काम के बाद रुपए गिन रहे ये महानुभाव पशु चिकित्सा अधिकारी हैं, ये ‘ईमानदार’ लोकसेवक व ‘मोदी भक्त’ हैं, रिश्वत नहीं लेते, ट्रांसफर के लिए रुपए तो मंत्री लेते हैं !

भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे पशु चिकित्सा विभाग रतलाम के प्रभारी उप संचालक डॉ. डी.के. जैन ने ट्रांसफर कराने के लिए विभाग के मंत्री को दो लाख रुपए देने का आरोप लगाया है। सांसद, कलेक्टर और भाजपा जिला अध्यक्ष ने डॉ. जैन की कारगुजारियों की जांच कराने की बात कही है।

काम के बाद रुपए गिन रहे ये महानुभाव पशु चिकित्सा अधिकारी हैं, ये ‘ईमानदार’ लोकसेवक व ‘मोदी भक्त’ हैं, रिश्वत नहीं लेते, ट्रांसफर के लिए रुपए तो मंत्री लेते हैं !
पशु चिकित्सा विभाग के प्रभारी उप संचालक डॉ. डी.के जैन ने मंत्री और सरकार पर लगाए गंभीर आरोप।

पशु चिकित्सा विभाग के पीड़ित कर्मचारियों ने सांसद और भाजपा अध्यक्ष से की शिकायत

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । एक कहावत है कि ‘नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। ‘शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में यह कहावत चरितार्थ होती नजर आई जब रिश्वत मांगने के आरोपी पशु चिकित्सा विभाग के प्रभारी उपसंचालक डॉ. डी. के. जैन ने खुद को दूध का धुला बताया। डॉ. जैन ने खुद को ईमानदार लोकसेवक और मोदी भक्त भी बताया। उन्होंने आरोप लगाया है कि ट्रांसफर करवाना हो तो विभाग के मंत्री को दो लाख रुपए देने पड़ते हैं। इस पर भाजपा जिला अध्यक्ष ने कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रभारी उपसंचालक के बयान को भाजपा सरकार को बदनाम करने वाला बताया।

रतलाम-झाबुआ सांसद दिशा समिति की बैठक लेने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचने वाले थे। उनसे मिल कर पशु विभाग के प्रभारी उपसंचालक डॉ. डी. के. जैन की कारगुजारियों की शिकायत करने के लिए विभाग के पूर्व और वर्तमान कर्मचारी भी पहुंचे थे। सांसद के पहुंचने से पहले वे भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र सिंह लुनेरा से मिले और प्रभारी उपसंचालक डॉ. जैन की भ्रष्ट आचरण की शिकायत की। तभी वहां उपसंचालक डॉ. जैन भी पहुंच गए। वे गेट पर ही शिकायत करने आए कर्मचारियों पर भड़क गए। वे जोर-जोर से चिलाते हुए खुद को मोदी भक्त और ईमानदार अधिकारी बताने लगे। यह बात लुनेरा को नागरवार गुजरी। उन्होंने नाराजगी जताते हुए प्रभारी उपसंचालक से सख्त लहजे में कहा कि इस तरह चिल्लाकर बात नहीं करें। इतने सारे कर्मचारी झूठ बोल रहे हैं क्या? आप भाजपा सरकार की बदनामी कर रहे हैं।

(एक शिकायकर्ता)

रुपए कहां से लाएं, इसलिए नहीं करवाया ट्रांसफर- डॉ. जैन

प्रभारी उपसंचालक डॉ. जैन ने मीडिया से बात करते हुए भी खुद को ईमानदारी लोकसेवक बताया। उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एक कर्मचारी कह रहा है कि मैंने उसका ट्रांसफर करवाया है। अब ट्रांसफर के लिए रुपए कहां से लाएं। ट्रांसफर करवाने के लिए विभाग के मंत्री को दो लाख रुपए देने पड़ते हैं। इसलिए उन्होंने उसका ट्रांसफर नहीं करवाया है। जैन ने कहा कि सरकार में हर जगह पैसा चलता है। यह बहुत हाईलेवल की राजनीति है। शिवराज सरकार में सवर्ण बनाना दलित का मामला ज्यादा चल रहा है। मैं अच्छे काम कर रहा हूं, इसलिए परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे शिवराज सरकार से परेशान हैं। 

शासन से भ्रष्टाचार की जांच व बर्खास्तगी की मांग करेंगे- लुनेरा

डॉ. जैन के विवादित बयान को लेकर भाजपा जिला अध्यक्ष लुनेरा ने आपत्ति जताई है। उन्होंने मीडिया से कहा है कि कहा कि इतने कर्मचारियों ने शिकायतें की हैं। इतने सारे कर्मचारी झूठ नहीं बोल सकते। उन्होंने कहा कि इस अधिकारी के भ्रष्टाचार की जांच और बर्खास्त की मांग शासन से की जाएगी।

सांसद ने दिया जांच और कार्रवाई का आश्वासन

उक्त घटनाक्रम के बाद सांसद भी कलेक्ट्रेट पहुंच गए। कर्मचारियों ने उन्हें मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें प्रभारी उपसंचालक के भ्रष्ट रवैया की शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की। सांसद ने मामले की जांच करवाने और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि वे प्रभारी उप संचालक डॉ. जैन को निलंबित करने का प्रस्ताव संभाग आयुक्त को भेज रहे हैं।

वायरल हो चुके हैं रिश्वत मांगने के ऑडियो-वीडियो

बता दें कि पशु चिकित्सा विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार हो रही थीं। मामला लोकायुक्त तक भी पहुंचा था जिसके चलते लोकायुक्त उज्जैन से एक टीम कुछ समय पूर्व यहां पड़ताल करने आई थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर विभाग के प्रभारी उपसंचालक एवं वेटनरी सर्जन डॉ. डी. के. जैन के रिश्वत मांगने के ऑडियो वायरल हुए। इसमें से एक में डॉ. जैन विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से उसका वेतन निकालने और दूसरे में एक किसान से शासकीय योजना का लाभ दिलाने के लिए फॉर्म भरने के लिए दो-दो हजार रुपए की मांग करते सुनाई दे रहे हैं। इसे लेकर कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी द्वारा डॉ. जैन को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था।

डॉ. डी. के. जैन की कारगुजारियों की बानगी

मामला - 1 : तनख्वाह निकालने के लिए मांगे रुपए

डॉ. जैन के खिलाफ शिकायत करने वालों में एक नाम धीरेंद्र पाल का है। उन्होंने बताया कि उसके मई का वेतन निकालने के लिए डॉ. जैन द्वारा उनसे 500 रुपए ले लिए। इसके बाद भी वेतन नहीं मिलने पर पुनः फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने 2000 रुपए और मांगे। रुपए नहीं देने पर 10 दिन का वेतन काटने की बात कही। इसकी ऑडियो क्लिप के साथ पाल ने पशु चिकित्सा विभाग और लोकायुक्त में शिकायत की थी।

मामला - 2 : एरियर निकालने के मांगे 10 हजार, धमकी भी दी

विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लक्ष्मण प्रजापत से भी डॉ. जैन द्वारा रिश्वत मांगने का आरोप है। डॉ. जैन ने एरियर की राशि निकालने के लिए 10 हजार रुपए मांगे थे। जब इसकी शिकायत हुई तो उन्होंने संबंधित को कारण बताओ नोटिस जारी कर निलंबित करने की धमकी तक दी।

शिकायत - 3 : छूठी जानकारी देकर बंद करवा दी शिकायत

नवंबर 2021 में सेवानिवृत्त हुए एवीएफओ डॉ. ए. पी. एस. राठौर से सेवानिवृत्ति पर मिलने वाली पीएफ और अन्य भत्ते की राशि निकालने के लिए 10 हजार रुपए मांगे। सेवानिवृत्ति होने से पहले ही गणना पत्रक और पीपीएफ आदि तैयार करने तथा एक अन्य बाबू को पुरस्कृत करने के लिए 5 हजार रुपए ले लिए थे। बावजूद भुगतान में विलंब किया। बाकी रुपए नहीं देने पर पीएफ गणना पत्रक के आंकड़े भी गलत भेज दिए जिससे भुगतान में विलंब हुआ। इसकी जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत हुई तो डॉ. जैन ने गलत जानकारी देकर शिकायतें बंद करवा दीं।

मामला - 4 : 5 हजार रुपए दिए तब निकली एरियर की राशि

एवीएफओ डॉ. सी. एल. लाड 2016 में सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति होने पर 30 वर्ष की क्रमोन्नति के एरियर की राशि शासन द्वारा स्वीकृत की गई परंतु डॉ. जैन ने नहीं निकाली। इसके लिए रुपयों की मांग की गई जो नहीं देने पर लाड महीनों तक ऑफिस के चक्कर लगाते रहे। इसकी शिकायत उन्होंने की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे निराश डॉ. लाड ने डॉ. जैन को 5 हजार रुपए दिए तब जाकर राशि जारी हुई।

मामला - 5 : कार्यालय में प्रवेश करने पर कार्रवाई की दी धमकी

एवीएफओ डॉ. रवि भार्गव मई 2022 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। इस पर डॉ. जैन ने उनके कार्यालय में प्रवेश पर ही रोक लगा दी। डॉ. भार्गव ने सूचना के अधिकार के तहत विभाग में होने वाली खरीदी और बिक्री सहित अन्य रिकॉर्ड सें संबंधित जानकारी मांगी तो डॉ. जैन ने उन्हें जानकारी देने से ही मना कर दिया। उनका जवाब था कि सेवानिवृत्त कर्मचारी को विभागीय जानकारी नहीं दी जा सकती। इतना ही नहीं उन्होंने डॉ. भार्गव को विभाग के कार्यालय में प्रवेश करने पर कार्रवाई की धमकी तक दे डाली।

मामला – 6 : पहले भी लग चुके हैं गभीर आरोप

डॉ. जैन प्रभारी उपसंचालक पद पर पदस्थ होने से पहले लंबे समय तक सैलाना के पशु चिकित्सालय में पदस्थ रहे थे। वहां रुपए लेकर पशु बीमा योजना के दावे और अन्य विभागीय योजनाओं का लाभ दिलवाने के लिए आरोप लगे थे।

बड़ा सवाल ? इतनी कारगुजारियों के बाद भी ग्रामीण विधायक ने की अनुशंसा

डॉ. जैन पर भ्रष्टाचार के इतने आरोप होने के बाद भी पशुचिकित्सा विभाग की उन पर मेहरबानी समझ से परे है। सवाल यह भी है कि ऐसी क्या वजह है कि भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतों के बाद भी कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे सारी शिकायतें बंद हों गई। सैलाना में पदस्थ रहने के बाद जिला मुख्यालय पर प्रभारी उपसंचालक बनाया गया था। कुछ महीने बाद उप संचालक पद पर डॉ. एम. के. शर्मा की पदस्थापना हुई और डॉ. जैन को मुख्य ग्राम योजना का एबीपीओ बना दिया गया था। थोड़े ही दिन बाद अगस्त 2022 में भोपाल से एक और आदेश जारी हुआ और डॉ. एम. के. शर्मा को स्थानांतरित कर फिर से डॉ. डी. के. जैन को प्रभारी उपसंचालक बना दिया गया। नियम यह है कि यदि किसी अधिकारी-कर्मचारी की सेवानिवृत्ति में एक वर्ष है तो उसे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है जब तक कि उसके विरुद्ध कोई गंभीर शिकायत या आरोप न हो। डॉ. जैन ने प्रभारी उपसंचालक बनने के महज 8-9 महीने के भीतर ही ढेरों कर्मचारियों के तबादले और अटैचमेंट कर दिए और तमाम वस्तुओं की खरीदी भी हुई जिसमें अनियमितता के आरोप लग रहे हैं।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि डॉ. जैन ने प्रभारी उपसंचालक बनने के बाद सोशल मीडिया पर एक अनुशंसा पत्र पोस्ट कर दिया था। यह अनुशंसा पत्र रतलाम ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना द्वारा जारी किया गया था। अब बड़ा सवाल यह है कि जिस डॉ. जैन पर पूर्व में आरोप लग चुके हों, आखिर उसके लिए रतलाम ग्रामीण विधायक ने इतनी उदारता क्यों दिखाई ?