छठ पूजा महापर्व : भगवान भास्कर को अर्घ्य देने रतलाम के झाली तालाब पर उमड़े श्रद्धालु, ढोल की थाप पर गूंजे छठ माता के गीत

छठ पूजा का महापर्व रतलाम में भी मनाया गया। श्रद्धालुओं ने झाली तालाब पहुंच कर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का विसर्जन किया।

छठ पूजा महापर्व : भगवान भास्कर को अर्घ्य देने रतलाम के झाली तालाब पर उमड़े श्रद्धालु, ढोल की थाप पर गूंजे छठ माता के गीत
छठ पूजा महापर्व संपन्न।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । चार दिवसीय छठ महापूजा का महापर्व सोमवार सुबह पूरा हो गया। श्रद्धालुओं ने शहर के झाली तालाब पर पहुंच कर उदीयमान भगवान भास्कर (सूर्य) को अर्घ्य दिया। इस दौरान ढोल की थाप पर छठ माता के गीत भी गाए गए।

सूर्य और छठ माता की पूजा का महापर्व 17 नवंबर को शुरू हो गया था। इसके साथ ही रतलाम में निवासरत उत्तर भारतीय और बिहार मूल के परिवारों द्वारा छठ पूजा का सिलसिला भी शुरू हो गया था। चार दिनी पर्व के दौरान नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य ऊषा अर्घ्य होता है। सूर्योपासना के इस लोकपर्व के तहत कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (रविवार) की शाम श्रद्धालुओं द्वारा अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर संध्या अर्घ्य की क्रिया संपन्न की और छठी माता की पूजा की।

सोमवार को समापन के अवसर पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तड़के से ही श्रद्दालु झाली तालाब पहुंच गए थे। यहां ढोल की थाप पर महिलाओं ने छठी माता के गीत गाए और सूर्य को अर्घ्य दिया। इस नजारे को फोटो जर्नलिस्ट राकेश पोरवाल ने अपने कैमरे में कैद किया।

महाभारत काल में शुरू हुई थी पूजा

बताया जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके इस महापर्व की शुरुआत की गई थी। तब से कर्ण के भक्त चार दिवसीय महापर्व मनाते हैं और सूर्य तथा छठी माता की पूजा-अर्चना एवं वृत करते हैं। उत्तर भारतीय और बिहार व आसपास के लोगों के लिए यह बड़ा पर्व है।

छठ पूजा के नियम

छठ महापर्व का व्रत करने वालों को बिस्तर पर सोना वर्जित माना जाता है। उन्हें छठ महापर्व के चारों दिन जमीन पर चटाई बिछाकर सोने का प्रावधान बताया गया है। पूजा के समय बहुत आत्मसंयम रखना होता है। इन चार दिनों में खुद को नकारामक बातों से दूर रखने की बात कही गई है।