शुरू हो रहा तीसरा साल : 'सुनें सुनाएं' का 25वां सोपान 6 अक्टूबर को, आप सुनें और दूसरों को भी सुनाएं, रचनात्मकता पर है यकीन तो निःसंकोच चले आएं

सफलतम दो वर्ष पूरे कर सुनें सुनाएं तीसरे साल में प्रवेश करने जा रहा है। इसका 25वां सोपान 6 अक्टूबर को होगा। बिना किसी औपचारिकता और भूमिका वाले समयबद्ध आयोजन में आप आ रहे हैं न?

शुरू हो रहा तीसरा साल : 'सुनें सुनाएं' का 25वां सोपान 6 अक्टूबर को, आप सुनें और दूसरों को भी सुनाएं, रचनात्मकता पर है यकीन तो निःसंकोच चले आएं
सुनें सुनाएं के 25वें सोपान में ये करेंगे रचनापाठ।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया 'सुनें सुनाएं' आयोजन तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। बिना किसी शोरगुल और सहयोग के सिर्फ़ रचनात्मकता को बढ़ाने का यह आयोजन शहर के सुधिजनों के स्नेह के कारण अपने 24 सोपान पूर्ण कर चुका है। 'सुनें सुनाएं' का 25वां सोपान 6 अक्टूबर रविवार को सुबह 11 बजे जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल के (प्रथम तल) रतलाम पर होगा। 

इस सोपान में दस रचनाप्रेमी अपनी प्रिय रचना का पाठ करेंगे। मणिलाल पोरवाल द्वारा वीरेन्द्र मिश्र की रचना 'लगा आवाज़ लगा' का पाठ, डॉ. विजया कुशवाह द्वारा डॉ. नीरज जैन की रचना 'फिर वही सर्द हवा आई है' का पाठ, दुष्यन्त कुमार व्यास द्वारा रामकुमार चतुर्वेदी "चंचल" की रचना 'मुझे सपने दिखाओ मत' का पाठ, रक्षा कुमार द्वारा डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला की रचना 'डरी हुई है मां' का पाठ किया जाएगा। श्रीराम दिवे सत्यमित्रानंद जी की रचना 'साथी घर जाकर मत कहना', बृजेश कुमार गौड़ रामधारी सिंह दिनकर की रचना 'कृष्ण की चेतावनी', मीनाक्षी मलिक आशीष दशोत्तर की रचना 'दुनिया से किनारा कर लिया मैंने, लगन शर्मा डॉ. हरिवंश राय 'बच्चन' की रचना 'ख़्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की' सुनाएंगे।

इसी तरह दिनेश जोशी (बाजना) शरद जोशी की व्यंग्य रचना 'उफ़! अतिथि तुम कब जाओगे? 'का पाठ और पंडित मुकेश आचार्य द्वारा कैलाश वशिष्ठ की रचना 'बेटी के सवाल पिता से' का पाठ किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है। अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ बिना किसी भूमिका के किया जाता है। आयोजन समय पर प्रारंभ होकर समय पर समाप्त हो जाता है। 'सुनें सुनाएं' ने शहर के सुधिजनों से आयोजन में उपस्थित रहने का आग्रह किया है। अगर आप भी सकारात्मकता को बढ़ाना चाहते हैं तो निःसंकोच चले आइये, आप भी सुनिए और दूसरों को भी सुनाइए। बता दें कि सुनें सुनाएं का तीसरा साल शुरू हो रहा है।