अखंड ज्ञान आश्रम में तोड़फोड़ व मारपीट मामले में एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, पूर्व भाजपा पार्षद सहित 5 लोग हैं आरोपी

अखंड ज्ञान आश्रम से जुड़े मामले में द्वितीय सत्र न्यायाधीश द्वारा एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।

अखंड ज्ञान आश्रम में तोड़फोड़ व मारपीट मामले में एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, पूर्व भाजपा पार्षद सहित 5 लोग हैं आरोपी
अखंड ज्ञान आश्रम में तोड़-फोड़ और मारपीट मामले के एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम शहर के अखंड ज्ञान आश्रम में तोड़-फोड़ व मारपीट के बहुचर्चित मामले के एक आरोपी की जमानत याचिका न्यायलय ने खारिज कर दी है। मामले में भाजपा के पूर्व पार्षद सहित 5 लोगों के विरुद्ध 19 मार्च को स्टेशन रोड थाने में केस दर्ज हुआ था।

अपर लोक अभियोजक सतीश त्रिपाठी के अनुसार शनिवार को द्वितीय सत्र न्यायधीश अरुण कुमार खरादी के न्यायालय में शहर के अखंड ज्ञान आश्रम में मारपीट तथा तोड़फोड़ के मामले में एक आरोपी की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत के आवेदन पर सुनवाई हुई। आरोपी अंबर पिता दौलतराम जाट की तरफ से अग्रिम जमानत का आवेदन अभिभाषक अभय शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया था। इस मामले में अपर लोक अभियोजक त्रिपाठी ने तर्क प्रस्तुत किए। इसके आधार पर न्यायाधीश खरादी ने जमानत याचिका रद्द कर दी।

(संत समाज एसपी को ज्ञापन देते हुए- फाइल फोटो)

उल्लेखनीय है कि संत समाज ने एसपी को एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें बताया था कि 19 मार्च से अखंड ज्ञान आश्रम में एक धार्मिक आयोजन होना था। इसकी तैयारी चल रही थी। 18 मार्च को सूरज जाट, अंबर जाट, पंकज, विनीत पटेरिया और ओशो सहित अन्य आरोपी आश्रम में पहुंचे और तैयारी बंद करवा दी। आरोप है कि उन्होंने संत देवस्वरूपानंद और पुजारी संजय मिश्रा को अपशब्द भी कहे था मारपीट कर संत को जान से मारने की धमकी दी। आरोपी पक्ष के लोग आश्रम में लगा डीवीआर भी ले गए। उक्त आवेदन के आधार पर पांचों आरोपियों के विरुद्ध स्टेशन रोड थाने पर धारा 294, 323, 386, 500, सहपठित 34 भादवि में प्रकरण दर्ज किया गया था।

(एसपी से आरोपियों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग करते हुए लोग)

इस मामले को लेकर आरोपी पक्ष की ओर से लोगों ने भी पुलिस अधिकारियों के समक्ष अपना पक्ष रखा था। उनकी ओर से राजनीतिक द्वेषता के चलते केस दर्ज कराने का आरोप लगाया गया था। 

10 साल की सजा का प्रावधान, गिरफ्तारी संभव 

अपर लोक अभियोजक त्रिपाठी के अनुसार धारा 386 के तहत 10 साल की सजा का प्रावधान है। न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका रद्द होने से आरोपी की गिरफ्तारी संभव है।