वर्ल्ड हैप्पीनेस डे पर विशेष : ख़ुशी है धूप की तेज़ी में पेड़ की छाया- प्रो. अज़हर हाशमी
इंसान हैं तो ख़ुश रहिए, ख़ुशी इंसानियत जीवित होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है। हर किसी के लिए ख़ुशी के अलग-अलग पैमाने हैं। यही बात कवि एवं चिंतक प्रो. अज़हर हाशमी अपनी इस कविता में बता रहे हैं।
ख़ुशी है धूप की तेज़ी में पेड़ की छाया
ख़ुशी भूखे के लिए अन्न का दाना-दाना,
ख़ुशी प्यासे के लिए जैसे जल का आजाना।
किसी ने राजसी ठाठों को ही ख़ुशी माना,
किसी ने त्याग के गुण में ख़ुशी को पहचाना।
ख़ुशी है धूप की तेजी में पेड़ की छाया,
ख़ुशी रोगी के लिए जैसे इक दवाख़ाना।
ख़ुशी न धन की तिजोरी, ख़ुशी न मयखाना,
ख़ुशी तो रूह की राहत का है ताना-बाना।
बिना प्रचार गरीबों की मदद करने से,
ख़ुशी जो दिल को मिले वो ख़ुशी का पैमाना।
-अज़हर हाशमी
(दैनिक समाचार-पत्र ‘पत्रिका’ से साभार)