पूर्व प्राचार्य शीला त्रिवेदी का निधन, शिक्षक बेटी अर्पिता त्रिवेदी ने दिया मां की अर्थी को कांधा, पहले नेत्रदान कराए फिर मेडिकल कॉलेज को देह दान कर दी

पूर्व प्राचार्य शीला त्रिवेदी का शनिवार को निधन हो गया। उनकी अर्थी को शिक्षिका बेटी अर्पिता त्रिवेदी ने कांधा दिया। दिवंगत त्रिवेदी के नेत्रदान और देहदान भी कराया गया।

पूर्व प्राचार्य शीला त्रिवेदी का निधन, शिक्षक बेटी अर्पिता त्रिवेदी ने दिया मां की अर्थी को कांधा, पहले नेत्रदान कराए फिर मेडिकल कॉलेज को देह दान कर दी
पूर्व प्राचार्य शीला त्रिवेदी की पार्थिव देह मेडिकल कॉलेज ले जाते हुए। पास हैं इकलौती बेटी अर्पिता त्रिवेदी व अन्य।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सकरावदा में पदस्थ शिक्षिका अर्पिता त्रिवेदी की मां शीला त्रिवेदी का शनिवार सुबह निधन हो गया। आलीराजपुर जिले के जोबट स्थित कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की सेवा निवृत्त प्राचार्य शीला की अर्थी को इकलौती बेटी अर्पिता ने न सिर्फ कांधा दिया बल्कि उनके नेत्रदान करवा कर देहदान भी कर दी।

प्राचार्य रहीं शीला त्रिवेदी पति के निधन के बाद से बेटी अर्पिता के पास यहां रतलाम में मंगलमूर्ति कॉलोनी स्थित निवास पर रह रहीं थी। काफी समय से अस्वथ चल रहीं थी। उनके सेवा और उपचार में बेटी अर्पिता ने कोई कोर-कसर नहीं रखी। अपनी अस्वस्थता के चलते वयोवृद्ध शीला त्रिवेदी ने पूर्व में ही देहदान और नेत्रदान से संबंधित सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली थी।

शनिवार को उनके निधन के बाद अर्पिता ने बेटे की तरह मां की अर्थी को कांधा दिया। सबसे पहले उन्होंने मां के नेत्रदान कराए। इसके बाद स्व. डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय प्रबंधन को देहदान के संबंध में सूचना दी। इसके बाद वाहन से उनकी पार्थिव देह को चिकित्सा महाविद्यालय ले जाया गया और प्रबंधन को सौंप दिया गया इस दौरान बेटी अर्पिता सहित सभी का रो-रोकर बुरा हाल था।

...ताकि मरने के बाद भी आ सकें काम

पूर्व प्राचार्य शीला त्रिवेदी ने नेत्रदान और देहदान का संकल्प लेते समय अपने विचार व्यक्त किए थे। उनका कहना था कि नेत्रदान करने से वे इस दुनिया को अपने नहीं रहने के बाद भी देख सकेंगी। इससे किसी दृष्टिहीन को दुनिया देखने का मौका मिलेगा। इसी प्रकार चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में और चिकित्सा शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए उनकी देह काम आ सकेगी।