‘स्वतंत्रता के दीप की लौ कांपती प्रहार से, बिका ईमान कौड़ियों में स्वार्थ के बाजार से…’ डॉ. सत्यनारायण सत्तन
रतलाम स्थापना दिवस के अंतिम सोपान के रूप में महाराजा रतनसिंह अलंकरण समारोह एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
खुले आसामान तले सर्द बयार के बीच कवियों ने हास्य, देश भक्ति एवं वीर रस से माहौल को कर दिया गर्म
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम स्थापना महोत्सव समिति व नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में रतलाम स्थापना महोत्सव के अंतिम दिन शनिवार रात महाराजा रतनसिंह अलंकरण सम्मान समारोह के साथ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन हुआ। भारत माता के जयकारों के साथ शुरू हुआ कवि सम्मेलन देर रात तक चला। कवियों ने हास्य, देश भक्ति एवं वीर रस की कविताएं सुनाकर दाद बटोरी।
मुख्य अतिथि शहर विधायक चेतन्य काश्यप और महापौर प्रहलाद पटेल रहे। शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर हुई। स्वागत उद्बोधन समिति संस्थापक व सयोजक मुन्नालाललाल शर्मा ने दिया। स्वागत समिति अध्यक्ष प्रवीण सोनी, सचिव, भाजपा जिला महामंत्री, पूर्व महापौर शैलेन्द्र डागा, भाजयुमो जिलाध्यक्ष, पूर्व पार्षद मोहनलाल धभाई, राजेन्द्र पाटीदार, राजेन्द्र अग्रवाल, सुशील सिलावट, अभय काबरा, राकेश नाहर, आदित्य डागा, नगरनिगम आयुक्त हिमांशु भट्ट आदि ने किया। विधायक काश्यप ने रतलाम स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि- हम सब मिलकर रतलाम को महानगर बनाएंगे। धीरे-धीरे विकास का पहिया आगे बढ़ रहा है।
सर्वप्रथम शहर के सामाजिक, खेल सहित अन्य गतिविधियों में रतलाम शहर का नाम रोशन करने वाली हस्तियों को महाराज रतनसिंह अलंकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पद्मश्री से सम्मानित डॉ. लीला जोशी, गोविंद काकानी, संदीप व्यास, ओमप्रकाश त्रिवेदी, दिनेश वाघेला, अब्दुल सलाम खोकर, दीपेश पाठक, शैलेंद्र गोठवाल, अब्दुल कादिर, जीव मैत्री परिवार, कृतज्ञा शर्मा, अनुराग चौरसिया दंपति, भूमिका कल्याणे एवं महेंद्र गादिया को मरणोपरांत सम्मानित किया गया। गादिया का सम्मान उनके पुत्र प्रीतेश गादिया ने प्राप्त किया। संचालन प्रो. मनोहर जैन ने किया।
रात तीन बजे तक चला कवि सम्मेलन
मुन्ना बैट्री (मंदसौर)
रीति-रिवाज ओर संस्कृति से जो तेरी निगाह ना हटती तो तेरे परिवार की इज्जत भी यूं समाज में ना घटती।
और आफताब की जगह मां-बाप पर विश्वास किया होता तो श्रद्धा तेरी लाश भी यूं छत्तीस टुकड़ों में ना कटती।
डॉ. भुवन मोहिनी (उदयपुर)
एक अधूरी कहानी तो मुझमें भी है, धड़के दिल वो जवानी तो मुझमें भी है।
तुम जो छू लो शिवाला बनूं प्रेम का, एक मीरा दीवानी तो मुझमे भी है।
योगेन्द्र शर्मा (भीलवाड़ा)
सूर्यवंश की तरुणाई में जागी ज़बर जवानी है, समझौतों में हार गए वह धरती वापस लानी है।
काश्मीर के ज़र्रे-ज़र्रे पर अधिकार हमारा है, भारत माँ का मस्तक हमको प्राणों से भी प्यारा है।
धमचक मुलथानी (रतलाम)
केसरिया बाना पहन बाजी लगा दी जानकी, जहां गाथा गाई जाती है हाड़ी रानी के शीश दान की।
जहां जौहर कर लाज रखी जिसने राजजपूती शान की, मुंड कटे और रुह लड़े वह माटी है हिंदुस्तान की।
अशोक चारण (जयपुर)
चाहे मेरी प्रतिमा ना फिर चौराहों पर खड़ी मिले, चाहे ना किस्मत को आँखों के आँसू की लड़ी मिले।
ये ज़हरीला घूँट कसम से हँस कर के पी जाऊंगा, मेरी मौत को मिले तिरंगा मर कर भी जी जाऊंगा।
सत्यनारायण सत्तन (इंदौर)
स्वतंत्रता के दीप की लौ कांपती प्रहार से, बिका ईमान कौड़ियों में स्वार्थ के बाजार से।
गुजर रहा कुकृत्य आज साधना के द्वार से, निकल रही है आह राजघाट की मजार से।
जिनका वक्ष चीर गोलियाँ स्वयं लजा गई, स्वतंत्रता के डूबते स्वरों को नींद आ गई।
जानी बैरागी
जो गलत है वो गलत है, जो सही है वो सही रहेगा, अब दुनिया में सिर्फ सनातन की ही शाख होगी।
वामपंथियों ने राम पंथी वाले की पूंछ पर पाँव रख दिया है, अब पूरी लंका जल के राख होगी।
अमन अक्षर (इंदौर)
पराजय का नहीं होता है कोई शोर मत कहना, जमाने में कहां होते हैं अब चितचोर मत कहना।
मुझे लड़ना है दुनिया से अकेले अब, तुम्हारे बिन अगर मैं हार जाऊं तो मुझे कमजोर मत कहना।