जमीन घोटाला : पूर्व महापौर जयंतीलाल जैन ‘पोपी’ व भू-माफिया राजेन्द्र पितलिया सहित अन्य के विरुद्ध न्यायालय में चलेगा भ्रष्टाचार का केस, शासन ने दी अनुमति

राज्य शासन के विधि विभाग ने रतलाम के पूर्व महापौर जयंतीलाल जैन ‘पोपी’ और भू-माफिया राजेंद्र पितलिया सहित अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार मामले में अभियोजन की कार्रवाई के लिए अनुमति जारी की है। इन पर बेशकीमती जमीन कौड़ियों के दाम पर आवंटित करने का आरोप है।

जमीन घोटाला : पूर्व महापौर जयंतीलाल जैन ‘पोपी’ व भू-माफिया राजेन्द्र पितलिया सहित अन्य के विरुद्ध न्यायालय में चलेगा भ्रष्टाचार का केस, शासन ने दी अनुमति
जमीन घोटाले में रतलाम के पूर्व महापौर जयंतीलाल जैन और भू-माफिया राजेंद्र पितलिया सहित अन्य के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति जारी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । स्कूल के नाम पर बेशकीमती जमीन भू-माफिया को आवंटित करने के मामले में पूर्व महापौर जयंतीलाल जैन ‘पोपी’, और भू-माफिया राजेंद्र पितिलिया सहित अन्य के विरुद्ध अभियोजन की कार्रवाई के लिए शासन ने अनुमति दे दी है। इस दौरान रतलाम नगर निगम में बतौर आयुक्त ए. पी. एस. गहरवार पदस्थ थे। आर्थिक अपराध और जमीन की बंदरबांट को लेकर अब इन सभी आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण के तहत विशेष न्यायालय में केस चल सकेगा।

मामला प्रेमनाथ डोंगरानगर स्थित बोधि इंटरनेशनल स्कूल का है। आरोप है कि भू-माफिया राजेन्द्र पितलिया ने करीब 25 वर्ष पूर्व तत्कालीन महापौर जयन्तीलाल जैन ‘पोपी’ और नगर निगम के अधिकारियों से मिलीभगत कर बेशकीमती जमीन कौड़ियों के दाम पर हथिया ली थी। इसे लेकर राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में प्रकरण विचाराधीन था। ईओडब्ल्यू द्वारा म.प्र. नगरीय विकास एवं आवास विभाग से आरोपियों के विरुद्ध अभियोजन पेश करने के लिए स्वीकृति मांगी थी जो जारी कर दी गई है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उपसचिव आर. के. कार्तिकेय द्वारा मध्यप्रदेश के राज्यपाल की ओर से तथा उनके आदेशानुसार से 26 जून 2024 को जारी अनुमति का पत्र रतलाम नगर निगम आयुक्त को भेजा गया है। इसकी प्रतिलिपि प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन मंत्री के विशेष सहायक, नगरीय प्रशासन आयुक्त, ईओडब्ल्यू के महानिदेशक के साथ ही एसपी तथा नगरीय प्रशासन के संभागीय संयुक्त संचालक को भी भेजी गई है। इससे अब तत्कालीन महापौर जयन्तीलाल जैन ‘पोपी’, राजेन्द्र पितलिया सहित अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गठित विशेष न्यायालय में प्रकरण चलेगा।

40 रुपए के भाव की जमीन दे दी थी 10 रुपए में

बताते चलें कि, नगर निगम के तत्कालीन महापौर एवं कांग्रेस नेता जयन्तीलाल जैन ‘पोपी’, तत्कालीन निगमायुक्त सहित अन्य अधिकारियों ने सांठ-गांठ कर नगर सुधार न्यास की योजना क्र. 64 में स्कूल के लिए आरक्षित 34765.56 वर्ग फीट भूमि (क्र. 167-1) भू-माफिया राजेन्द्र पितलिया को 1999 में आवंटित कर दी थी। भूमि ‘न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल’ के नाम पर  आवंटित की गई थी जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं था। चौंकाने वाली बात यह है कि 40 रु. वर्गफीट के भाव की यह जमीन महज 10 रु. वर्गफीट के भाव से आवंटित कर दी गई थी। इससे नगर निगम को लाखों रुपए के राजस्व की हानि हुई थी। बाद में ‘न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल’ संचालन समिति द्वारा उक्त भूमि बोधि स्कूल को हस्तांतरित कर दी गई जिसे सर्वेसर्वा राजेन्द्र पितलिया ही हैं।

2011 में पहली बार उजागर हुआ था मामला

यह जमीन घोटाले के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सक्सेना ने पहली बार 2011 में प्रशासन और शासन के अवगत कराते हुए जमीन वापस लिए जाने की गुहार लगाई थी। तब सभी जिम्मेदार आंखों में पट्टी और कानों में तेल डाले बैठे रहे। बाद में सक्सेना ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी और प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त करने के बाद 2017 में ईओडब्ल्यू में शिकायत की। ईओडब्ल्यू ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच की जिसमें आरोपियों की आर्थिक अपराध में संलिप्तता पाई। चूंकि मामले में लोकसेवक शामिल हैं इसलिए न्यायालय में अभियोजन प्रस्तुत करने के लिए शासन की अनुमति आवश्यक अतः ईओडब्ल्यू ने अनुमति मांगी गई जिसे जारी करने में शासन को वर्षों लग गए।

ऐसे पता चली थी अनिमितता

जहां आज बोधि इंटरनेशनल स्कूल की इमारत खड़ी है वहां पहले पंप हाउस और ट्यूबवेल था। इससे पानी संपवेल में जाता था और प्रेमनाथ डोंगरानगर क्षेत्र के घरों में सप्लाई होता था। यहां क्षेत्र के बच्चे खेलते भी थे। एक दिन वहां तार फैंसिंग हुई तो प्रेमनाथ डोंगरानगर क्षेत्र के रहवासी राजेश सक्सेना पूछताछ की। पता चला कि तार फैसिंग निजी व्यक्ति द्वारा कराई गई है और वहां आवासी कॉलोनी (डुपलेक्स) विकसित होने वाली है। सक्सेना ने इस बारे में तत्कालीन पार्षद एवं भाजपा नेता पवन सोमानी से चर्चा की। दोनों ने मामले में नगर निगम प्रशासन सहित विभिन्न स्तरों पर पत्राचार और सरकारी जमीन पर कब्जे की आशंका की शिकायत की। सूचना के अधिकार में जानकारी निकालने पर पता चला कि उक्त जमीन 1999 में ही औने-पौने दाम में आवंटित की जा चुकी है। इतना ही नहीं शिकायत होते ही 2012 में उक्त स्थान पर भवन निर्माण का अनुमति भी हासिल कर ली गई थी।

स्टे जारी हुआ था जो इस आधार पर हटा था

नियमानुसार यदि लीज-पट्टे की जमीन पर निर्माण नहीं किया जाता है तो 3 साल में लीज-पट्टा स्वतः ही निरस्त हो जाता है। इसी के आधार पर सक्सेना द्वारा प्रशासन-शासन से लीज-पट्टा निरस्त कर उक्त भूमि अधिग्रहित करने की मांग की गई थी। न्यायालय में वाद भी दायर किया था जिसके चलते निर्माण आदि नहीं करने को लेकर स्थगन भी जारी हुआ था। तब राजेंद्र पितलिया की ओर से न्यायालय में 10 रुपए के स्टाम्प पर हलफनामा प्रस्तुत किया गया था कि शिकायतकर्ता केस में विजयी होते हैं तो उनके द्वारा सारा निर्माण स्वतः ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसी आधार पर न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक हटी थी।

मौजूदा मुख्यमंत्री से लगाई गुहार तब जारी हुई अनुमति

बोधि स्कूल जमीन घोटाले में अभियोजन की स्वीकृति जारी होने में हो रही देरी पर सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सक्सेना द्वारा मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिख कर पूरे मामले में अवगत कराया गया था। इसमें अभियोजन चलाने की अनुमति जारी करवाने के लिए भी अनुरोध किया गया था जिसके चलते ही अनुमति जारी हो सकी है। सक्सेना ने इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार ज्ञापित करते हुए महापौर प्रहलाद पटेल और निगमायुक्त हिमांशु भïट्ट से तत्काल बोधि इंटरनेशनल स्कूल की सम्पत्ति अधिग्रहित करने की मांग की है।

अब भी खड़े हैं यक्ष प्रश्न

पूरे मामले में एक बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है कि नगर निगम द्वारा जिस न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल को जमीन आवंटित की थी वह कहां है? यदि ऐसी कोई संस्था थी ही नहीं तो फिर जमीन किसी आधार पर आवंटित की गई? इतना बड़ा घोटाला होने के बाद भी दोषियों को अब तक क्यों बचाया जा रहा है या बचाया जा रह था? दोषियों को बचाने वाले कौन हैं? विधि विभाग द्वारा अभियोजन की अनुमति दिए जाने के एक महीने बाद भी मामला ठंडे बस्ते में क्यों पड़ा है? नगर निगम द्वारा गलत ठंग से आवंटित जमीन अधिग्रहित करने की जेहमत क्यों नहीं उठाई जा रही है, ऐसा करने से निगम प्रशासन को कौन रोक रहा है?