देश को ‘गुजरात मॉडल’ अथवा ‘मोदानी मॉडल’ की नहीं, मामा बालेश्वर दयाल के मॉडल की जरूत है- डॉ. सुनीलम

प्रख्यात समाजसेवी विचारक एवं लेखक डॉ. सुनीलम का कहना है कि देश को गुजरता मॉडल अथवा अडानी-अंबानी को फायदा पहुंचाने वाले ‘मोदानी मॉडल’ की नहीं, मामा बालेश्वर दयाल के मॉडल की जरूरत है। उन्होंने सरकार पर मामाजी की उपेक्षा का आरोप भी लगाया है।

देश को ‘गुजरात मॉडल’ अथवा ‘मोदानी मॉडल’ की नहीं, मामा बालेश्वर दयाल के मॉडल की जरूत है- डॉ. सुनीलम
भारत को चाहिए...।

- प्रख्यात समाजवादी विचारक, लेखक एवं मुलताई के पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम् ने कही बड़ी बात

- मामा बालेश्वर दयाल को भारत रत्न देने और बामनिया को तीर्थ का दर्जा देने की उठाई मांग

- मामा को महामानव नेताओं ने नहीं बल्कि आदिवासियों ने बनाया है, उन्हें देवता बनाया दिया

- देवता मानव को पैदा करते हैं लेकिन मामा बालेश्वर दयाल को तो देवता मानव ने बनाया है

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । प्रख्यात समाजवादी नेता, विचारक, लेखक एवं मुलताई के पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने देश और देशवासियों को मामा बेलेश्वर दयाल के सिद्धांतों और विचारों की आवश्यकता जताई है। उनका कहना है कि देश और समाज के भले के लिए ‘गुजरात मॉडल’ अथवा ‘मोदानी मॉडल’ की जरूरत नहीं है, बल्कि मामा बालेश्वर दयाल के मॉडल की जरूरत है।

डॉ. सुनीलम (सुनील मिश्रा) ने यह बात रतलाम में दौरान कही। वे वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य समाजवादी चिंतक मामा बालेश्वर दयाल की 25वीं पुण्यतिथि पर भील आश्रम, बामनिया से लौटते समय रतलाम में रुके थे। इस दौरान उन्होंने एसीएन टाइम्स से चर्चा की। उन्होंने कहा निवारीकला (इटावा-उप्र) से एक व्यक्ति आया और राजशाही व्यवस्था के खिलाफ लड़ा, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा और भारत की जेलों के भीतर रहा। डॉ. लोहिया द्वारा दिए जेल वोट फावड़ा के सिद्धांत को अपनाया। जमुनादेवी जैसी नेत्री को पहली बार उन्होंने ही चुनाव लड़ाया था जो कभी चुनाव हारी नहीं। उनके नाम से करीब 15-20 विधायक-सांसद चुनाव जीतते रहे, यानी उन्होंने रचना का काम किया। आजीवन संघर्ष का काम करते हैं।

इस मॉडल को आगे बढ़ाने की जरूरत

यह जो मॉडल है वह नई पीढ़ी के सामने जाना चाहिए। इस दिशा में सरकार अगर काम न करे तो समाज को काम करना चाहिए। मामजी सरकार के भरोसे कोई काम नहीं करना चाहते थे, वे समाज के भरोसे काम करना चाहते थे। वे मानते थे कि जनशक्ति राजशक्ति से ज्यादा ताकतवर होती है और होनी चाहिए। इस मॉडल को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस देश को गुजरात मॉडल की जरूरत नहीं है, इस देश को किसी मोदानी मॉडल जो कि सिर्फ अडानी-अंबानी को फायदा देने के लिए मोदी जी चला रहे हैं, की जरूरत नहीं है। अगर कोई जरूरत है तो देश को मामाजी के मॉडल की जरूरत है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार पैदा हो सके, पर्यावरण संतुलन ठीक हो सके, लोगों को पानी की व्यवस्था हो सके, लोगों की रोटी, कपड़ा, मकान और स्वास्थ्य, रोजगार का इंतजाम हो सके। भीलों की संस्कृति बचाई जा सके, देश के मूल निवासियों की संस्कृति बचाई जा सके, यही सब मामाजी के विचारों के केंद्र में थे।

मामाजी को भीलों और भीलांचल ने बनाया महामानव

मामाजी को महामानव नेताओं ने नहीं, भीलों ने बनाया है, भीलांचल के लोगों ने बनाया है। नेताओं ने मामजी को कुछ नहीं दिया। मामाजी ने नेताओं को बहुत सारे विचार दिए, सिद्धांत दिए, नैतिकता दी, सोच दी, नशाबंदी नाशामुक्ति का एक पूरा कॉन्सेप्ट दिया। उन्होंने ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता का कॉन्सेप्ट दिया। जो आदिवासी लँगोटी पहनता था, उसे पूरे कपड़े पहनाना सिखाने का काम किया। मैंने मामाजी को देखा है, राज्यसभा सदस्य के रूप में देखा है, बामनिया में देखा है। आज वे महामानव के रूप में हैं। 250 जगह पर उनकी मूर्तियां स्थापित हैं, वहां उनके नाम से भजन और कीर्तन होते हैं। उनके द्वारा दी गई सीख देने का काम होता है। कम से कम 5 हजार भगत हैं जो केवल राजस्थान के अंदर काम करते हैं। वे 21 तारीख (21 दिसंबर) को चलते हैं और चाल दिन चलकर 25 तारीख की रात को बामनिया पहुंचते हैं। एक व्यक्ति को आदिवासियों ने देवता बनाया दिया। लोग कहते हैं कि देवता पैदा करते हैं इंसान को, लेकिन इंसान भी देवता पैदा करते है ऐसा हम लोगों ने देखा है।

सरकार का रवैया तिरस्कार पूर्ण

अभी जो देख रहा हूं कि सरकार का उनके प्रति तिरस्कार पूर्ण रवैया है। इतने बड़े व्यक्ति के लिए अब न तो मुख्यमंत्री जाते हैं, न स्थानीय विधायक जाते हैं। उनके नाम का तो उपयोग करते रहे हैं अलग-अलग समय पर लेकिन न तो स्थानीय ग्राम पंचायत कोई व्यवस्था करती है और न ही स्थानीय प्रशासन। कल (पुण्यतिथि को) जब वहां 50 हजार आदिवासियों का कार्यक्रम चल रहा था तब प्रशासन के लोग माइक बंद करवाने जा रहे थे कि कानून बन गया है। आप रात को माइक नहीं बजा सकते हैं परंतु जहां नफरत फैलाने की बात होती है, हिंसा फैलाने की बात हो वहां माइक बज सकता है। जहां प्रेम की, शांति की और सद्भावना फैलाने की बात हो वहां माइक बजाने की दिक्कत है।

यह चाहते हैं डॉ. सुनीलम

  • मामा बालेश्वर दयाल को भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
  • बामनिया मामाजी का एक तरह से तीर्थ बन गया है, उस तीर्थ को विकसित किया जाना चाहिए।
  • मामाजी के नाम से एक संग्रहालय बनाया जाना चाहिए।
  • मामाजी के विचारों की प्रदर्शनी लगाई जानी चाहिए।
  • मामाजी को पढ़ाया जाना चाहिए पाठ्य पुस्तकों में, ताकि लोगों को पता चल सके कि त्याग और तपस्या से ही इंसान देवता बनता है।