बिल्डर अनिल झालानी की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट में खारिज, श्रीराम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन द्वारा भूमि अतिक्रमण और अनधिकृत विक्रय का मामला

दूसरे की जमीन हड़पने के आरोपी रतलाम के बिल्डर अनिल झालानी की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट से खारीज हो गई है।

बिल्डर अनिल झालानी की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट में खारिज, श्रीराम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन द्वारा भूमि अतिक्रमण और अनधिकृत विक्रय का मामला
बिल्डर अनिल झालानी की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट से खारिज।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर के बिल्डर अनिल झालानी द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दी है। श्रीराम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के भागीदार झालानी पर उक्त फर्म की भूमि के साथ ही दूसरे की जमीन पर अतिक्रमण कर बेचने का आरोप है। मामले प्रशानिक जांच में झालानी को दोषी पाया था जिससे में गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

रतलाम शहर के बीरियाखेड़ी क्षेत्र में सर्वे नंबर 150/8 और 150/1/2/1 की भूमि पर विवाद गहराता जा रहा है। यह भूमि श्रीराम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन, जो एक भागीदारी फर्म है, के नाम पर मुख्तियारनामे के माध्यम से आवंटित की गई थी। श्रीराम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के भागीदार अनिल झालानी ने इस भूमि का उपयोग कॉलोनी के विकास हेतु अनुमति लेकर विभिन्न भूखंडों का विक्रय किया। 

इस दौरान झालानी ने मोहन नगर गृह निर्माण समिति का निर्माण कर कई भूखंडों को समिति को आवंटित कर दिया। आरोप है कि इस प्रक्रिया में श्रीराम इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के नाम पर जो भूमि थी, उससे अधिक भूमि का आवंटन कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप पड़ोसी कॉलोनी विवेकानंद गृह निर्माण समिति की भूमि पर अतिक्रमण हुआ और अवैध रूप से रजिस्टर्ड विक्रय पत्र तैयार कर दिए गए।

मनीष शर्मा ने की थी शिकायत

विवेकानंद गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष मनीष शर्मा द्वारा मामले की शिकायत की गई थी। इसके आधार पर मामले की जांच के लिए गठित संयुक्त जांच समिति ने इसे एक आपराधिक मामला पाया। इसके पश्चात औद्योगिक क्षेत्र थाना, रतलाम पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कर झालानी को मुख्य आरोपी बनाया। मामले में अन्य आरोपियों की भी पहचान की जा रही है, जिन्होंने मोहन नगर गृह निर्माण समिति के क्रय-विक्रय में भागीदारी की है।

इसलिए खारिज हुआ आवेदन

आरोपी झालानी ने अपनी याचिका में शासन को पार्टी बनाया था। मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजीव एस. कलगांवकर ने की। सुनवाई के दौरान एडवोकेट जी. के. पाटीदार, प्रतिवादी राज्य शासन के एडवोकेट राजेश जोशी तथा मनीष शर्मा की ओर से एडवोकेट बृजेश शर्मा उपस्थित हुए। जांच अधिकारी औद्योगिक क्षेत्र थाना प्रभारी वी. डी. जोशी भी इस दौरान उपस्थित रहे। आरोपी झालानी के अभिभाषक ने बीएनएसएस की धारा 482 व सीआरपीसी 1983 की धारा 2023/438 के तहत दायर की गई पहली अग्रिम जमानत याचिका वापस लेने का अनुरोध किया जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए झालानी की अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज कर दिया।

आरोपी होने के बाद घूम रहे सार्वजनिक

बता दें कि जमीनों की जादूगरी में माहिर बिल्डर अनिल झालानी को गिरफ्तार करने की हिम्मत अब तक पुलिस नहीं जुटा सकी है। नतीजतन वे तमाम सार्जवनिक आयोजनों में शामिल हो रहे हैं। उनकी मौजूदगी एक निजी महाविद्यालय के आयोजनों के अलावा पिछले दिनों सम्पन्न हुए धार्मिक आयोजन में पूरे समय रही। माना जा रहा है जमानत का आवेदन खारिज होने से शायद पुलिस अब उन्हें पकड़ने की हिम्मत जुटा पाए।

राजनीति से जुड़ाव भी नहीं आ रहा काम

गौरतलब है कि अनिल झालानी अपने क्रियाकलापों पर पर्दा डालने के लिए राजनीति से जुड़े रहना भी काफी पसंद है। कभी कांग्रेस में रहे, फिर बसपा से चुनाव लड़ा और फिर कांग्रेस में आ गए। अपने एक विशेष अभियान के माध्यम से केंद्र सरकार को साधने की भी भरसक कोशिश की, जो अब भी जारी है। सूत्र बताते हैं कि ये सारे प्रयास रास नहीं आए तो अब राजनीति से किनारा करने का ऐलान कर धर्म और समाज के लिए काम करने की बात कही है। अब यह शगूफा कितने दिन चलेगा, फिलहाल कहना जल्दबाजी होगी।