रतलामी बोले : ‘भगवा’ नहीं है ‘बेशर्म रंग’, ऐसा कहने, करने और दिखाने वालों का होगा बहिष्कार

अगले माह आने वाली फिल्म पठान के बेशर्म रंग को लेकर बवाल मचा हुआ है। इसमें भगवा रंग का दुरुपयोग किए जाने पर रतलाम में फिल्म के बहिष्कार का आवाज उठ गई है।

रतलामी बोले : ‘भगवा’ नहीं  है ‘बेशर्म रंग’, ऐसा कहने, करने और दिखाने वालों का होगा बहिष्कार
रतलाम में होगा भगवा को बेशर्म रंग बताने वाली फिल्म पठान का बहिष्कार।

सामान्य वर्ग सर्वदलीय वाट्सएप ग्रुप से शुरू हुआ बेशर्म रंग में भगवा को दिखाने का विरोध

जनप्रतिनिधि भी बोले- सनातन धर्म का ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । विवादास्पद दृश्य, संवाद और गीत अपनी पटकथा, फिल्म, धारावाहिक हिट कराने का चलन लगातार बढ़ रहा है। यही प्रयोग अब ‘शाहरुख खान’ व ‘दीपिका पादुकोण’ अभिनीत फिल्म ‘पठान’ में भी नजर आया है। इसके गीत ‘बेशर्म रंग’ में भगवा रंग का उपयोग किए जाने से रतलाम के सनातनियों में भी अक्रोश है। रतलामियों का कहना है कि #भगवा #बेशर्म_रंग नहीं है। ऐसा करने, कहने और दिखाने वालों का पुरजोर विरोध और बहिष्कार होगा।

#भगवा को #बेशर्म_रंग के रूप में दर्शाने के इस कुत्सित प्रयास के विरोध की शुरुआत रतलाम के सामान्य वर्ग सर्वदलीय वाट्सएप ग्रुप से शुरू हुई है। विरोध का यह संदेश अन्य ग्रुपों और लोगों वाट्सएप नंबरों पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें बताया गया है कि भगवा रंग सनातन धर्म की पहचान है, इसे बशर्म करने वाले और इस बेशर्मी पर नाचने वाली टुकड़े-टुकड़े गैंग की सदस्या का विरोध जरूरी है। सामान्य वर्ग सर्वदलीय ग्रुप इस गाने की घोर निन्दा करता है और नागरिकों से इस फिल्म के बहिष्कार की अपील करता है।

कांग्रेस व भाजपा नेताओं की चुप्पी को दी चुनौती

बेशर्म रंग में भगवा रंग को दिखाए जाने को लेकर अब तक जिले या शहर के किसी बड़े नेता का बयान नहीं आया है। यही वजह है कि सामान्य वर्ग सर्वदलीय ग्रुप में शहर और जिले के नेताओं की इस चुप्पी को चुनौती दी गई है। संदेश में कहा गया है कि यदि रतलाम में भाजपा और कांग्रेस में कोई कम सनातनी नेता नहीं हैं। उनसे आग्रह के साथ अपेक्षा की गई है कि यदि सभी के हस्ताक्षर का ‘बेशर्म रंग’ गाने के विरोध और इसके हटाए बिना प्रतिबंध वाला एक सार्वजनिक निंदा वाला बयान आ जाएगा तो शांति की नींद में सोए बाकी सभी लोग भी जाग जाएंगे।

एसीएन टाइम्स ने जानी नेताओं और लोगों की राय- गोपाल काकानी

सामान्य सर्वदलीय ग्रुप के सदस्य गोपाल काकानी के अनुसार मर्यादित रहना ही हम भारतीयों की मूल प्रकृति है लेकिन कुछ लोग इसे बदलने पर तुले हैं जो स्वीकार्य नहीं है। कोई व्यक्ति जरूर बेशर्म हो सकता है, रंग नहीं और भगवा रंग तो कभी नहीं हो सकता क्योंकि वह संस्कारों और आस्था का प्रतीक है। इतिहास गवाह है कि जब-जब भी मर्यादाओं को लांघा गया है, संस्कारों का हनन हुआ है या आस्था को ठेस पहुंचाई गई है तो उसके परिणाम काफी व्यापक रहे हैं। हम भगवा रंग को बेशर्म बताने वाले प्रत्येक व्यक्ति और व्यवस्था का विरोध करते हैं।

लज्जा नारी का गहना, भगवा हमारी आस्था की प्रतीक- हिम्मत कोठारी

मप्र के पूर्व गृह मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी के अनुसार सभी को मर्यादा में ही रहना चाहिए फिर वह चाहे कोई भी हो। सिर्फ आर्थिक लाभ और प्रसिद्धि पाने के लिए मर्यादाओं को ताक में रखना नासमझी है और अनैतिक है। मुझे भी पता चला है कि बेशर्म रंग गाने में अभिनेत्री ने काफी फूहड़ नृत्य किया है। नारी की शर्म ही उसका गहना है। अगर वह लज्जा उतार देगी तो फिर कुछ बचेगा ही नहीं। इसके साथ ही ऐसा कुछ भी करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि दूसरे की भावना आहत नहीं हो। भगवा रंग हमारी आस्था का प्रतीक है।

भगवा रंग का अश्लील अर्थों में उपयोग धार्मिक आस्था पर चोट- पारस सकलेचा

पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ‘दादा’ ने भी भगवा को बेशर्म रंग के रूप में दर्शाने पर कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि द्विअर्थी संवाद के साथ ही अब द्विअर्थी वेशभूषा भी परोसी जा रही है, चाहे वह नृत्य, नाटक या फिर फिल्मी संवाद ही क्यों न हो। यह युवा पीढ़ी को बरगलाने का प्रयास है, निंदनीय है। सेंसर बोर्ड का अवमूल्यन हुआ है। सरकार को कठोर कार्रवाई करना चाहिए। भगवा रंग भारतीय परंपरा व आस्था का प्रतीक है। इसका अश्लील अर्थों में प्रयोग धार्मिक आस्था पर चोट है।

भगवा रंग का दुरुपयोग करने वालों पर कानूनी कार्रवाई हो- राजेश कटारिया

हिंदू जागरण मंच के प्रांत कार्यकारिणी सदस्य राजेश कटारिया के अनुसार राजेश कटारिया ने भी इसे गलत बताया है। उनका कहना है कि भगवान हिंदुओं और सनातनियों के लिए पवित्र रंग है। इसका दुरुपयोग किसी भी रूप में नहीं होना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है तो उसके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाना चाहिए। पहले भी देखने में आया है कि हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों तक को निजी फायदे के लिए उपयोग किया जाता रहा है। ऐसे दृश्यों को देख कर यकीन ही नहीं होता कि सेंसर बोर्ड नाम की कोई चीज है भी।

भावनाएं आहत न हों, यह नियंत्रण नीति-नियंताओं के लिए जरूरी- प्रहलाद पटेल

रतलाम के महापौर एवं भाजपा नेता प्रहलाद पटेल ने कहा कि- भगवा रंग धर्म का प्रतीक है। इसके साथ किसी भी तरह का दुष्प्रयोग इसका अपमान ही है। हम अपने धर्म और संस्कृति का अपमान किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। इसका जितना विरोध हो सके करना चाहिए। इस बारे में नीति नियंताओं को भी सोचने की आवश्यकता है। किसी भी विषय वस्तु से किसी की भावना आहत न हो, यह नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी उन्हीं की है। 

यह संस्कृति और संस्कारों को खत्म करने का प्रयास है- पं. राजेश दवे

पूर्व पार्षद एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पं. राजेश दवे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह संस्कृति और संस्कारों को खत्म करने का प्रयास है। यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं टहराया जा सकता। इस तरह कोई कुछ भी पहन लेगा तो कैसे चलेगा। भारत का मूल ही सनातन धर्म और संस्कृति है। अगर यह जिंदा रहेगी तो ही हमारी भावी पीढ़ी भी सुरक्षित रहेगी। अभी भी हमारी संस्कृति जितनी बची है उसे बची रहने देना चाहिए। धारावाहिक हों या फिल्में, वही दिखाया जाना चाहिए जो परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर देख सकें, किसी दृश्य या संवाद के दौरान किसी परिवार के छोटे या बड़े सदस्यों के सामने नजरें नीचे नहीं करना पड़ें।

भगवा को बेशर्म रंग बताने वाले कौन सी पाठशाला में पढ़े- गोविंद काकानी

सनातन धर्म महासभा के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व एमआईसी सदस्य गोविंद काकानी ने घोर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि पूरे विश्व में भगवा / केसरिया रंग सनातन धर्म की पहचान है। केसरिया रंग राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगे) के तीन रंगों में से एक है। हमने बचपन से यही पढ़ा और समझा कि सफेद रंग शांति, त्याग और सादगी तो हरा रंग हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है। केसरिया रंग सूर्य की तरह ऊर्जा और शौर्य का प्रतीक है। पता नहीं फिल्म बनाने वालों ने कौन सी पाठशाला में पढ़े हैं जिन्हें भगवा या केसरिया ‘बेशर्म रंग’ नजर आ रहा है। इसे इस ढंग से प्रदर्शित करना धर्म और संस्कृति का अपमानजनक है। गाने के बोल, अभिनेत्री की भाव-भंगिमाएं अश्लील हैं, निंदनीय हैं। इसका सख्त विरोध है।

फूहड़ता और अश्लीलता किसी रूप में बर्दाश्त नहीं- महेंद्र कटारिया

शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया का कहना है कि फूहड़ता और आश्लीलता किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जा सकती है, चाहे फिल्म हो, नाटक हो अथवा सार्वजनिक मंच। स्वस्थ मनोरंजन अवश्य होना चाहिए लेकिन वह किसी की भावना को आहत करने वाला कतई नहीं होना चाहिए।

आश्चर्य यह है कि सेंसर बोर्ड से ऐसी सामग्री पास कैसे होती हैं- बसंत पंड्या

शहर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बसंत पंड्या ने इस मामले में सीधे तौर पर सेंसर बोर्ड  को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि उन्हें आश्चर्य होता है कि सेंसर बोर्ड से ऐसी सामग्री पास कैसे हो जाता है। ऐसे दृश्य, संवाद व सामग्री जो विवाद का कारण बन सकते हैं, उन्हें वहीं से हटा देना चाहिए। फिल्म हों या टीवी, हर जगह अश्लीलता बढ़ रही है। आलम यह है कि टीवी पर बच्चों के साथ बैठ कर कोई कार्यक्रम नहीं देख सकते। ओटीटी प्लेटफॉर्म ने तो सारी हदें ही पार कर दी हैं।  

इस विषय को लेकर रतलाम शहर विधायक चेतन्य काश्यप से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया। चूंकि वे क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए लखनऊ में हैं जिससे उनसे बात नहीं हो सकी। बता दें, कि- फिल्म पठान 25 जनवरी को रिलीज हो रही है। इससे पहले ही इसका बहिष्कार शुरू हो गया है।