जीव मैत्री परिवार व पर्यावरण प्रेमियों ने धरना देकर पेड़ों की कटाई और पक्षियों की मौत पर जताया विरोध

रतलाम में नगर निगम के सामने पेड़ काटने और उससे हुई पक्षियों की मौत पर जीवमैत्री परिवार ने धरना देकर विरोध जताया।

जीव मैत्री परिवार व पर्यावरण प्रेमियों ने धरना देकर पेड़ों की कटाई और पक्षियों की मौत पर जताया विरोध
पेड़ों की कटाई और पक्षियों की मौत के विरोध में धरना देते जीव मैत्री परिवार और पर्यावरण प्रेमी।

जीव मैत्री परिवार और पर्यावरण प्रेमियों ने गांधी उद्यान में हुई पेड़ों की कटाई और पक्षियों की मौत के विरोध में दिया धरना

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अपने अंडों और बच्चों की लाशों पर दर्द से चीखते पक्षी। जिनके पंख तक नहीं निकले ऐसी असंख्य मरे हुए बच्चे। कहीं घायल, कहीं खून रिसते बगुले, तो कोई गिलहरी, कोई तोते तो कोई चिड़िया। जमीन पर नीम, पीपल, बेलपत्र, गुलमोहर आदि के पेड़ ही नहीं बल्कि इंसानियत और हमारी संवेदना भी धराशायी हुई थी। विकास सतत् प्रक्रिया है, जिसकी आवश्यक्ता हर शहर को है, लेकिन ये विकास श्मशान बनाकर नहीं हो सकता। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ हवा और पानी ही नहीं रहेगा तो विकास बेमतलब होगा। रतलाम जाग गया है और पर्यावरण के लिए हम आगे भी लड़ाई जारी रखेंगे।

धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते पूर्व गृहमंत्री एवं भाजपा नेता हिम्मत कोठारी।

यह बातें जीव मैत्री परिवार और समस्त पर्यावरण प्रेमियों के बैनर तले शुक्रवार को आयोजित धरना प्रदर्शन में कही गई। जीव मैत्री परिवार के आह्वान पर नगर निगम के सामने सुबह 11.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक धरना आयोजित किया गया। इसमें पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी, पूर्व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष अशोक चौटाला, सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष झमक भरगट, पूर्व विधायक पारस सकलेचा, जवाहर व्यायाम शाला के मयंक जाट, पर्यावरण प्रेमी व अधिवक्ता अदिति दवेसर, सनातन धर्म सभा से प्रेमलता दवे, शहर कांग्रेस अध्यक्ष, रतलाम प्रेस क्लब अध्यक्ष मुकेशपुरी गोस्वामी, वरिष्ठ चिंतक एवं एलआईसी अभिकर्ता विष्णु बैरागी, पर्यावरण डाईजेस्ट के संपादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित, हिंदू जागरण मंच के राजेश कटारिया सहित दर्जनभर संस्थाओं के पदाधिकारियों ने विचार व्यक्ति किए।

विकास का पक्षधर कौन नहीं, लेकिन इस निर्दयता पर मौन नहीं’

(सभा को संबोधित करते हिंदू जागरण मंच के जिला संयोजक राजेश कटारिया।)

सभी वक्ताओं ने एक स्वर में पर्यावरण के दोहन, मूक पशु-पक्षियों की मौत और पेड़ों की कटाई का विरोध जताया। उन्होंने कहा कि किसी भी विकास परियोजना का विरोध नहीं है, लेकिन विकास के साथ पर्यावरण का ध्यान अत्यावश्यक है। कई लोगों ने कहा कि वर्षाऋतु में काटे गए पेड़ों से मरे पक्षियों का दर्द और उस दिन नजारा रोंगटे खड़े करने वाला था।

इन्होंने भी विचार रखे, दिया समर्थन

इस दौरान दीपक कटारिया, सुमित सुराणा, प्रकाश लोढ़ा, अमित लुनावत, विशाल डांगी, प्रीतेश गादिया, अरुण चौरड़िया, रूपेश नागौरी, अंतिम लोढ़ा, विनय लोढ़ा, आशीष राणावत, कीर्ति बड़जात्या, हेमंत संघवी, जय लुणिया, मनीष पटवा, आकाश कोठारी, शंकर मोदी, महेंद्र अग्रवाल, धमेंद्र मंडवारिया, राजेश मूणत, रखब चत्तर, विनोद बाफना, उमरावमल पुरोहित, मदन सोनी, सुजीत उपाध्याय, यश सोलंकी, विशाल उपाध्याय, दिलीप भंसाली, अदिति मिश्रा, शिल्पा जोशी, सीए आचल मूणत, विशाल कांसवा, विजय लुनिया, तुषार संघवी, योगेंद्र जैन, सोनू व्यास, पंकज मेहता, अश्विनी शर्मा, विकास जैन, जितेंद्र सिंह सोलंकी, अभिषेक लोढ़ा, मनीष मालपानी, अजय सोनी, अनूप चौरड़िया, पंकज मूणत, पीयूष भटेवरा, दीपक पांचाल, विपिन बोहरा, हितेश पारख, कमल मल्हारा,  कीर्ति जैन, पंकज पटवा, विनोद बाफना, सौरभ बोथरा, लोकेश मेहता, सौरभ छाजेड़, प्रीतेश जैन, महावीर जैन, मनीष मालपानी, अजय सोनी, मनीष सोनी, मुकेश बम्बोरी, निखिल गांधी एवं जीव मैत्री परिवार सहित जीव प्रेमी मौजूद थे। संचालन जीव मैत्री परिवार के अमृत जैन ने किया। आभार प्रकाश लोढ़ा ने माना।