ऐसे हैं रतलाम के नए SP : जिस ‘सिस्टम’ से थे नाराज, मित्र की सलाह और यह फिल्म देख बन गए उसी का 'हिस्सा', ताकि...

रतलाम के नए एसपी राहुल कुमार लोढ़ा का जानना चाहते हैं, तो पढ़िए यह खबर।

ऐसे हैं रतलाम के नए SP : जिस ‘सिस्टम’ से थे नाराज, मित्र की सलाह और यह फिल्म देख बन गए उसी का 'हिस्सा', ताकि...
राहुल कुमार लोढ़ा (आईपीएस), एसपी- रतलाम।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । राजनीति हो, प्रशासनिक व्यवस्था हो या फिर पुलिस की कार्यप्रणाली, इसमें व्याप्त गंदगी और खामियों की चर्चा तो खूब होती है लेकिन इसे दूर करने का जोखिम कम लोग ही उठाते हैं। पुणे (महाराष्ट्र) के इंजीनियरिंग कॉलेज के युवाओं में भी इसे लेकर चर्चा होती थी। सिस्टम की गंदगी से नाराज ऐसे ही एक युवा से उसके सहपाठी ने कहा- सिस्टम को भला-बुरा कहने से कुछ नहीं होगा। यदि चाहते हो कि सिस्टम सुधरे तो खुद उसमें घुस जाओ और उसकी गंदगी साफ कर दो। यह बात उस युवा को ऐसी जंची कि UPSC करने की ठान ली और बन गया IPS अधिकारी।

यह युवा कोई और नहीं, रतलाम के नए एसपी राहुल कुमार लोढ़ा हैं। बुरहानपुर के एसपी राहुल कुमार को असिस्टेंट पुलिस महानिरीक्षक के रूप में पुलिस मुख्यालय भोपाल स्थांतरित हुए सिद्धार्थ बहुगुणा की जगह रतलाम में पदस्थ किया गया है। महाराष्ट्र के जलगांव निवासी सामान्य से परिवार में जन्में राहुल की हाईस्कूल तक की पढ़ाई तो जलगांव में हुई। इसके बाद पुणे में रहकर 11वीं-12वीं की। उन्होंने सुनहरे सपने देखे थे और इसके लिए आईटी इंजीनियरिंग को करियर बनाने का जरिया चुना था। इसी सोच के चलते उन्होंने पुणे के ही इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया।

मित्र ने दिया गुरुमंत्र, फिल्म ‘युवा’ से मिली दिशा

राहुल भी अन्य युवाओं की ही तरह सिस्टम की गंदगी और खामियों से नाराज थे। इसे वे अक्सर अपने मित्रों और सहपाठियों के बीच चर्चा के दौरान जता दिया करते। तब एक मित्र ने उन्हें सिस्टम का हिस्सा बनकर ही इसकी खामियों को दूर करने का गुरुमंत्र दिया। इसी दौरान उन्होंने मणिरत्नम की अभिषेक बच्चन, अजय देवगन, रानी मुखर्जी, विवेक ओबेराय, करीना कपूर, रानी मुखर्जी, ईशा देओल, ओमपुरी अभिनीत मल्टी स्टारर फिल्म ‘युवा’ भी देखी। फिल्म में भी यही बताया गया है कि सिस्टम में यदि गंदगी है तो खुद उसमें घुसकर उसमें सुधार करिए, गंदगी को दूर कीजिए। इंजीनियरिंग में स्नातक राहुल कुमार की 2008 में ही मल्टीनेशनल कंपनी IBM में नौकरी लग गई लेकिन वह ज्यादा दिन नहीं चली। दरअसल, दोस्त की बात और फिल्म के इस संदेश ने उनकी सोच बदल दी थी और उन्होंने यूपीएससी (UPSC) करने की ठान ली। वे 2009 से ही सिविल सर्विसेस की परीक्षा देनी शुरू कर दी थी।

IPS बनने की राह ऐसे हुई आसान

यूपीएससी क्लियर करना आसान काम नहीं है, इसलिए तैयारी के लिए राहुल दिल्ली पहुंच गए। यहां रहने की व्यवस्था नहीं होने से चांदनी चौक के गुरुद्वारे और धर्मशाला में रहे। पूछते-पूछते एक कोचिंग तक पहुंच भी पहुंच गए लेकिन तब तक समय काफी गुजर चुका था, पढ़ाई भी काफी आगे निकल चुकी थी, प्रवेश नहीं मिला। इसलिए कोचिंग से बाहर आने वाले स्टूडेंट्स से ही पढ़ाए गए सबक और जरूरी किताबों के बारे में जानकारी लेते। उन्होंने भूगोल ऑप्शनल विषय चुन लिया था और अपने स्तर पर तैयारी भी शुरू कर दी थी। इस तरह करीब ढाई-तीन माह गुजर गए। कोचिंग का नया बैच शुरू हुआ, स्कॉलरशिप भी मिल गई जिसमें पढ़ाई और रहना निःशुल्क था। सबकुछ बेहतर रहा और 2011 में IPS बन ही गए।

ट्रक चोरी की पड़ताल ने खोले 38 हत्याओं के राज

IPS राहुल कुमार लोढ़ा भोपाल उत्तर, गुना, बुरहानपुर आदि जिलों में रह चुके हैं। सभी जगह इनकी कार्यशैली की प्रशंसा होती रही है। भोपाल उत्तर में एसपी रहने के दौरान एक बड़ा मामला उजागर हुआ था। तब वहां एक के बाद एक, तीन ट्रक चोरी हुए थे। पहले तो यह सामान्य चोरी जैसी घटना ही नजर आ रही थी लेकिन जब पड़ताल शुरू हुई तो करीब 34 हत्याएं उजागर हो गईं। दरअसल, चोर ट्रक चुराने के बाद ड्राइवर और क्लीनर की हत्या कर शव जहां-तहां फेंक देता था। वह ट्रक और उसका सामान बेच देता था। इस तरह वह एक ट्रक से करीब 8 से 10 लाख रुपए तक कमा लेता था। सालों पहले हुई इन हत्याओं को ट्रैस करना लगभग नामुमकिन ही थी लेकिन एसपी लोढ़ा की मार्गदर्शन, तकनीकी ज्ञान आदि से तकरीब 7-8 माह में यह संभव हो सका था। मामले में आरोपी के विरुद्ध डेढ़ दर्जन केस दर्ज हुए थे।

अपराधी के दिमाग, तकनीक व मददगारों से एकसाथ लड़ना आसान नहीं

लोढ़ा एक विचित्र मामले को हल करने के लिए भी जाने जाते हैं। किस्सा भोपाल का ही, एक युवती ने जब शादी करने से इनकार कर दिया तो उसके प्रेमी रोहित ने उसे कट्टे की नोक पर बंधक बना लिया। उसने एक बहुंजिला इमारत की 5वीं मंजिल के एक फ्लैट में युवती और खुद को बंद कर लिया। उसने लड़की को जख्मी भी कर दिया था। एसपी राहुल को पता चला तो वे घटनास्थल पहुंचे। यह पूरा मामला इंटरनेट के माध्यम से लगभग लाइव हो रहा था जिसे वह मोबाइल फोन पर लगातार देख रहा था। गूगल का उपयोग भी कर रहा और फोन पर लोगों से सलाह भी ले रहा था। यानी अपराधी के दिमाग, तकनीक और उसके मददगारों से निपटना आसान नहीं था। करीब 4 घंटे के प्रयास के बाद आखिरकार युवती को न सिर्फ बचा लिया गया बल्कि उसे बंधक बनाने वाले को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

तकनीक को दोस्त और खुद को सर्विस प्रोवाइडर मानते हैं लोढ़ा

आईटी इंजीनियर राहुल अपराधों के नियंत्रण में तकनीक को पुलिस का दोस्त मानते हैं। इसके लिए वे लोगों को सीसीटीवी कैमरे का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने और उसके फुटेज पुलिस को उपलब्ध कराने की अपील भी करते हैं। उनकी गुना और बुरहानपुर में पुलिस गश्त को सीसीटीवी कैमरे से जोड़ने का प्रयोग भी सफल रहा था। बुरहानपुर में अस्पताल का सामान खरीदने-बेचने के नाम पर सरकारी धन के गबन और षड्यंत्र में शामिल पत्रकारों तथा डॉक्टरों को जेल की हवा भी खिला चुके हैं। आईपीएस राहुल की प्राथमिकता भयमुक्त वातावरण का निर्माण और लॉ एंड ऑर्डर कायम रखना है। खुद को सर्विस प्रोवाइडर कहने वाले लोढ़ा 2 अगस्त को रतलाम एसपी का पदभार ग्रहण करेंगे।