कर्नाटक चुनाव : परिणाम, हकीकत और फसाना, ...क्योंकि दिल्ली अभी दूर है

कर्नाटक चुनाव के परिणामों को लेकर जोड़-बाकी और गुणा-भाग जारी है। सभी अपने-अपने स्तर पर नफे-नुकसान का गणित लगा रहे हैं। ऐसे में एक विश्लेषण यह भी प्रस्तुत है।

कर्नाटक चुनाव : परिणाम, हकीकत और फसाना, ...क्योंकि दिल्ली अभी दूर है
कर्नाटक चुनाव विश्लेषण।

नीरज कुमार शुक्ला

देश के किस हिस्से में क्या हाल है, इस पर विचार करने के बजाय अभी सभी राजनैतिक दलों का फोकस कर्नाटक के चुनाव परिणामों पर है। यहां बहुमत में आई कांग्रेस 2024 में देश की राजधानी पर काबिज होने के सपने बुनने लगी है। वहीं दूसरी ओर भाजपा में इस हार को लेकर निराशा का माहौल है। इसकी पुष्टि हाल ही में मध्य प्रदेश के रतलाम पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय तक कर चुके हैं। ऐसे में यहां राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को मिले वोटों का विश्लेषण करना जरूरी है, क्योंकि यही विश्लेषण आने वाले दिनों की चुनावी रणनीति का आधार बनेगा। वोट शेयर के लिहाज से देखें तो कर्नाटक की जीत कांग्रेस के लिए न तो बहुत ज्यादा खुशी मनाने वाली है और न ही भाजपा के लिए चुप बैठने और अपनी खामियों को दोहराते रहने वाली है। वोट मार्जिन में थोड़ी सी “ऊंच-नीच” ही मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य बदलने का कारण बनी है। यदि इसमें थोड़ा सा ही अंतर हो जाता तो तस्वीर बदल सकती थी। 

कर्नाटक चुनाव के परिणाम आने के बाद से राजनैतिक पंडित नफे-नुकसान के आकलन में लगे हैं। नफे-नुकसान का आकलन वोट शेयर यानी वोटों के जोड़-बाकी, गुणा-भाग के आधार पर किया जा रहा है। चूंकि यह चुनाव देश के एक अहम् हिस्से का था इसलिए विश्लेषण जरूरी भी है। इस जीत ने जहां कांग्रेस में नया जोश भरने का काम किया है, वहीं सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर निर्भर भाजपा को बड़ा झटका भी लगा है। स्थानीय मुद्दों के बजाय भाजपा मोदी के जादू के भरोसे ज्यादा रही जिसके परिणाम सबके सामने हैं। चुनाव से पहले बेदम नजर आ रही कांग्रेस अचानक ओवर एक्टिव नजर आ रह है तो भाजपा परिणामों के निराशाजनक होने की बात कह रही है। अगर कर्नाटक में हार-जीत के आंकड़ों पर गौर करें तो इसने दोनों ही प्रमुख पार्टियों को सोचने और समझने का अवसर दिया है, न कि अति उत्साहित होने या मातम मनाने का।

...तो ऐसी होती कर्नाटक की तस्वीर

आइए, अब चुनाव के आंकड़ों पर नजर डाल लें। यहां कांग्रेस ने 22 ऐसी सीटें जीती हैं जहां हार-जीत का मार्जिन बहुत ही कम महज 105 से 4711 वोट के बीच का है। जबकि 15 सीटों पर यह मार्जिन 5075 से 9800 वोट के बीच का रहा। इस तरह कुल 37 सीटें ही ऐसी हैं जहां कांग्रेस को अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 105 से  9800 के बीच  ज्यादा वोट मिले। इनमें से भी 32 सीटों पर भाजपा और 5 पर जेडीएस दूसरे नंबर पर रही। आंकड़ों के आधार पर यह भी जानने में आया है कि इन 37 सीटों में से 27 सीट ऐसी हैं जहां यदि भाजपा और जेडीएस एक-दूसरे के वोट नहीं काटती तो शायद 22 स्थानों पर भाजपा और 5 पर जेडीएस पहले नंबर पर होती। 

मुस्लिम ध्रुवीकरण और निर्दलीयों का कमाल 

यहां जिन 37 सीटों की बात हो रही है उनमें कांग्रेस की जीत के दो कारण प्रमुख रहे। पहला मुस्लिमों का एकतरफा ध्रुवीकरण और दूसरा निर्दलीय उम्मीदवारों की मौजूदगी। शायद भाजपा को यह बात समझने में देर हो गई या चूक हो गई।  माना जा रहा है कि यदि कम मार्जिन वाली 37 सीटों पर केवल 1,81,197 वोट कांग्रेस के पक्ष में नहीं गया होता तो उसकी सीटें घटकर मात्र 98 रह जातीं। ऐसे में भाजपा और जेडीएस की सीटों में क्रमशः 32 और 5 सीट का इजाफा हो गया होता। यह तब भी हो सकता था जब उक्त वोटरों के सिर्फ आधे लगभग 91 हजार का भी मन बदल गया होता और वो कांग्रेस की बजाय भाजपा या जेडीएस को दे देते। यह बड़ा और असंभव आंकड़ा भी नहीं है। 

वोटर यथावत, क्षणिक बंटवारे से हुआ नुकसान 

बेशक सीटों के लिहाज से कांग्रेस की यह बड़ी जीत है। पार्टी को इस पर खुशी मनानी भी चाहिए किंतु यदि इसे 2024 में लोकसभा की जीत का संकेत मान लिया जाए तो कदाचित जल्दबाजी और अदूरदर्शिता होगी। दरअसल, कर्नाटक में भाजपा का वोट शेयर कम नहीं हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे कुल वोट का 36 फीसदी प्राप्त हुआ था और उतना ही इस चुनाव में भी मिला है। यही कारण है कि राजनैतिक विश्लेषक यह कह रहे हैं कि भाजपा और जेडीएस यदि लोकसभा चुनाव मिलकर लड़े तो पिछली लोकसभा का इतिहास दोहराया भी जा सकता है। यह कहते भी हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा ने 28 में से 27 सीटें जीती थीं। 

ज्यादा वोट प्रतिशत के बजाय अन्य दलों का परफॉर्मेंस महत्वपूर्ण 

पिछले तीन चुनावों में यह बात भी उभर कर आई है कि अब ज्यादा वोट प्रतिशत मायने नहीं रखता। अब दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों (भाजपा और कांग्रेस) का भविष्य अन्य दलों के परफॉर्मेंस पर निर्भर रहने लगा है। अन्य दलों का परफॉर्मेंस जहां जितना प्रभावी रहा उतना ही भाजपा और कांग्रेस की सीटों के आंकड़ों में अंतर आया है। दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी तो कर्नाटक में जेडीएस का परफॉर्मेंस देखा जा सकता है। दस साल पहले दिल्ली में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस के वोट आम आदमी पार्टी की तरफ शिफ्ट हुए या कराए गए थे। इससे भाजपा तो रुक गई लेकिन अब वहां कांग्रेस दौड़ से ही बाहर हो गई है।

गोवा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था। यहां आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ी जबकि कांग्रेस ने कुछ सीटों पर अघोषित तौर पर कमजोर प्रत्याशी उतारे। इसके एवज में आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में चुनाव अभियान अचानक कमजोर कर लिया। इससे हिमाचल में तो कांग्रेस आ गई लेकिन गोवा में सफल नहीं हो पाई। यहां भाजपा आम आदमी पार्टी को रोकने में सफल हो गई। गुजरात चुनाव में भी कांग्रेस ने पूरा चुनाव स्थानीयों के भरोसे छोड़ दिया जबकि आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी। कांग्रेस को उम्मीद थी कि आम आदमी पार्टी द्वारा भाजपा के वोट काटने से वह जीत जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसा इसलिए कि कुछ स्थानों पर स्थानीय कांग्रेसी चुनाव के वक्त भाजपा के साथ हो लिए। अब मध्य प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थितियां देख कर के भी रोज नए-नए कयास लगाए जा रहे हैं। यहां भी आम आदमी पार्टी की मौजूदगी बढ़ने के आसार ज्यादा हैं। इसके प्रदर्शन से बहुत कुछ हद तक साफ हो जाएगा कि यहां भाजपा के पास सत्ता टिकी रहती है या फिर पिछली बार की तरह कांग्रेस काबिज होती है। 

कब, किस राज्य की बारी

इसी साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में भी चुनाव होने हैं। मिजोरम की विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर, 2023 को, छत्तीसगढ़ का 3 जनवरी, 2024, मध्य प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 6 जनवरी, 2024 और तेलंगाना का 16 जनवरी, 2024 को खत्म होना है। इससे इन सभी राज्यों में इसी साल चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इन राज्यों में राजनैतिक दलों की हर-जीत से जनता का मूड पता चल सकेगा कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर क्या सोच रहे हैं। इन चुनावों से सिर्फ संकेत ही पता चलेगा, लोकसभा चुनाव पूरी तरह प्रभावित हो, यह कतई जरूरी नहीं है।

KARNATAK ELECTION - 2023
S. No. CONG. WIN MARGIN NEAREST
1 Gandhi Nagar 105 BJP
2 Sringeri 201 BJP
3 Malur 248 BJP
4 Mudigere 722 BJP
5 Jagalur 874 BJP
6 Mandya 2019 JDS
7 Karwar 2138 BJP
8 Bhadravati 2705 JDS
9 Gulbarga Uttar 2712 BJP
10 Bailhongal 2778 BJP
11 Kittur 2993 BJP
12 Haliyal 3623 BJP
13 Yadgir 3673 BJP
14 Chamaraja 4094 BJP
15 Puttur 4149 BJP
16 Belgaum Uttar 4231 BJP
17 Virajpet 4291 BJP
18 Madiker 4402 BJP
19 Nagamangala 4414 JDS
20 Afzalpur-34 4594 BJP
21 Devanahalli 4631 JDS
22 Bangarapet 4711 JDS
23 Hosakote 5075 BJP
24 Bagalkot 5878 BJP
25 Chikmagalur 5926 BJP
26 Shanti Nagar 7125 BJP
27 Vijay Nagar 7324 BJP
28 Chamarajanagar 7533 BJP
29 Muddebihal 7637 BJP
30 Manvi 7719 BJP
31 Sindgi 7808 BJP
32 Gubb 8541 BJP
33 Sirsi 8712 BJP
34 Kagwad 8827 BJP
35 B.T.M Layout -172 9222 BJP
36 Badami 9725 BJP
37 Ranibennur 9800 BJP
Total 181160