युगांत : पद्मश्री से अलंकृत प्रख्यात कथाकार मालती जोशी का निधन, मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव, IIMC के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने दी श्रद्धांजलि
पद्मश्री मालती जोशी का दिल्ली में निधन हो गया। वे प्रख्यात कलाकार थीं। साहित्य जगत से जुड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है।
एसीएन टाइम्स @ भोपाल । पद्मश्री से अलंकृत लोकप्रिय कथाकार मालती जोशी का 15 मई की रात करीब नौ बजे दिल्ली में निधन हो गया। वे 90 वर्ष की थीं। वे विगत दिसंबर से कैंसर से पीड़ित थीं। उन्होंने पूरी जीवट के साथ इसका सामना किया। इसी दौरान उन्होंने पाठकों के लिए अंतिम बार कथा कथन भी किया।
पद्मश्री जोशी के अंतिम समय में उनके दोनों पुत्र ऋषिकेश और सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र) तथा पुत्र वधुएं अर्चना और मालविका उनके पास थे। मूलतः भोपाल निवासी मालती जोशी को मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
पद्मश्री से सम्मानित, वरिष्ठ साहित्यकार दीदी मालती जोशी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। आपकी कृतियां साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं।
— Dr Mohan Yadav (Modi Ka Parivar) (@DrMohanYadav51) May 16, 2024
बाबा महाकाल से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और परिजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।… pic.twitter.com/EhkzWIdDeK
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि पचास से अधिक हिन्दी और मराठी कथा संग्रहों की लेखिका मालती जोशी, शिवानी के बाद हिन्दी की सबसे लोकप्रिय कथाकार मानी जाती हैं। वे अपने कथा कथन की विशिष्ट शैली के लिए जानी जाती थीं। उनके साहित्य पर देश के कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुए हैं। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि उनके कथा संसार से भारतीय परिवारों, रिश्तों और मूल्यबोध की गहरी संवेदना पैदा होती है। जोशी को 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया था।
विशिष्ट पहचान बनाई थी
मप्र साहित्य अकादमी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हिंदी और मराठी की प्रख्यात कथाकार मालती जोशी हमारे बीच नहीं रहीं। पद्मश्री से अलंकृत और साठ से अधिक कथा संग्रहों की लेखिका ने अपनी विशिष्ट लेखन और वाचन शैली से अलग पहचान बनाई थी।
हिंदी और मराठी की प्रख्यात कथाकार मालती जोशी हमारे बीच नहीं रहीं। पद्मश्री से अलंकृत और साठ से अधिक कथा संग्रहों की लेखिका ने अपनी विशिष्ट लेखन और वाचन शैली से अलग पहचान बनाई थी। विनम्र श्रद्धांजलि ????@rashtrapatibhvn @PMOIndia @kishanreddybjp @arjunrammeghwal @M_Lekhi… pic.twitter.com/Fk8BSOaOAW
— Sahitya Akademi (@sahityaakademi) May 16, 2024
पद्मश्री मालती जोशी संक्षिप्त परिचय
मालती जोशी का जन्म 4 जून 1934 को औरंगाबाद में हुआ था। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से वर्ष 1956 में हिन्दी विषय से एम.ए. की शिक्षा ग्रहण की। अब तक अनगिनत कहानियां, बाल कथाएं व उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया जा चुका है। कई कहानियों का रंगमंचन रेडियो व दूरदर्शन पर नाट्य रूपान्तर भी प्रस्तुत किया जा चुका है। कुछ पर जया बच्चन द्वारा दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक ‘सात फेरे’ का निर्माण किया गया था। कुछ कहानियां गुलजार के दूरदर्शन धारावाहिक ‘किरदार’ और ‘भावना’ में शामिल की गईं थी। मालती जोशी को हिन्दी व मराठी की विभिन्न व साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा वर्ष 1998 के ‘भवभूति अलंकरण सम्मान’ से भी विभूषित की गईं थीं।
कहनी संग्रह
1- मध्यांतर (1977), 2- पटाक्षेप (1978), 3- पराजय (1979), 4- एक घर सपनों का (1985), 5- विश्वास गाथा, 6- शापित शैशव तथा अन्य कहानियाँ (1996), 7- पिया पीर न जानी (1999) 8- औरत एक रात है (2001), 9- रहिमन धागा प्रेम का, 10- परख, 11- वो तेरा घर ये मेरा घर, 12- मिलियन डॉलर नोट तथा अन्य कहानियाँ, 13- ऑनर किलिंग और अन्य कहानियाँ, 14- स्नेह बंध तथा अन्य कहानियाँ।
(परिचय विकिपीडिया से साभार)