बनना है तो रेस का घोड़ा बनो, जंगल, सर्कस और जुलूस का नहीं - आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.
शहर में चातुर्मास के लिए आए आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी और श्री विजयराजजी तथा मुनिराज ज्ञानबोधि विजयजी व श्री धैर्यमुनिजी के प्रवचन जारी हैं। रविवार को नवकार भवन में माय 5 टारगेट पर प्रवचन होंगे।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । चार प्रकार के घोड़े होते हैं। इनक अलग-अलग महत्व है। यदि बनना है तो रेस का घोड़ा बनो, जंगल, सर्कस और जुलूस का नहीं। रेस का घोड़ा हमेशा चलता है। जंगल के घोड़े पर कोई नियंत्रण नहीं होता, कुछ लोग भी ठीक इसी तरह के होते हैं। सर्कस का घोड़ा रिंग मास्टर के हाथ में चाबूक देख घूमता है और जुलूस का घोड़ा सिर्फ बैंड की आवाज पर चलता है, उसके बंद होते ही वह रुक जाता है। इसलिए कहता हूं कि रेस का घोड़ा बनो। रेस का घोड़ा ही जीवन में सफलताएं प्राप्त कर सकता है।
उक्त विचार आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने व्यक्त किए। वे श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी रतलाम के तत्वावधान में आयोजित सैलाना वालों की हवेली, मोहन टॉकीज में एवं शुक्रवार को मानव जीवन की सफलता के मंत्र बता रहे थे।
आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधि विजयजी म.सा. ने भी प्रवचन दिया। मुनिराज ने कहा कि प्रभु के वचन पर श्रद्धा रखो। इससे जीवन परिवर्तित हो जाएगा। जिस तरह से आप ट्रेन और कार में सवार होकर चालक पर भरोसा करते हो कि वह आप को गंतव्य तक पहुंचा देगा, ठीक उसी तरह प्रभु पर श्रद्धा रखने से जीवन बदलेगा। यदि आप गुरु-भगवंत के उपदेश निरंतर श्रवण करेंगे तो मन भी बदल जाएगा।
प्रभु के वचन पर श्रद्धा रखो, जीवन बदल जाएगा - मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा.
मुनिराज ने कहा कि अग्नि के नजदीक जाते ही मोम पिघल जाता है, लाख अपना स्वरूप बदल लेता है और ठंडा होने फिर से ठोस हो जाता है। वहीं लकड़ी आग में जाकर उसमें समर्पित हो जाती है। उसी प्रकार यदि जीव गुरुदेव के प्रति समर्पित होता है तो उसका जीवन परिवर्तित हो जाता है।
रविवार को होंगे विशेष प्रवचन
आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के मुखारविंद से रविवार (2 जुलाई) को प्रातः 9:00 से 10:30 बजे तक विशेष प्रवचन होंगे। प्रवचन का विषय ‘माय 5 टारगेट’ रहेगा। श्री संघ ने धर्मालुजनों से प्रवचन में समय पर उपस्थित होकर धर्म लाभ लेने की अपील की है।
नवकार भवव में बोले आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी म.सा.- अच्छाई और सच्चाई किसी की बपौती नहीं
शहर के सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में प्रज्ञा निधि युगपुरुष आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी म.सा. के प्रवचन चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सूर्य वर्षों से प्रकाश दे रहा है और आने वाले लाखों सालों बाद भी ऐसे ही प्रकाश देता रहेगा। सूर्य जैसे सर्वकालिक, सार्वभौमिक और सार्वजनिक है, वैसे ही अच्छाई और सच्चाई भी सर्वकालिक, सार्वभौमिक और सार्वजनिक है। अच्छाई और सच्चाई किसी की धरोहर या विरासत भी नहीं है। ये किसी की बपौती भी नहीं है। प्रभु कृपा का पात्र बनने का आह्वान करते हुए कहा कि अच्छाई हमेशा बुराई और सच्चाई के बीच सेतु होती है। अच्छाई के सेतु से जो भी निकलता है, उसका जीवन प्रकाशवान हो जाता है। संसार में कभी किसी को अच्छाई का अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि यही बुराई का मूल होता है। वर्तमान में जितनी भी बुराई है, वह अहंकार के कारण ही है।
आचार्यश्री ने कहा कि सच्चाई के बिना व्यक्ति विनम्र नहीं बन सकता। सच्चाई ऐसा मार्ग है, जिस पर चलकर प्रत्येक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। मैं ही सच्चा और अच्छा हूं, ये अहम् होता है, इसलिए उससे सबकों बचना चाहिए। संसार में अहंकार को नियंत्रित करे बिना कोई आगे नहीं बढ़ सकता। अहंकार किसी को भी हो सकता है, इसलिए सदैव सतर्क रहना चाहिए। आचार्य श्री ने बताया कि उनका चातुर्मास का विषय सन्मति से सदगति की ओर रहेगा। क्योंकि सदगति का आधार सन्मति होती है।
2 जुलाई से समता शीतल पैलेस में होंगे प्रवचन
आरंभ में विद्वान श्री धैर्यमुनिजी म.सा. ने धर्म की महत्ता बताई। उन्होंने 1 जुलाई से तेले और बेले की तपस्या करने आह्वान करते हुए कहा कि चातुर्मास 2 जुलाई से आरंभ होगा। 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा रहेगी। इसलिए अधिक से अधिक तप-आराधना कर आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करे। कई श्रावक-श्राविकाओं ने इस मौके पर तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। संचालन दिव्यांशु मूणत ने किया। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी शान्त क्रांति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष मोहनलाल पिरोदिया एवं सचिव दिलीप मूणत ने बताया कि 1 जुलाई को आचार्यश्री के प्रवचन नवकार भवन सिलावटों का वास में होंगे। 2 जुलाई से समता शीतल पैलेस छोटू भाई की बगीची में प्रवचन आयोजित किए जाएंगे।