गुरु तेग बहादुर जी... जिन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा, ऐसे धर्मगुरु की याद में लंगर आज
सिख पंथ के 9वें गुरु श्री तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व के तहत रतलाम में कीर्तन और संगत का आयोजन किया जा रहा है। इसका समापन आज (29 अप्रैल) को होगा। इस मौके पर लंगर बंटेगा।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सिख समाज द्वारा श्री तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसके चलते 28 अप्रैल को कीर्तन, संगत और लंगर का आयोजन हुआ। इसके समापन पर 29 अप्रैल को अरदास और लंगर का आयोजन होगा।
भारतवर्ष का इतिहास अनेक बलिदानियों के बलिदान से भरा हुआ है। जब बात मानवता की रक्षा के लिए शहादत देने की आती है तो सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर जी का अनुपम उदाहरण दुनिया के सामने रहता है। उनका जन्म अप्रैल 1621 में पंजाब में अमृतसर में माता नानकी और गुरु हरगोविंद सिंह के यहां हुआ था। उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया। उन्होंने समाज से आह्वान किया था कि डर और भय से कभी भी अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। "गुरु तेग बहादुर बोलया, धर पइए धर्म न छोड़िए।" लोगों के मन से आता ताइयों का डर और भय समाप्त करने के लिए उन्होंने स्वयं अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।
ऐसे गुरु का प्रकाश पर्व इन दिनों सिख समाज द्वारा मनाया जा रहा है। इसी क्रम में रविवार को श्री अरविंद मार्ग पर स्थित खालसा सभागृह में ज्ञानी मानसिंह व पथ प्रसिद्ध कीर्तनी जसकरण सिंह पटियाला वाले व साथी फतेहसिंह चाँदसिंह द्वारा कीर्तन कर सँगत को निहाल किया गया। उन्होंने संगत को अपनी सुमधुर वाणी से गुरु शब्द का गायन कर जोड़ा। इसके पश्चात गुरु का अटूट लंगर बंटा।
ये उपस्थित रहे
इस दौरान सरदार गुरनाम सिंह डंग, हरजीत सिंह चावला, देवेंद्र सिंह वाधवा, सुरेंद्र सिंह भामरा, सतपाल सिंह डंग, हरजीत सलूजा, धर्मेंद्र गुरुदत्ता, कुलवंतसिंह सग्गू, अमरपाल वाधवा, गगनदीप सिंह डंग सहित समाजजन मौजूद रहेl
अखंड पाठ साहब की समाप्ति आज, लंगर भी होगा
29 अप्रैल (सोमवार) को सुबह अखंड पाठ साहब की समाप्ति के बाद अरदास शुरू हुई। अरदास की समाप्ति के बाद दोपहर 1:30 बजे गुरु का अटूट लंगर बंटेगा।