सावधान ! साइबर फ्रॉड से जुड़ी यह खबर उड़ा देगी आपकी नींद, ओटीपी और अन्य जानकारी के बिना भी खाली हो सकता है आपका बैंक खाता, जानिए- कैसे होता है ऐसा
साइबर अपराधियों की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। वे नए-नए तरीके उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में आपको ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है ताकि कोई आपका बैंक खाता खाली न कर दे।
एसीएन टाइम्स @ डेस्क । साइबर धोखाधड़ी के तरीके लगातार विकसित हो रहे हैं। ऐसा ही एक तरीका और सामने आया है। इसमें ओटीपी, सीवीवी नंबर और यहां तक कि बैंक विवरण के बिना भी जालसाज आपके बैंक खाते को खाली कर सकते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे मामले में आपको फ्रॉड की जानकारी भी तब तक शायद न मिले जब तक कि आप पासबुक अपडेट न कराएं या स्टेटमेंट न देख लें। इसलिए सावधान रहिए और बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
जैसे-जैसे साइबर सिक्यूरिटी सिस्टम मजबूत हो रहा है वैसे-वैसे साइबर दोखाधड़ी करने वाले नए-नए तरीके इजाद और उपयोग कर रहे हैं। एटीएम और अन्य उपकरणों तक अनधिकृत पहुंच प्राप्त करने के लिए जालसाजों द्वारा सिलिकॉन फिंगरप्रिंट और बायोमैट्रिक मशीनों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। आधार नंबर का फायदा उठाकर और उंगलियों के निशान की नकल करके जालसाजों ने कई लोगों के खातों से बड़ी रकम निकाल ली। ऐसे ही कई मामलों का हवाला देते हुए साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने सावधान किया है।
धोखाधड़ी के कुछ उदाहरण
एक प्रसिद्ध यू-ट्यूबर पुष्पेंद्र सिंह की मां भी धोखाधड़ी का शिकार हुई हैं। उनके खाते से टू-स्टेप वेरिफिकेशन के बिना ही खाते से रुपए निकाल लिए गए। खासबात यह है कि बैंक की ओर से उन्हें इसका कोई अलर्ट मैसेज तक प्राप्त नहीं हो सका। उनके परिवार को इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब उन्होंने पासबुक अपडेट करवाई। इस धोखाधड़ी को आधार से जुड़े फिंगर प्रिंट का उपयोग कर अंजाम दिया गया।
इस साल की शुरुआत में हरियाणा के गुरुग्राम में भी धोखाधड़ी की एक ऐसी ही घटना हुई। एक व्यक्ति के फिंगरप्रिंट का उपयोग कर उनके खाते से अवैध रूप से रुपए निकाल लिए गए। इसकी जानकारी बैंक को दी गई लेकिन कुछ नहीं हुआ। यहां तक कि आधार ऐप के माध्यम से बायोमैट्रिक जानकारी को तुरंत लॉक करके धोखाधड़ी को भी नहीं रोका जा सका।
आखिर कैसे होती है ऐसी धोखाधड़ी
बताया गया है कि प्रायः इस तरह की धोखाधड़ी आधार सक्षम भुगतान सेवा (AEPS) के माध्यम से होती है। धोखेबाजों के लिए विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों में यह एक पसंदीदा उपकरण बन गया है। मात्र आधार कार्ड और फिंगरप्रिंट के साथ, व्यक्ति बिना किसी अतिरिक्त जानकारी के आसानी से रुपए निकाल सकते हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने भी इसकी पुष्टि की है। उसके अनुसार केवल आधार नंबर और फिंगरप्रिंट के आधार पर पैसा निकाला जा सकता है। इस तरह के लेन-देन के लिए सर्विस ऑपरेटर कमीशन लेता है। AEPS न केवल निकासी को सक्षम बनाता है बल्कि धन जमा करने और खाता विवरण की जांच करने की कार्यक्षमता भी प्रदान करता है। जब कोई खाता आधार से जुड़ा होता है तो यह स्वचालित रूप से सक्रिय हो जाता है। इससे अलग से एक्टिवेशन वाली प्रक्रिया खत्म हो जाती है।
जालसाज ऐसे हासिल करते हैं बायोमैट्रिक जानकारी
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का दावा है कि आधार डेटा सुरक्षित है। वहीं साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि आधार संख्या विभिन्न प्रारूपों में आसानी से उपलब्ध है। इनमें फोटोकॉपी और इंटरनेट पर प्रसारित सॉफ्टकॉपी शामिल हैं। साइबर अपराधी AEPS मशीनों का उपयोग बायोमैट्रिक जानकारी हासिल करने के लिए करते हैं। इसमें उनकी मदद सिलकॉन करती है। बायोमैट्रिक डेटा निकालने के बाद आसानी से बैंक खाते से रुपए निकाले जा सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको कुछ कदम उठाना जरूरी हैं। इसमें अपने आधार को लॉक रखने और आवश्यक होने पर ही इसे अनलॉक करने की सुविधा का उपयोग करना लाभकर है। आपको इससे थोड़ी असुविधा जरूर होगी लेकिन इससे आपकी खून-पसीने की कमाई में सेंध नहीं लग पाएगी। आधार लॉक-अनलॉक करने से आपका इंटरनेट या मोबाइल डाटा पर होने वाला खर्च जरूर आंशिक रूप से बढ़ेगा किंतु अपराधी आपके आधार नंबर का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। इसके अलावा मास्क-आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग भी ऐसी संभावित धोखाधड़ी को रोकने में समझम हो सकती है।