आलीराजपुर की JMFC अदालत ने मेधा पाटकर, डॉ. सुनीलम एवं 6 अन्य आंदोलनकारियों को किया बरी, डॉ. सुनीलम बोले- जारी रहेगा संघर्ष
करीब छह साल पुराने एक मामले में आलीराजपुर की एक अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर एवं समाजवादी विचारक डॉ. सुनीलम सहित अन्य आंदोलनकारियों को एक मामले में बरी कर दिया है।
2017 में 'नर्मदा संवाद यात्रा' के दौरान दर्ज किया गया था करीब 200 आंदोलनकारियों पर दर्ज हुआ था फर्जी मुकदमा
एसीएन टाइम्स @ आलीराजपुर । मध्य प्रदेश के आलीराजपुर के जेएमएफसी रूपेश कुमार साहू की अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम सहित 6 आंदोलनकारियों को बरी कर दिया है। इनके विरुद्ध 2017 में 'नर्मदा संवाद यात्रा' के दौरान विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
गौरतलब है कि नर्मदा घाटी के विस्थापितों के सम्पूर्ण पुनर्वास की मांग को लेकर नर्मदा संवाद यात्रा महाराष्ट्र जा रही थी। तभी गुजरात पुलिस ने यात्रा को सीमा पर ही रोक दिया था। कई घंटे के सत्याग्रह के बाद गुजरात पुलिस ने सभी आंदोलनकारियों को मध्य प्रदेश के नानपुर थाने गाड़ियों से पहुंचाया दिया था। इस यात्रा में कई राज्यों के आंदोलनकारी शामिल थे। यात्रा के नेतृत्वकर्ता जब अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे, तभी 3 जुलाई 2017 को मप्र पुलिस ने उनके विरुद्ध भादंवि की धारा 147, 341 के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया था। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर एवं डॉ. सुनीलम सहित करीब 200 आंदोलनकारी शामिल थे।
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पुलिस ने 27 फरवरी 2021 को मेधा पाटकर, डॉ. सुनीलम, कमला यादव, सनोबर बी, देवराम एवं अन्य के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया। जिस पर 28 दिसंबर को आलीराजपुर के जेएमएफसी रूपेश कुमार साहू की अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। प्रकरण में अधिवक्ता अनवर जावेद खान ने सभी आंदोलनकारियों की नि:शुल्क पैरवी की। बता दें कि, अब तक डॉ. सुनीलम पर मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा 141 फर्जी मुकदमें दर्ज किए गए, जिनमें से 137 मामलों में उन्हें बरी किया जा चुका है।
फर्जी प्रकरणों से आंदोलनकारियों को डरने की जरूरत नहीं- पाटकर
आलीराजपुर न्यायालय के फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि आंदोलनकारियों को फर्जी प्रकरणों से डरना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। इसी प्रकार डॉ. सुनीलम ने कहा कि गत 40 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में यह देखने में आया है कि सरकारें आंदोलनकारियों से बातचीत करने की बजाय फर्जी मुकदमें लादकर, भयभीत कर आंदोलन को कुचलने की कोशिश करती हैं। इसके बावजूद भी आंदोलनकारियों का संघर्ष जारी है और जारी रहेगा।