कांग्रेस ने पारस सकलेचा को दिया मेहनत का फल, जानिए- रतलाम शहर से क्यों बनाया प्रत्याशी और टिकट के मामले में किसकी नहीं गली दाल

जिला युवा कांग्रेस की दावेदारी खत्म होने के बाद कांग्रेस ने प्रदेश महासचिव परस सकलेचा का रतलाम शहर विधानसभा से टिकट पक्का कर दिया।

कांग्रेस ने पारस सकलेचा को दिया मेहनत का फल, जानिए- रतलाम शहर से क्यों बनाया प्रत्याशी और टिकट के मामले में किसकी नहीं गली दाल
पारस सकलेचा, कांग्रेस प्रत्याशी- रतलाम शहर विधानसभा क्षेत्र।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । कांग्रेस ने रतलाम शहर विधानसभा क्षेत्र से युवाम संस्थापक और पूर्व महापौर पारस सकलेचा को प्रत्याशी बनाया है। सकलेचा पर जताए गए इस भरोसे के पीछे उनकी लंबी मेहनत बताई जा रही है। उनका मुख्य मुकाबला शहर विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी चेतन्य काश्यप से है।

रतलाम शहर से कांग्रेस की ओर से जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष और महापौर का चुनाव लड़ चुके मयंक जाट, प्रदेश महासचिव पारस सकेलेचा और अल्पसंख्यक वर्ग से पूर्व पार्षद फैयाज मंसूरी की प्रबल दावेदारी मानी जा रही थी। पिछले दिनों 2012 में वर्चस्व की लड़ाई से संबंधित एक प्रकरण में हाईकोर्ट द्वार जाट की याचिका खारिज होने से टिकट को लेकर उनकी दावेदारी खत्म हो गई थी। सकलेचा के अनुभव को देखते हुए उनकी दावेदारी प्रबल थी। हालांकि यह भी कहा जा रह था कि यदि कांग्रेस नए और युवा को ही टिकट देने पर फोकस करती है तो मंसूरी को अल्पसंख्यक कोटे से टिकट मिल सकता है। इसके लिए मंसूरी के प्रयास भी जारी थे। हालांकि कांग्रेस ने ऐसा नहीं करते हुए सकलेचा के अनुभव को ही भुनाने का निर्णय लिया।

आरोप पत्र तैयार करने के साथ यह वजह भी प्रमुख रही

सकलेचा को टिकट देने के पीछे बड़ी वजह उनकी पार्टी में लंबी सक्रियता है। मध्यप्रदेश सरकार के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों को लेकर वृहद आरोप पत्र तैयार करने में सकलेचा की भूमिका अहम् रही। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित वरिष्ठों के समक्ष आरोप पत्र का प्रजेंटेशन भी सकलाचा द्वारा ही दिया गया। इसके अलावा गत वर्ष हुए नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव लड़े कांग्रेस के युवा नेता मयंक जाट को सहयोग करने के मामले में भी सकलेचा अन्य नेताओं की अपेक्षा ज्यादा सक्रिय नजर आए थे। पूर्व में हुए महापौर पद के चुनावों में भाजपा की लीड कांग्रेस से काफी ज्यादा रहती है पिछले चुनाव में लीड का अंतर बहुत कम रह गया था। इसलिए भी सकलेचा की दावेदारी विधानसभा चुनाव में मयंक जाट के बाद प्रबल मानी जा रही थी। इसके अलावा उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह सहित कई विधायकों का समर्थन भी हासिल है।

पहले महापौर और विधायक का जीत चुके हैं चुनाव

सकलेचा इससे पहले भी विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता हिम्मत कोठारी को करीब 31 हजार वोटों से पराजित किया था। इसके अलावा वे पूर्व में रतलाम से ही महापौर का चुनाव भी जीते थे। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और भारी सफलता हासिल की थी। कोठारी ने उनके चुनाव को चुनौती भी दी थी और फैसल उनके पक्ष में रहा था लेकिन तब तक सकलेचा का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका था। उन्होंने तब भी चुनाव लड़ा था जब भाजपा ने पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी का टिकट काट कर पहली बार चेतन्य काश्यप को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमलता दवे दूसरे और सकलेचा तीसरे नंबर पर रहे थे।

... और इनकी नहीं गली दाल

रतलाम शहर से कांग्रेस का टिकट पाने की आस पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अध्यक्ष प्रकाश प्रभु राठौड़ भी लगाए बैठे थे। जिला कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके राठौड़ ने इसके लिए धार्मिक अनुष्ठानों का सहारा लिया और हाईकमान को साधने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे। उन्होंने पूरे श्रावण मास में रतलाम से महाकाल तक श्रद्धालुओं को मुफ्त यात्रा कराई। इससे पहले गायत्री महायज्ञ का वृहद आयोजन भी किया था। इतना ही नहीं, विगत कई दिनों से राठौड़ द्वारा घर-घर भागवत गीता का वितरण भी किया जा रहा था। स्वार्थ्य के वशीभूत किए गए इन धार्मिक अनुष्ठान उनकी टिकट की मनोकामना पूरी नहीं कर सके।