MP के 19 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द, भोपाल, इंदौर, रतलाम और ग्वालियर सहित कई जिलों के कॉलेज शामिल

मप्र के 19 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गई है। ऐसा नर्सिंग कॉलेज घाटाले से जुड़े मामले में हाईकोर्ट के एक आदेश के तहत किया गया है। हाईकोर्ट ने ऐसे 40 मामले ग्वालियर हाईकोर्ट से जबलपुर ट्रांसफर करने के आदेश भी दिए हैं।

MP के 19 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द, भोपाल, इंदौर, रतलाम और ग्वालियर सहित कई जिलों के कॉलेज शामिल
मप्र के 19 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द।

हाईकोर्ट ने कहा यही हाल रहा तो सभी मामले में CBI को सौंप देंगे 

एसीएन टाइम्स @ भोपाल । मध्यप्रदेश उच्च हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की पीठ ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने मध्यप्रदेश में हुए नर्सिग घोटाले के मामले में प्रदेश के 19 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी है। यह फैसला एमपी लॉ स्टूडेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की याचिका पर आया है। न्यायालय ने सरकार पर गंभीर टिप्पणी करते हुए ग्वालियर बेंच में चल रहे 40 अन्य मामलों को भी जबलपुर हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं।

मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल द्वारा मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग कॉलेज घोटाले को लेकर याचिका दायर की थी। इस पर चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक भी कोर्ट रूम में मौजूद रहे। सुनवाई के दौरान सरकार और नर्सिंग काउंसिल द्वारा दी गई सारी दलीलों को भी न्यायालय ने खारिज कर दिया और सरकार पर गंभीर टिप्पणी भी की।

सरकार ने यह की कार्रवाई

प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि पूर्व आदेश के पालन में पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को भोपाल से इंदौर के लिए रिलीव किया जा चुका है। उन्हें नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार के पद से हटाकर अनियमितताओं के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया था। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उनके विरुद्ध विभागीय जांच शुरू की गई। सरकार ने न्यायालय में इस संबंध में जो भी दस्तावेज पेश किए, उसमें पता चला कि कोर्ट के पूर्व आदेश के पालन में देरी की गई। इसलिए न्यायालय ने पूर्व रजिस्ट्रार शिजू का पूरा सर्विस रिकॉर्ड पेश करने के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं भोपाल और इंदौर में हुई पोस्टिंग को लेकर भी हैरानी जताई। याचिककर्ता विशाल बघेल की ओर से एडवोकेट आलोक वागरेचा ने न्यायालय को यह भी बताया कि सरकार द्वारा एक अन्य दोषी को नया रजिस्टार बना दिया गया है। उन्होंने कई और गंभीर खुलासे भी नए रजिस्ट्रार को लेकर किए।

नए स्टेला पीटर और उनके कारनामों की बानगी

बता दें कि, सरकार द्वारा नर्सिंग कॉलेज घोटाला उजागर होने के बाद पिछले दिनों जबलपुर नर्सिंग कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य स्टेला पीटर को नर्सिंग काउंसिल का रजिस्ट्रार बना दिया था। याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि वर्ष 2020 में स्टेला पीटर ने निरीक्षक के रूप में ग्वालियर संभाग के 46 नर्सिंग कॉलेज का निरीक्षण कर उन्हें मान्यता जारी करन की अनुशंसा की थी। वर्ष 2021 में हाईकोर्ट के आदेश पर पर जांच हुई तो जिन 70 कॉलेज को अपात्र पाया गया था इनमें से 16 को मान्यता जारी करने की अनुशंसा स्टेला पीटर द्वारा ही की गई थी। तब स्टेला नर्सिंग काउंसिल की कार्यकारिणी समिति की सदस्य थीं। इसी समिति द्वारा 2020 में 660 कॉलेजों की मान्यता स्वीकृत की थी। इनमें से 200 से ज्यादा कॉलेज की मान्यता समाप्त हो चुकी है और वे बंद हो चुके हैं। बावजूद स्टेला के विरुद्ध कार्रवाई करने बजाय नया रजिस्ट्रार बना दिया गया। आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर दोषी रजिस्ट्रारों को महज एक पेज का नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर ली गई। यह सीधे तौर पर घोटाले के दोषियों को बचाने का प्रयास है।

सरकार ने दी अपनी सफाई

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट भी पेश की गई। रिपोर्ट अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष बर्नाड ने पेश की। उन्होंने न्यायालय को बताया कि नर्सिंग कॉउंसिल की पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को दतिया ट्रांसफर कर आरोप पर जारी किया गया है। विभागीय जांच 3 माह में समाप्त कर ली जाएगी। नई रजिस्ट्रार स्टेला पीटर को भी पद से हटाकर मूल पद वापस पर भेज दिया है। काउंसिल ने फैकल्टी फर्जीवाड़े में वर्ष 2022-23 में मान्यता प्राप्त करने वाले 19 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता समाप्त करने की जानकारी भी दी। इन सभी कॉलेज की सूची भी सौंपी। इनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रतलाम, खंडवा, दतिया सहित अन्य जिलों के नर्सिंग कॉलेज शामिल हैं। इसके अलावा जिन निरीक्षकों द्वारा कॉलेजों की भौतिक सत्यापन की गलत रिपोर्ट सौंपी गई थी उन्हें भी नोटिस जारी किए हैं। उन पर कार्यवाई के लिए कमेटी गठित की गई है।

नहीं मानी काउंसिल की दलील, कहा- सीबीआई को सौंपने पर विचार करेंगे

न्यायालय ने नर्सिंग काउंसिल और सरकार द्वारा उठाए गए किसी भी कदम को खारिज कर दिया। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा उठाए गया एक भी कदम संतोषजनक नहीं है। इस मामले में की गई कार्यवाई और सरकार के ढीले रवैए के कारण हम अब इस मामले को सीबीआई को सौंपने पर विचार करेंगे। 

न्यायालय ने इसलिए 40 मामले जबलपुर ट्रांसफर करने का दिया आदेश

न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी पर सरकार की ओर से पक्ष रखा गया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई प्रदेशभर के नर्सिंग कॉलेज की जांच कर रही है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने आपत्ति ली। उन्होंने न्यायालय को बताया कि सीबीआई सिर्फ उन 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर रही है जिन्हें 2020-21 में मेडिकल यूनिवर्सिटी ने संबद्धता दी थी। नर्सिंग काउंसिल द्वारा वर्ष 2020-21 में खोले गए 670 नर्सिंग कॉलेज में से 364 कॉलेजों के अलावा बाकी के सभी कॉलेज अभी भी सीबीआई की जांच से बाहर हैं। इसके चलते न्यायालय ने ग्वालियर बेंच में चल रहे नर्सिंग कॉलेज घोटाले के 40 अन्य मामलों को भी जबलपुर हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के आदेश दिए।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद बंद होने वाले 19 नर्सिंग कॉलेज

  1. सुख सागर कॉलेज, जबलपुर।
  2. आरके नर्सिंग कॉलेज, दतिया।
  3. ज्ञान स्कूल ऑफ नर्सिंग, धार।
  4. इंदौर इंटरनेशनल कॉलेज, धार।
  5. जेबी इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग, ग्वालियर।
  6. वैष्णवी इंस्टिट्यूट, ग्वालियर।
  7. सैलाना कॉलेज ऑफ नर्सिंग, रतलाम।
  8. टेक्नोक्रेट्स स्कूल ऑफ नर्सिंग, भोपाल।
  9. टीडी इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, रीवा।
  10. जीएनएस नर्सिंग कॉलेज, दतिया।
  11. अभिषेक नर्सिंग कॉलेज, ग्वालियर।
  12. श्री स्वामी महाराज कॉलेज ऑफ नर्सिंग, दतिया।
  13. एनआरआई इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग, भोपाल।
  14. महाराणा प्रताप स्कूल ऑफ नर्सिंग, भोपाल।
  15. श्री रविंद्रनाथ टैगोर इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, खंडवा।
  16. बीआईपीएस स्कूल ऑफ नर्सिंग, ग्वालियर।
  17. सर्वधर्म स्कूल ऑफ नर्सिंग, ग्वालियर।
  18. मधुबन स्कूल ऑफ नर्सिंग, इंदौर।
  19. पीजी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, ग्वालियर।