मातृ दिवस पर विशेष : दुनिया की हर माँ के लिए यह रचनात्मक आभार, आप भी पढ़ें और अपनी माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कीजिए

माँ की महिमा पर देश-दुनिया के बड़े-बड़े विद्वानों और लोगों ने बहुत कुछ लिखा है फिर भी ईश्वर की इस कृति के आगे सब बहुत लघु है, सूक्ष्म है। खुद की जान पर खेलकर भी जो संतान रूपी कृति की रचना करे, जो उसे अपने खून से सींच कर बड़ा करे वह सिर्फ मां ही हो सकती है। दुनिया में ऐसा कोई उपहार नहीं, कोई चीज नहीं जो माँ के दूध का कर्ज अदा कर सके। इसलिए, ‘व्रत, पूजा मत कीजिए, मत करिए उपवास, केवल दो पल बैठिए, अपनी मां के पास। यकीन जानिए,  संतान कैसी भी ‘माफ़ करना ही अमूमन मां की आदत है, ...मां, क्षमा लिखती अदालत है !

मातृ दिवस पर विशेष : दुनिया की हर माँ के लिए यह रचनात्मक आभार, आप भी पढ़ें और अपनी माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कीजिए
मातृ दिवस पर विशेष।

…मां, क्षमा लिखती अदालत है !

माफ़ करना ही अमूमन मां की आदत है,

फ़ैसले में, क्षमा लिखती अदालत है।

 

मां के बच्चों पर अगर आ जाए आफ़त तो

ऐसी आफ़त के लिए मां बनती आफ़त है।

 

वित्तीय संकट के समय, देती बचत अपनी,

जानिए मां से कि क्या होती किफ़ायत है!

 

इस दौर में रिश्ते सियासी हो गए लेकिन

मां की ममता में नहीं कोई सियासत है।

 

मां तो है परमेश्वर का तोहफ़ा दुनिया को,

मां है घर में तो समझ लो घर में राहत है।

(दैनिक समाचार पत्र 'पत्रिका' से आभार)

अज़हर हाशमी

(कवि एवं साहित्यकार) 

 

मां के पास… 

व्रत, पूजा मत कीजिए, मत करिए उपवास

केवल दो पल बैठिए, अपनी मां के पास।

 

खड़ी मंथरा आज भी, कैकेई के पास,

हर घर में इक राम के हिस्से में वनवास।

 

सम्बन्धों में आ गया कुछ ऐसा बदलाव,

घर वाले सब गैर हैं, बाहर वाले ख़ास।

 

घर का पहला कक्ष था, कभी बड़ों के नाम,

अब तो उनको रह गई, पिछवाड़े से आस।

 

दूर सभी से हो चुका, ये नादां इंसान,

अच्छाई को छोड़ के, खड़ा बुरे के पास।

 

खड़े कभी से पास में, मिले गले भी खूब,

बढ़े कभी तो आपका और मेरा विश्वास।

 

तलवारें वो तान कर सिर पर बैठा देख,

अटकी है 'आशीष' की, अब सांसों में सांस।

 आशीष दशोत्तर

(9827084966)

 

मां की महिमा...

‘मां’ शब्द छोटा सा, महिमा बड़ी है,

संतान के सुख-दुख में हरपल खड़ी है।

नौ माह तक कोख में पाला जिसे,

खुशी उसकी, हर खुशी से बड़ी है।

विषमताओं के झंझावातों से बचाने,

आंचल अपना लेकर आगे बढ़ी है।

 

नेह 'नीर' उसका 'रज़' में मिलने से

अभिज्ञा - सुरभि ‘नीरज’ की बढ़ी है।

 - नीरज कुमार शुक्ला ‘नीर’