धार्मिक आयोजन का ऐसा सदुपयोग : ‘गणेश पंडालों’ व ‘जश्न-ए-ईद मिलाद-उन-नबी’ के जुलूस में ‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’ का संदेश दिया, रंगोली बनाई, कन्या पूजन किया, शपथ भी ली

महिला एवं बाल विकास विभाग ने बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ अभियान को गति देने के लिए त्योहारों के दौरान विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर शपथ दिलाई।

धार्मिक आयोजन का ऐसा सदुपयोग : ‘गणेश पंडालों’ व ‘जश्न-ए-ईद मिलाद-उन-नबी’ के जुलूस में ‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’ का संदेश दिया, रंगोली बनाई, कन्या पूजन किया, शपथ भी ली
गणेशोत्सव के दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संकल्प दिलाती यशोदा राजावत (टांक)

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । तीज-त्योहारों का महत्व व्यापक है। इसकी सार्थकता साबित करने का अनूठा प्रयास महिला एवं बाल विकास विभाग ने किया। विभाग के अमले ने गणेशोत्सव के पंडालों और ईद मिलाद-उन-नबी के जुलूस जैसे आयोजनों का ‘बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ’ का संदेश देने के लिए सदुपयोग किया। इस दौरान कहीं रंगोली बनी, कहीं कन्या पूजन हुआ तो कहीं शपथ।

महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने यह पहल जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा, सहायक संचालक एवं हब की नोडल अधिकारी अंकिता पंड्या के सफल मार्गदर्शन एवं कुशल नेतृत्व में संभव हो सका। इस दौरान भारत शासन द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं के हितार्थ ‘मिशन शक्ति’ की इकाई हब के अन्तर्गत् 100 दिवसीय गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इसके 14वें सप्ताह को ‘बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ के साथ लाम बंदी सप्ताह’ मनाया गया।

बेटी के महत्व को स्वीकारा

सप्ताह के दौरान गणेश पंडालों में बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ पर रंगोली बनाने और कन्या पूजा किया गया। लोगों को इसके लिए शपथ भी दिलवाई गई। वहीं ‘ईद मिलाद-उन-नबी’ के अवसर पर निकले जुलूस के स्वागत के लिए लगाए गए बैनरों में बेटी की महत्ता को स्वीकार कर बेटियों का स्वागत किया गया। ट’बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ’ की शपथ भी ली। जिले में संचालित वन स्टॉप सेंटर द्वारा कार्यालीयन स्टाफ व समुदाय को भी ‘बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ’ की शपथ दिलाई गई। 

इसलिए चुना धार्मिक आयोजनों को

महिला एवं बाल विकास विभाग की यशोदा राजावत (टांक) ने बताया कि विभाग ने इस पुनीत अभियान को गति देने के लिए धार्मिक आयोजनों को इसलिए चुनाव कि ऐसे आयोजनों में लोगों की उपस्थिति काफी होती है। ऐसे आयोजन और तीज-त्यौहार अच्छा संदेश देने के लिए काफी उपयोगी होते हैं क्योंकि इसमें शामिल लोगों उस दौरान सिर्फ उसी माहौल में तल्लीन रहते हैं। ऐसे आयोजनों से संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना आसान होता है।