ये क्लास खास है : तीन दिनी साइंस वर्कशॉप 1 जून से, विज्ञान संचारक गजेंद्र सिंह राठौर बच्चों को क्रियात्मक रूप में समझाएंगे विज्ञान की अवधारणाएं
ख्यात विज्ञान संचारक गजेंद्र सिंह राठौर द्वारा कक्षा 6 से 10 तक के विद्यार्थियों के लिए तीन दिनी साइंस वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। वर्कशॉप में उनमें गतिविधि के माध्यम से विज्ञान की अवधारणाओं की समझ विकसित की जाएगी।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । पाठ्य पुस्तकों में लिखी विज्ञान की अवधारणाओं को बच्चे प्रायः रटने का प्रयास करते हैं, बौद्धिग विकास की दृष्टि से उचित नहीं है। इसलिए बच्चों में अवधारणाओं को क्रियात्मक स्वरूप में समझ विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी के मद्देनजर रतलाम के प्रसिद्ध विज्ञान संचारक गजेंद्र सिंह राठौर द्वारा तीन दिनी साइंस वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है।
वर्कशाप 1 से 3 जून तक चलेगी। इसमें कक्षा 6 से 10 तक के चयनित 30 विद्यार्थी नि:शुल्क भाग लेंगे। विद्यार्थियों का चयन एक ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से किया गया है। चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि विज्ञान में रुचि और 6 से 10 तक की प्रत्येक कक्षा का इसमें प्रतिनिधित्व हो। चयनित विद्यार्थियों को एक वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से जोड़ा गया है ताकि उन्हें जरूरी सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सके। इन विद्यार्थियों के लिए कार्यशाला विज्ञान संचारक राठौर के शुभम् श्री कॉलोनी स्थित निवास पर ही आयोजित होगी।
मॉडल बनाएंगे, वैज्ञानिक शब्दावली से परिचित होंगे
वर्कशाप में हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों के विद्यार्थी कक्षा 6 से 10 तक की एनसीईआरटी के साइंस के बेसिक कॉन्सेप्ट को गतिविधियों के माध्यम से सीखेंगे और प्रयोग भी करेंगे। विद्यार्थी स्वयं एक्टिविटी के लिए मॉडल भी बनाएंगे और वैज्ञानिक शब्दावली से भी परिचित होंगे। वे अपने मॉडल्स और एक्टिविटी को प्रदर्शित करना भी सीखेंगे।
28 वर्ष से विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए हैं सक्रिय
बात दें कि, राठौर ने स्वयं नवाचारी प्रयोगों के माध्यम से शिक्षण को रुचिकर बनाया है। पिछले 28 वर्षों से विज्ञान लोकप्रियकरण की दिशा में प्रयासरत हैं। वे घर पर ही विज्ञान की अवधारणाओं पर क्रियात्मक सामग्री तैयार करते हैं तथा विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों (वाट्सअप, यूट्यूब, फेसबुक, वेबेक्स आदि) से विद्यार्थियों और शिक्षकों को एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग से परिचित कराते है। लर्न बाय फन, साइंस बाय डूइंग, एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग में देशभर में साइंस फोरम पर इन्हें रतलाम और मध्य प्रदेश का प्रतिनिधि माना जाता है। राठौर को 2015 में मप्र के नवाचारी शिक्षक का पुरस्कार तथा 2016 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है।