मंगलकारी रचनाओं के शिल्पी हैं तुलसीदास, उनकी रचनाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए- दशोत्तर

गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती गुरुवार को शहर में मनाई गई इस अवसर पर हुए आयोजन में वक्ताओं ने तुलसीदास जी के जीवन के संघर्षों और उनकी रचनाओं पर प्रकाश डाला। उनके बताए पात्रों का अनुकरण करने का आह्वान भी किया।

मंगलकारी रचनाओं के शिल्पी हैं तुलसीदास, उनकी रचनाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए- दशोत्तर
गोस्वामी तुलसी दास की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते साहित्यकार आशीष दशोत्तर।

श्री महर्षि शृंग विद्यापीठ में तुलसी जयंती पर हुआ आयोजन  

एसीएन टाइम्स @ रतलाम l महाकवि तुलसीदास का साहित्य लोक मंगलकारी थाl उन्होंने अपनी रचनाओं, दोहों के माध्यम से आम व्यक्ति के जीवन का वर्णन किया हैl सही अर्थों में तुलसीदास की रचनाएं जीवन में उतारना चाहिएl

यह विचार साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने गुरुवार को तुलसी जयंती के अवसर पर ब्रह्मण वास स्थित श्री महर्षि शृंग विद्यापीठ में व्यक्त किएl उन्होंने कहा कि तुलसीदास का साहित्य प्रलोभन से दूर थाl जब अकबर ने उन्हें अपने नौ रत्नों में शामिल होने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने इंकार कर दियाl तुलसीदास भारतीय सनातन संस्कृति की भक्ति के प्रतीक थेl उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अभाव एवं संघर्ष में व्यतीत किया लेकिन सुविधाओं के प्रभाव में नहीं आए। उन्होंने प्रभु राम की भक्ति में लीन होकर रामचरितमानस की रचना कर दीl उनका जीवन आदर्श हैl

विशेष अतिथि के रूप में पत्रकार हेमंत भट्ट मंचासीन थेl प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती व तुलसीदास की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत कीl अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य माधुरी सिंगार ने कियाl स्वागत उद्बोधन सह सचिव सतीश त्रिपाठी ने दियाl विद्यार्थियों ने तुलसी का जीवन परिचय व दोहे प्रस्तुत किएl संचालन शिक्षिका मुक्ता गादिया ने कियाl