सुनें और उत्सवी माहौल में आनंदित हों...।
है मधुर पदचाप जिसकी,
ढोलकों पे थाप जिसकी
शारदा के अक्षरों में
कोकिला कूजित सुरों में
बोलता है कौन ?
बोलता है कौन ?
उपरोक्त पंक्तियों के रचयिता अज़हर हाशमी साहब से आज लम्बे अंतराल के बाद मुलाकात हुई। आपको ज्ञात होंगा वे काफी समय से अस्वस्थ थे। किंतु अनगिनत प्रार्थनाओं ने दुर्ग जीत लिया, और पूरी तरह स्वस्थ होकर रचनाधर्मिता का परचम लिये गा रहें हैं, मुस्कुरा रहें हैं।
मैंने निवेदन किया, सर कुछ गुनगुना दीजिये, ताकि आज का उत्सवीय दिवस हमारे लिये ज्यादा आनंददायी हो जाये। तो सर को सुनिये।
- एडवोकेट कैलाश व्यास, (सेवानिवृत उप संचालक- अभियोजन)