मातृ दिवस विशेष : ‘मार्गन स्टैनले’ व ‘वर्कफ़ोर्स’ की रिपोर्ट ने बढ़ाई राष्ट्रीय बहस की आवश्यकता, सामाजिक व पारिवारिक जीवन से मेल खाता हल जरूरी- पद्मश्री डॉ. लीला जोशी

मातृ दिवस पर पद्मश्री डॉ. लीला जोशी का यह आलेख मातृ शक्ति और मातृत्व को लेकर आई ताजा रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त करती है। आइये, जानते हैं क्या है उनकी चिंता की वजह।

मातृ दिवस विशेष :  ‘मार्गन स्टैनले’ व ‘वर्कफ़ोर्स’ की रिपोर्ट ने बढ़ाई राष्ट्रीय बहस की आवश्यकता, सामाजिक व पारिवारिक जीवन से मेल खाता हल जरूरी- पद्मश्री डॉ. लीला जोशी
मातृ दिवस पर पद्मश्री डॉ. लीला जोशी का आलेख।

पद्मश्री डॉ. लीला जोशी

ज मातृ दिवस है। भारत सहित विश्व के करीब-करीब सभी देश हर वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस के रूप में मनाते हैंI मातृ दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि जिस प्रकार निष्काम व समर्पित भाव से माँ जीवन पर्यन्त अपने बच्चे की देख-रेख व सुरक्षा करती है उसके लिए हम सब को भी उस मां के प्रति किसी न किसी रूप में कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए।

ज मुझे मेरे जीवन का वह दिन याद आ रहा है, जब मैं अस्पताल में अपने वार्ड में भर्ती रोगियों को देखने के लिए राउंड ले रही थी। मेरे साथ में थीं वार्ड की इन्चार्ज नर्स जो अपना काम व ड्यूटी बहुत तत्परता व समर्पित भाव से करने के लिए जानी जाती थीं। आज वे गलतियों पर गलतियाँ  किए जा रहीं थी। मरीजों  के लिए दिए जाने वाले आदेश मानो वह सुन ही नहीं पा रहीं थी। आज उसका व्यवहार बिलकुल बदला हुआ था।

राउंड समाप्त होने के बाद, मैंने अपने कुछ काम  निपटाए फिर सिस्टर को बुलाकर पूछा- ‘सिस्टर सब ठीक-ठाक तो है? पहले तो  उसने  कुछ जवाब  नहीं दिया, पर मेरे बार-बार पूछने पर उसने कहा- क्या  बताऊँ डॉक्टर साहब मैं घर पर अपने छ: वर्ष के बच्चे को हाई फीवर में छोड़कर   आई हूँ, क्या करूँ किसी भी काम में मन ही नहीं लग रहा। उसकी आँखों में आंसू थे। मैंने पूछा- घर में उसे कौन देख रहा है? उसने बताया कि उसके पापा छुट्टी लेकर घर में हैं।

सी प्रकार हाल ही में महाकुम्भ के दौरान दिल्ली के रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म में भारी भगदड़ के  बीच एक रेलवे महिला कांस्टेबल रीना, अपने एक साल के बच्चे को कैरी ऑन नेप सैक में सीने से बांधे हुए भीड़भाड़ के बीच डंडा घुमाते हुए अपनी ड्यूटी करती हुई। वह बहुत चर्चित हुई और सराही  भी गई। कई अवॉर्ड भी उसके नाम होंगे, पर उसके पीछे की मजबूरी शायद ही किसी की नज़र में आई हो।

मातृत्व, माता को कुदरत द्वारा दिया गया एक गुण, उपहार या तोहफा है, जो गर्भधारण के बाद से माता को मिलता है। गर्भस्थ शिशु के पनपने के लिए मां के शरीर में कई बदलाव होते हैं। ये शारीरिक, हार्मोनल, वातावरणीय होते हैं और ये सब प्रसव के बाद धीरे-धीरे अपनी पूर्व स्थिति यानि गर्भधारण के पहले की हालत में हो जाते हैं। इन बदलाओं के अलावा एक विशेष परिवर्तन माता के मष्तिष्क व न्यूरोन्स में आता है, और यही है मातृत्व जिससे मां की मानसिक शक्ति, देख-रेख करने की क्षमता और विपरीत परिस्थितियों में समयोचित करना शामिल हैI

बसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये परिवर्तन जैविक परिवर्तनों की तरह प्रसव के बाद समाप्त नहीं होते, बल्कि जीवन पर्यन्त रहते हैं। महिला सशक्तिकरण के इस युग में, जो बड़ी समस्या आ रही है वह है कि, महिला को माता व गृहणी की भूमिका के साथ-साथ अपने बाहर के काम चाहे वह  कमाना हो या समाज सेवा या कुछ और, दोनों में संतुलन बनाना कठिन होता जा रहा है।

हाल ही में मार्गन स्टैनले की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसके अनुसार-2030 तक  45 प्रतिशत महिलाएँ या तो अविवाहित रहेंगी या संतान रहित। यदि यही स्थिति रही तो माता जो अपनी सुसंस्कृत, संस्कारी संतान के माध्यम से समाज का सबसे बड़ा उपकार करती है, उसका क्या होगा? इसी प्रकार हमारे यहाँ की वर्कफ़ोर्स की रिपोर्ट में महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय  बढ़ोतरी तो बताई है परंतु महत्वपूर्ण और ध्यान देने वाला बिंदु है ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का अंतर का। गत 3–4 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 24.6 प्रतिशत से 41.5 प्रतिशत हो गई है। वहीं शहरी क्षेत्रों में मामूली बढ़त 20.4 प्रतिशत से 25 तक हो दर्ज हुई है। ये आंकड़े हमें बताते हैं कि इस समस्या के लिए एक राष्ट्रीय बहस हो, जिसका हल ऐसा हो जो हमारे सामाजिक व पारिवारिक जीवन से मेल खाते हो।

...तो आइए, इस मातृ दिवस पर हम मातृत्व को सार्थक करें।

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(लेखक पद्मश्री डॉ. लीला जोशी भारतीय रेलवे की सेवानिवृत मुख्य चिकित्सा निदेशक हैं जो मप्र के रतलाम की निवासी होकर अपनी संस्था के माध्यम से महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन करने के साथ ही उन्हें निःशुल्क दवाईयां भी उपलब्ध कराती हैं। मातृशक्ति की रक्षा के लिए किए गए सेवा कार्य के लिए ही उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।)