बुद्ध पूर्णिमा पर… यूं हुआ महसूस जैसे- मुस्कुराये बुद्ध ! आइये, जानते हैं क्या हैं बुद्ध के मुस्कुराने के मायने...
‘बुद्ध’ शब्द का अर्थ उस व्यक्ति से है जिसने ज्ञान, निर्वाण और बुद्धत्व प्राप्त कर लिया हो तथा चार आर्य सत्यों को समझ लिया हो। प्रायः 'बुद्ध' शब्द से महात्मा बुद्ध का बोध होता है किन्तु यह अन्य व्यक्तियों और संदर्भों में भी प्रयुक्त किया जाता है। कई विद्वानों अलग-अलग प्रसंगों और संदर्भों में बुद्ध के मुस्कुराने का जिक्र भी किया है, क्योंकि बुद्ध जब भी मुस्कुराएं हैं तो कुछ नया, कुछ बड़ा और कुछ चौंकाने वाला ही हुआ है। आइये, जानते हैं बुद्ध के मुस्कुराने के क्या मायने हैं...

अज़हर हाशमी
भोर का अद्भुत नज़ारा
वक़्त ने जिसको सँवारा
धूप ने जिसको निखारा
भोर का सूरज कि जैसे-
ध्यान ध्याये बुद्ध !
पक्षियों का गीत गाना
वत्सला गौ का रंभाना
और बछड़े को बुलाना
यूँ हुआ महसूस जैसे-
मुस्कुराये बुद्ध !
भोर जैसे कर्म की लय
भोर जैसे तेज-संचय
भोर जैसे सत्य की जय
'सत्य अष्टांगिक-सनातन'
बुदबुदाये बुद्ध !
(‘प्रो. अज़हर हाशमी’ के गीत संग्रह ‘कभी काजू घना, कभी मुट्ठी चना’ से साभार।)
बुद्ध पूर्णिमा : एक ऐतिहासिक तथ्य
51 साल पहले यूं मुस्कुराए बुद्ध !
‘बुद्ध के मुस्कुराने’ का जिक्र प्रो. अज़हर हाशमी की उक्त रचना के अलावा आज से करीब 51 साल पहले 18 मई, 1974 को भी हुआ था। इसी दिन सुबह 8.05 बजे राजस्थान के पोखरण टेस्ट रेंज 8-12 किलोटन विस्फोटक क्षमता वाले ‘इम्प्लोजन-टाइप प्लूटोनियम बम’ का परीक्षण किया गया था। यह बम अमेरिका द्वारा हिरोशिमा नागासाकी पर इस्तेमाल "फैट मैन" बम के समान था। यह ऑपरेशन BARC के निदेशक डॉ. राजा रमन्ना, डॉ. पी.के. आयंगर और डॉ. होमी सेठना हुआ। इस परमाणु डिवाइस को 107 मीटर गहरे गड्ढे में रखकर रिमोट कंट्रोल से विस्फोट किया गया था।
इस मिशन को अत्यंत गोपनीय रखा गया था। इसकी जानकारी केवल 75 वैज्ञानिकों और अधिकारियों की एक छोटी टीम को ही जानकारी। अमेरिका और अन्य खुफिया एजेंसियां इसे भांप तक नहीं पाईं थी। परीक्षण की सफलता के बाद डॉ. राजा रमन्ना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘इंदिरा गांधी’ को फोन पर कोड वाक्य कहा था- "द बुद्धा हैज़ स्माइल्ड" (बुद्ध मुस्कुराए हैं)। दरअसल, जिस दिन यह परीक्षा हुआ उस दिन बुद्ध पूर्णिमा (गौतम बुद्ध का जन्मदिन) था। भारत ने इसे शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट (Peaceful Nuclear Explosion) के रूप में प्रस्तुत किया था। इस बुद्ध पूर्णिमा से चार-पांच दिन पूर्व भी ऐसा कुछ ऐसा हुआ जिससे भारत दुनिया में एक सशक्त, संयमित और सामरिक रूप से मजबूत देश के रूप में उभरा है।