इस खेल में सबका मेल ! रतलाम के प्रॉपर्टी व्यवसायी और स्टाम्प वेंडर मिलकर कर रहे थे फर्जीवाड़ा, इसलिए पंजीयक ने ई-स्टाम्प की बिक्री पर लगा दी रोक

हाल ही में जिला पंजीयक द्वारा अचल संपत्ति बेचने के लिए ई-स्टाम्प जारी नहीं करने का आदेश दिया है। यह आदेश जारी करने के पीछे वजह फर्जी ई-स्टाम्प के जरिये होने वाली अनियमितता पर रोक लगाना बताई जा रही है।

इस खेल में सबका मेल ! रतलाम के प्रॉपर्टी व्यवसायी और स्टाम्प वेंडर मिलकर कर रहे थे फर्जीवाड़ा, इसलिए पंजीयक ने ई-स्टाम्प की बिक्री पर लगा दी रोक
प्रॉपर्टी कारोबारी और स्टाम्प वेंडर मिल कर फर्जीवाड़ा कर रहे थे जिसे रोकने के लिए उक्त बंधित लगाई गई।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिला पंजीयक द्वारा जिले में अचल संपत्ति की बिक्री के अनुबंध के लिए ई-स्टाम्प जारी करने रोक लगाए जाने के बाद से कतिपय प्रॉपर्टी कारोबारियों के होश फाख्ता हो गए हैं। पंजीयक द्वारा यह कदम प्रॉपर्टी कारोबारियों और स्टाम्प वेंडरों द्वारा किए जा रहे फर्जी ई-स्टाम्प जनरेट करने का खेल उजागर होने के कारण उठाया गया है। ऐसे स्टाम्प वेंडर का लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई भी की गई है।

जमीनों की जादूगरी में रतलाम के भू-माफिया और कतिपय प्रॉपर्टी कारोबारियों को महारथ हासिल है। ऐसे कारोबारी स्टाम्प वेंडरों के साथ मिलकर न सिर्फ फर्जी ई-स्टाम्प जनरेट कर लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं बल्कि सरकार को राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं। पिछले दिनों इस गोरखधंधे की शिकायत रतलाम जिला व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष बाबूलाल राठी ने मध्यप्रदेश शासन, पंजीयन महानिरीक्षक भोपाल, रतलाम जिला पंजीयक एवं रतलाम पुलिस को की गई थी। मध्यप्रदेश शासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कराई।

जांच में सही मिली शिकायत

जांच में राठी की शिकायत सही पाई गई। इसमें कतिपय स्टाम्प वेंडरों, नोटरी, कतिपय प्रॉपर्टी ब्रोकर की संलिप्तता पाई गई। इसके चलते पंजीयन विभाग द्वारा संबंधित स्टाम्प वेंडर का लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की गई। बताया जा रहा है कि यह गड़बड़झाला उजागर होने पर ही जिला पंजीयक द्वारा गत 3 फरवरी 2025 को ई-स्टाम्प जारी नहीं करने को लेकर आदेश जारी किया था। इसमें सभी सर्विस प्रोवाइडरों को आगाह किया गया था कि वे अचल संपत्ति के क्रय-विक्रय के अनुबंध के लिए ई-स्टाम्प जारी नहीं करें, अन्यथा उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।

ऐसे हो रहा था फर्जीवाड़ा

रतलाम जिला व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष बाबूलाल राठी ने एसीएन टाइम्स को बताया कि कुछ स्टाम्प वेंडर और कुछ नोटरी कतिपय प्रॉपर्टी ब्रोकर के साथ मिलकर पक्षकार की जानकारी में लाए बिना ही उनके नाम से ई-स्टाम्प जारी कर क्रय-विक्रय का अनुबंध संपादित कर लेते हैं। इसके लिए वे संबंधित पक्षकार के आधार कार्ड का दुरुपयोग करते हैं और इसके आधार पर निकाले गए ई-स्टाम्प में जानकारी भी गलत दर्ज कर देते हैं। राठी के अनुसार चूंकि ई-स्टाम्प पेपर के ऊपर समस्त जानकारी नहीं लिखी होती है, इसलिए पक्षकार को कभी भी पता ही नहीं चलता कि उसके नाम से किसी भी व्यक्ति ने ई-स्टाम्प जारी करवा कर फर्जीवाड़ा कर लिया गया है।

धोखे से करवा लेते हैं विक्रेता के हस्ताक्षर

राठी की मानें तो ई-स्टाम्प क्रय करने हेतु संबंधित व्यक्ति का वेंडर के समक्ष उपस्थित होना जरूरी है। परंतु वेंडरों द्वारा उसकी अनुपस्थिति में ई-स्टाम्प क्रय-विक्रय होने के कारण वह इससे अनभिज्ञ रहता है। दलाल ऐसे स्टाम्प पर कुछ भी नहीं लिखे बिना ही धोखे से प्रॉपर्टी विक्रेता से हस्ताक्षर करवा लेते हैं। दलाल संपत्ति से संबंध अनुबंध की शर्तें स्टाम्प के बजाय सादे कागज पर ही लिखवाते हैं और उसे नोटराइज्ड भी नहीं करवाते।

ऐसे भी हो रहा खेल

सामाजिक कार्यकर्ता उमेश जोशी के अनुसार प्रायः देखने में आता है कि जब कोई प्रॉपर्टी बिकती है तो प्रॉपर्टी कारोबारी उसका अनुबंध करवा के 6 या 11 महीने की साइड पर ब्रेक कर देते हैं। इससे बेचने वाले ने जिस दिन अनुबंध किया वह उसी दिन निर्धारित कीमत पर संपत्ति विक्रय करने के लिए ब्रेक हो जाता है। इसके बाद जब 6 या 11 माह के अंदर उस प्रॉपर्टी के दाम बढ़ते हैं तो वे बढ़े हुए दाम की राशि खुद रख लेते हैं और रजिस्ट्री किसी तीसरे पक्ष की करवा देते हैं। यह सभी जानते हैं कि अचल संपत्ति का विक्रय अनुबंध यदि 40 लाख रुपए में हुआ है तो उसकी सरकारी गाइडलाइन के हिसाब से बिक्री रजिस्ट्री 7 से 8 लख रुपए के बीच होती है। अब अगर वही अनुबंध रजिस्टर्ड हो तो प्रॉपर्टी कारोबारी यह खेल नहीं कर पाएंगे। ई-स्टाम्प की बिक्री पर रोक लगने से ऐसे ही प्रॉपर्टी कारोबारी विरोध जता रहे हैं।

यह है नियम

पंजीयन अधिनियम के अनुसार यदि शर्तें और अनुबंध सादे कागज पर किया गया है तो भी उसे नोटराइज्ड होना चाहिए। अथवा अनुबंध पत्र स्टाम्प पेपर पर लिखा होकर उसे पंजीकृत कराया जाना चाहिए। प्रॉपर्टी कारोबारी, स्टाम्प वेंडर और दलाल ऐसा नहीं करते हैं। इस तरह सभी की मिलीभगत से पक्षकार (विक्रेता) के साथ धोखाधड़ी होती है। इसी को रोकने के लिए जिला पंजीयक द्वारा उक्त कार्रवाई की गई है जिसका शिकायतकर्ता राठी ने स्वागत किया है।