दीपोत्सव : अंतरमन का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं, आओ फिर से दिया जलाएं... आओ दिये से दिया जलाएं : हमलोग

invocation : वैश्विक महामारी कोरोना की विभीषिका से उबरने के लिए हमलोग संस्था द्वारा लोगों से दिये से दिया जलाने का आह्वान किया जा रहा है।

दीपोत्सव : अंतरमन का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं, आओ फिर से दिया जलाएं... आओ दिये से दिया जलाएं : हमलोग
आओ फिर से दिया जलाएं।

एसीएन टाइम्स

वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड-19) ने लगभग दो साल में देश-दुनिया का काफी नुकसान किया। किसी का रोजगार छिन गया तो किसी का कोई अपना। कहीं ऑक्सीजन के लिए तड़पते हुए उम्मीदें हार गईं तो कहीं किसी के सुनहरे सपने चकनाचूर हो गए। फिर भी उम्मीद की एक लौ अब भी जागृत है हमारे अंतरमन में जो हमें सकारात्मक रहने का संदेश देती है। यह दीपावली इसी सकारात्मकता का संदेश लेकर आई है। यह अहसास कराने आई है कि "हमलोग" जब तक साथ हैं तब तक इंसानियत को कोई मिटा नहीं सकता।

"हमलोग" संस्था भी लोगों को यही अहसास कराने का संकल्प लेकर काम कर रही है। हमलोग द्वारा लोगों को एक-दूसरे का सहारा, मददगार बनने का संदेश (invocation) दिया जा रहा है। इस संदेश का उद्देश्य है यदि कोरोना जैसे प्रतिकूल हालातों में यदि किसी का रोजगार छिन गया है, कोई नुकसान हुआ है या उसे फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना है तो इसमें उसकी मदद जरूर करेंगे। मदद किसी भी तरह की हो सकती है। यह बड़ी भी हो सकती है और छोटी भी। मदद करते समय भाव वैसा ही हो जैसे एक दीये से दूसरा दीया जलाते समय होती है।

प्रसिद्ध कवि और पूर्व प्रधानमंत्री पं. अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्ति "अंतरमन को नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं, आओ फिर से दिया जलाएं..." में भी यही भाव अंतर्निहित है। आइये, हम लोग भी पं. वाजपेयी की ये पंक्तियां गुनगुनाते जाएं और "दिया से दिया जलाते जाएं..."

आओ फिर से दिया जलाएं...

भरी दुपहरी में अंधियारा,
सूरज परछाईं से हारा,
अंतरतम का नेह निचोड़ें,
बुझी हुई बाती सुलगाएं।

आओ फिर से दिया जलाएं।

हम पड़ाव को समझे मंजिल,
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल,
वर्तमान के मोहजाल में
आने वाला कल न भुलाएं।

आओ फिर से दिया जलाएं।

आहुति बाकी, यज्ञ अधूरा,
अपनों के विघ्नों ने घेरा,
अंतिम जय का वज्र बनाने,
नव दधीचि हड्डियां गलाएं।

आओ फिर से दिया जलाएं।

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(इस कविता के रचयिता प्रख्यात कवि स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी हैं जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री भी रहे)