Habibganj Station No More : अब गोंड रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा, केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के 24 घंटे के भीतर MP सरकार के जारी किया नोटिफिकेशन, बोर्ड बदले
Habibganj Station No More : अब गोंड रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा। MP सरकार के जारी किया नोटिफिकेशन। नाम के बोर्ड भी बदले।
भोपाल @ एसीएन टाइम्स . मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का हबीबगंज रेलवे स्टेशन अब इतिहास (Habibganj Station No More) बन कर रह गया है। शनिवार से यहां रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम अस्तिव में आ गया है। इस स्टेशन का सिर्फ नाम ही नहीं बदला है, इसका रंग-रूप भी बदल गया है। नवशृंगारित और नए नाम वाले इस रेलवे स्टेशन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को करेंगे।
शनिवार को हबीबगंज रेलवे स्टेशन के नाम (Habibganj Station No More) पर पर्दा डालने का काम भी शुरू हो गया। मौजूदा बोर्ड पर ही नए नाम के स्टीकर लगाए जा रहे हैं। स्टेशन का पुनिर्माण बंसल पाथवे प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। इसके डायरेक्टर अबु आसिफ हैं। उनके अनुसार अभी प्लेटफॉर्म पर लगी पट्टियों पर ही स्टीकर लगाए जा रहे हैं। बोर्ड और प्लेटफॉर्म पर नए नाम के स्टीकर और फ्लैक्स लगाने का काम शुरू हो गया। चूंकि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री को करना है इसलिए अभी सिर्फ प्लेटफॉर्म नंबर एक और उसके आउटर पर ही नाम बदला जा सका है।
जर्मनी के हीडलबर्ग रेलवे स्टेशन की तर्ज पुनर्निर्माण दावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल आ रहे हैं। वे भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय सम्मेलन में शामिल होंगे। इस दौराने वे देश के पहले पीपीपी मॉडल पर बने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। दावा किया जा रहा है कि इसका पुनर्निमाण जर्मनी के हीडलबर्ग रेलवे स्टेशन की तर्ज पर किया गया है।
रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शित होंगे दर्शनीय स्थलों के चित्र
रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं दर्शनीय स्थलों का नजारा देखने को मिलेगा। यहां भोजपुर मंदिर, सांची स्तूप, भीमबैठका के चित्रों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा मुख्य द्वार पर अंदर की ओर दोनों तरफ की दीवारें भील व पिथौरा पेंटिंग से सुसज्जित होंगी। वेटिंग रूम और लाउंज होगा। एयर कॉनकोर्स भी होगा जिसकी लंबाई 84 मीटर और चौड़ाई 36 मीटर होगी। प्लेटफॉर्म पर 1750 यात्री बैठक सकें, इसके लिए स्टेनलेस स्टील की चेयर होंगी।
जानिए, कौन थीं रानी कमलापति और किसके नाम पर नामकरण की हुई थी मांग
इतिहास के झरोखे में झांके तो पता चलता है कि भोपाल पर 16वीं शताब्दी में गोंड शासकों का शासन था। बताया जाता है कि गोंड राजा सूरजसिंह शाह के पुत्र निजाम शाह से रानी कमलापति का विवाह हुआ था। रानी ने पूरे जीवनकाल में बहादुरी के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया था। वे भोपाल की अंतम गोंड रानी थीं।
माना जा रहा है कि आदिवासी समुदाय को आकर्षित करने के लिए जारी कवायद के चलते ही हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम भी उनके नाम (Habibganj Station No More) पर करने का निर्णय हुआ। हालांकि सांसद प्रज्ञा ठाकुर सहित अन्य नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री पं. अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की मांग की थी।
मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग की ओर से रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिखा गया था। इस पर एक दिन पूर्व ही भारत सरकार ने स्वीकृति के मुहर लगा दी। महज 24 घंटे में राज्य सरकार ने भी गजट नोटिफिकेशन (Habibganj Station No More) जारी कर दिया।