ये बच्चे खास हैं इसलिए गुलाब देकर किया स्वागत, इनकी मुस्कान यूं ही कायम रहे इसलिए रक्तदान जरूर करें
रतलाम में जिला अस्पताल के थैलेसीमिया सिकल सेल के मरीजों के डे-केयर सेंटर पर विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया गया। इस मौके पर गुलाब देकर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का उत्साहवर्धन किया गया।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रक्त किसी फैक्टरी में नहीं बनता, न ही पेड़-पौधे में लगने वाले फल से ही मिलता है। इसका कोई अन्य कृत्रिम स्रोत भी नहीं है। यह ईश्वर की अनुपम भेंट है जो सिर्फ हमारे और आपके शरीर में ही मौजूद है। हमारा यह रक्त दम तोड़ते लोगों में फिर से प्राण फूंक सकता है, थैलेसीमिया पीड़िता बच्चों की मुस्कान यथावत रख सकता सकता है। इसलिए रक्तदान जरूर करें। यह महादान है, किसी की सांसें लौटाने में मददगार बनने से बढ़ कर कोई और दान नहीं है।
इसी पुनीत उद्देश्य को लेकर और थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों और उनके परिवार में उत्साह का संचार करने के लिए ही हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। इसे लेकर रतलाम के डॉक्टर और समाजसेवी बेहद संजीदा हैं और सरकार भी। विश्व थैलेसीमिया दिवस के मौके पर स्थानीय जिला अस्पताल द्वारा थैलेसीमिया सिकल सेल के मरीजों के लिए संचालित डे-केयर सेंटर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शुरुआत डॉ. अखंडप्रताप सिंह, डॉ. आर. सी. डामोर, डॉ. सोनू कुशवाह, तेजकुमार देवड़ा एवं जिला रोगी कल्याण समिति सदस्य गोविंद काकानी ने थैलेसीमिया ग्रसित बच्चों को गुलाब देकर की।
स्वैच्छ रक्तदाताओं के कारण नहीं हुई कोई अकाल मृत्यु- काकानी
जिला रोगी कल्याण समिति एवं काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी ने थैलेसीमिया और सिकल सेल के बच्चों की बढ़ती उम्र के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मानव सेवा समिति एवं जिला चिकित्सालय ब्लड बैंक के सक्रिय सहयोग जिसमें स्वैच्छिक रक्तदाताओं के नियमित रक्तदान से थैलेसीमिया और सिकलसेल के बच्चों को निशुल्क सुरक्षित एवं तत्काल रक्त आपूर्ति होने से कोई भी अकाल मृत्यु अब तक नहीं हुई है। काकानी के अनुसार थैलेसीमिया लाइलाज नहीं रहा। इसलिए न बच्चों की फिक्र करने की जरूरत है और न ही परिजन को।
काकानी जैसे समाजसेवियों का योगदान उल्लेखनीय- डॉ. डामोर
इस मौके पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डामोर ने बताया कि वर्षों से थैलेसीमिया ग्रसित बच्चों का इलाज यहां पर किया जा रहा है। उनके लिए आवश्यक दवाएं इस समय पर उपलब्ध करवाई जाती हैं। इसी के साथ शासन से मिलने वाली योजनाओं में लगने वाले डिसेबिलिटी कार्ड भी तत्काल बनाने का कार्य किया जाता है। इसमें गोविंद काकानी जैसे समाजसेवियों का उल्लेखनीय योगदान मिलता है।
तेजी से हो रहा बोन मैरो ट्रांसप्लांट- डॉ. सिंह
डॉ. अखंडप्रताप सिंह ने बताया कि शासन द्वारा थैलेसीमिया ग्रसित बच्चों के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट तेजी से किया जा रहा है। इससे उन्हें वापस रक्त चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें शासन का पूरा सहयोग मिल रहा है। विगत माह की भोपाल में हुए प्रशिक्षण में थैलेसीमिया, सिकल सेल बीमारी को रोकने के लिए एवं अन्य संबंधित विषयों की जानकारी दी गई। डॉ. सिंह ने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना की
रतलाम का डे केयर सेंटर प्रदेश में अग्रणी
बता दें कि, जिला चिकित्सालय में डे केयर सेंटर बन जाने से बच्चों को एक ही जगह पर सुरक्षित माहौल में रक्त चढ़ाया जा रहा है। वार्ड में बच्चों की सुविधा के लिए 10 बेड, एसी, दवाइयां रखने हेतु फ्रीज, मनोरंजन के लिए टेलीविजन, पेनड्राइव, रिकॉर्ड रखने के लिए अलमारी, पीने के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था, बिस्किट, विशेष प्रशिक्षित नर्सों द्वारा सेवा दी जा रही है। जिला चिकित्सालय लेबोरेटरी के माध्यम से हीमोग्लोबिन, फेरिटिन सहित अनेक प्रकार की जांच भी नि:शुल्क समय-समय पर की जा रही है। इसमें कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रभाकर ननावरे, सिविल सर्जन डॉ. आनंद चंदेलकर का सराहनीय सहयोग मिल रहा है। आवश्यकता पड़ने पर समाजसेवी दीपक डोसी, ज्योति छजलानी, रेखा राजेंद्र सोमानी (ताल), वंदना बरबेटा (पेटलावद), सुशील मूणत आदि के सहयोग से बिस्किट, दवाई, ब्लड ट्रांसफ्यूजन किट आदि की व्यवस्था भी तत्काल की जाती है।
स्वास्थ्य परीक्षण किया, बिस्किट वितरित किए